डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ
डी. डब्ल्यू. ग्रिफ़िथ | |
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सन् 1922 में ग्रिफ़िथ | |
जन्म | डेविड वार्क ग्रिफ़िथ 22 जनवरी 1875 ओल्धम काउंडी,केंटकी, संयुक्त राज्य अमरीका |
मौत | जुलाई 23, 1948 हॉलीवुड, कैलिफोर्निया, संयुक्त राज्य अमरीका | (उम्र 73)
मौत की वजह | पक्षाघात |
समाधि | माउंट टेबर मेथडिस्ट चर्च कब्रगाह, सेंटरफिल्ड, केंटकी, संयुक्त राज्य अमरीका |
पेशा | फिल्म निर्देशक, लेखक, निर्माता |
कार्यकाल | 1908–1931 |
जीवनसाथी | लिंडा एरविडसन (वि॰ 1906; वि॰वि॰ 1936) एवेलिन बाल्डविन (वि॰ 1936; वि॰वि॰ 1947) |
माउंट टेबर मेथडिस्ट चर्च कब्रगाह, सेंटरफिल्ड, केंटकी, संयुक्त राज्य अमरीका |
डी.डब्ल्यू ग्रिफ़िथ अमरीकी फिल्म निर्देशक, लेखक और निर्माता थे। ग्रिफ़िथ को फिल्म निर्माण की आधुनिक तकनीक का जन्मदाता कहा जाता है। ग्रिफिथ को उनकी फिल्मों “द बर्थ ऑफ नेशन” (1915) और “इंटालेंस” (1916) के लिए जाना जाता है।[1]फिल्म “द बर्थ ऑफ नेशन” में पहली बार एक नई कैमरा तकनीक और पटकथा का प्रयोग किया गया जिसने आगे आने वाली पूरी लंबाई की फीचर फ़िल्मों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि इस फिल्म ने अफ्रीकी मूल के अश्वेत लोगों के नकारात्मक चित्रण और कु क्लुल्स क्लान के महिमामंडन की वजह से रिलीज होते ही अमरीका में नस्लवाद पर एक नए विवाद को जन्म दे दिया।[2][3]यही वजह है कि आज की तारीख में इस फिल्म को सर्वथा नवीन तकनीक की वजह से महान और ऐतिहासिक महान फिल्म माना जाता है तो वहीं नस्लवादी रुझान की वजह से इसके कथ्य की निंदा भी की जाती है। इस फिल्म को रिलीज होते ही अश्वेत लोगों के अमरीकी संगठन के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर दंगे भी हुए। यहां तक की न्यूयार्क शहर में इस शहर पर प्रतिबंध तक लगाया गया। लेकिन अगले साल ही अपनी दूसरी फिल्म इंटालरेंस के जरिए ग्रिफिथ ने अपने विरोधियों को भरसक जवाब दिया।
ब्रोकेन ब्लाजम(1919), वे डाऊन ईस्ट(1920) और ऑरफन्स ऑफ दी स्टॉर्म(1920) जैसी फिल्मों के जरिए ग्रिफिथ ने सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ दिए। लेकिन ये फिल्में अपने महंगी लागत और प्रचार के कारण व्यावसायिक रूप से सफल नहीं रहीं। बावजूद इसके ग्रिफिथ ने अपने जीवन काल में तकरीबन 500 फिल्मों का निर्माण किया। सन 1931 में प्रदर्शित हुई “द स्ट्रगल” ग्रिफिथ की आखिरी फिल्म थी।
ग्रिफिथ “एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर्स आर्ट्स एंड साइन्स” के संस्थापकों में से एक थे। उन्हें सिनेमा के इतिहास के प्रमुख हस्ताक्षरों में गिना जाता है। फ़िल्म निर्माण की तकनीक में क्लोज-अप के इस्तेमाल का श्रेय ग्रिफिथ को दिया जाता है।[4][5]
जीवन परिचय
ग्रिफ़िथ का जन्म केंटकी (अमेरिका) के ओल्ढम काउंटी में हुआ था। ग्रिफ़िथ की मां का नाम मेरी पर्किन्स और पिता का नाम जेकब वार्क ग्रिफ़िथ था।[6] ग्रिफ़िथ के पिता जेकब अमेरिकी गृहयुद्ध के समय परिसंघीय सेना में कर्नल थे। बाद में वो केंटकी विधानसभा के लिए विधायक भी चुने गए। ग्रिफ़िथ की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई, जहां उनकी बड़ी बहन ने उनके शिक्षक का दायित्व निभाया। लेकिन ग्रिफिथ जब मात्र 10 साल के थे तभी उनके पिता का देहान्त हो गया। इसके बाद ग्रिफि़थ के परिवार को दुर्दिन का सामना करना पड़ा।
ग्रिफ़िथ जब 14 साल के थे तब उनकी मां ओल्ढम काउंटी छोड़कर लूइसविले आ गईं और शहर में एक बोर्डिंग हाउस चलाना शुरू कर दिया। लोेकिन इस व्यवसाय में उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद ग्रिफ़िथ ने स्कूल की पढ़ाई छोड़ दी और परिवार की मदद के लिए एक स्टोर में नौकरी शुरू कर दी। बाद में ग्रिफ़िथ ने एक भ्रमणशील थिएटर नाटक मंडली में अभिनेता के रूप में काम करना शुरू कर दिया। इस बीच उन्होंने नाटकों की पटकथा लिखने पर भी हाथ आजमाया। लेकिन इसमें उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। [7]
बाद में ग्रिफ़िथ ने अभिनेता बनने का निश्चय किया और कई फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं कीं।.[8] साथ ही ग्रिफ़िथ ने 1908 में छोटी फिल्मों का निर्माण भी शुरू कर दिया और 6 साल बाद उनकी पहली फीचर फिल्म “ज्यूडिथ ऑफ बेथुलिया” प्रदर्शित हुई। हालांकि इससे कुछ साल पहले नाटककार के रूप में अपने लिए जगह तलाश रहे ग्रिफ़िथ न्यूयार्क के एडिसन स्टूडियो के निर्माता एडविन पोर्टर से भी मिल चुके थे। पोर्टर ने उनकी पटकथा को नकार देने के बावजूद उन्हें अपनी फिल्म “रेस्क्यूड फ्रॉम एन ईगल्स नेस्ट” में भूमिका दी। यहीं से ग्रिफ़िथ के सिनेमाई करियर की शुरुआत हुई।
फिल्म निर्माण
1908 में, ग्रिफ़िथ ने अमेरिकन फिल्म निर्माण कंपनी और ‘बायोग्राफ’ में एक छोटी सी भूमिका निभाई और यहीं पर उनकी मुलाकात भविष्य के अपने पसंदीदा कैमरामैन जी. डब्ल्यू "बिली" बिट्जर से हुई। बायोग्राफ में भूमिका ने फिल्म उद्योग में ग्रिफ़िथ के करियर को हमेशा के लिए बदल दिया। 1908 में बायोग्राफ के मुख्य निर्देशक वालेस मैकक्यूच्यॉन बीमार हो गए। फलस्वरूप उनके बेटे वालेस मैकक्यूच्यॉन जूनियर ने उनकी जिम्मेदारी संभाली लेकिन मैकक्यूच्यॉन जूनियर स्टूडियो को वो सफलता नहीं दिला सके। नतीजतन बायोग्राफ सह-संस्थापक हेनरी "हैरी" मार्विन ने ग्रिफ़िथ को निर्देशक की जिम्मेदारी दी। इस नौजवान निर्देशक ने ने कंपनी के लिए “ द एडवेंचर्स ऑफ़ डूली” के रूप में अपनी पहली लघु फिल्म बनाई। ग्रिफ़िथ ने उस साल कंपनी के लिए 48 छोटी फिल्मों का निर्माण और निर्देशन किया।[9]
1910 में बनी ग्रिफ़िथ की लघु फ़िल्म हॉलीवुड (कैलिफोर्निया) में शूट की गई पहली फिल्म थी। चार साल बाद उन्होंने अपनी पहली फीचर फिल्म जुडीथ ऑफ बेथुलिया (1914) का निर्माण किया। ये फिल्म अमेरिका में बनी शुरुआती फुल लेंथ फीचर फिल्मों में से एक है। हालांकि इस फिल्म के निर्माण के समय निर्माता कंपनी बायोग्राफ का मानना था कि इतनी लंबी फिल्में व्यावसायिक रूप से सफल नहीं होंगी। अभिनेत्री लिलियन गिस के अनुसार कंपनी का विचार था कि इतनी लंबी फिल्म दर्शकों को थकाने वाली साबित होंगी।
अपने लक्ष्य का प्राप्ति में अवरोध और फिल्म निर्माण में ऊंची लागत पर कंपनी के विरोध के चलते ग्रिफ़िथ ने बायोग्राफ को छोड़ दिया। वो अपने साथी कलाकारों को लेकर म्यूचुअल फ़िल्म कार्पोरेशन में शामिल हो गए। उन्होंने मैजेस्टिक स्टूडियो के मैनेजर हैरी एटकिन के साथ मिलकर रिलायंस-मैजेस्टिक स्टूडियो नाम से अपना खुद का स्टूडियो शुरू कर दिया। बाद में इस स्टूडियो का नाम फाइन आर्ट स्टूडियो रखा गया।[10]
रिलायंस-मैजेस्टिक स्टूडियो के जरिए ग्रिफ़िथ ने ‘द क्लांसमैन’ नाम की फिल्म का निर्माण किया जिसे बाद में ‘द बर्थ ऑफ नेशन’ नाम से जाना गया। इस फिल्म को सिनेमा के इतिहास में पहली फुल लेंथ फ़िल्म माना जाता है। क्योंकि इससे पहले की अमेरिकी फ़िल्में एक घंटे से कम समय सीमा का होती थीं। यद्यपि ये फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल रही लेकिन इसने एक बड़े विवाद को भी जन्म दे दिया। इसकी सबसे बड़ी वजह थी इस फिल्म में अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान दास-प्रथा, कु क्लुल्स क्लान और रंगभेद संबन्धी विषयों का विवादास्पद चित्रांकन।[11]
अश्वेत अमेरिकी लोगों के संगठन ने इस फिल्म के प्रदर्शन का जमकर विरोध किया और कई शहरों में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगवाने में भी सफल रहे। लेकिन बावजूद इसके ये फिल्म अपने समय की सबसे सफल और चर्चित फिल्म साबित हुई। इस फिल्म को सिनेमा के इतिहास में पहली “ब्लॉक बस्टर” फिल्म का दर्जा प्राप्त है। इस फिल्म के बारे में यहां तक कहा जाता है कि इस फिल्म ने बॉक्स आफिस पर इतनी कमाई की कि इसके निर्माता इस कमाई का रिकॉर्ड तक नहीं रख पाए। इस फिल्म से सबसे ज्यादा लाभ कमाने वाले लुई. बी मेयर जिन्होंने इस फिल्म के न्यू इंग्लैंड में वितरण का अधिकार हासिल कर रखा था। इसी फिल्म की कमाई से मेयर ने हॉलीवुड में अपने मशहूर स्टूडियो मेट्रो-गोल्डविन-मेयर की स्थापना की।
अपनी अगली फिल्म इंटालरेंस के जरिए ग्रिफिथ ने अपने ऊपर लगे रंगभेद के आरोप का जवाब देने की पुरजोर कोशिश की। लेकिन ये फिल्म व्यावसायिक रूप से सफल नहीं हो पाई। हालांकि इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की लेकिन इस फिल्म की लागत इतनी ज्यादा थी कि इसे वसूल कर पाना उन दिनों नामुमकिन था। इस फिल्म ने ग्रिफिथ की आर्थिक रूप से बेहद नुकसान पहुंचाया। जिसके बाद रिलायंस-मैजेस्टिक का गठजोड़ टूट गया और ग्रिफ़िथ ने इसके बाद ‘पैरामाउंट’ और ‘फर्स्ट नेशनल’ जैसी फिल्म निर्माण कंपनियों के साथ काम करना शुरू कर दिया। इन्हीं दिनों उन्होंने चार्ली चैप्लिन के साथ मिलकर ‘यूनाइटेड आर्टिस्ट’ नाम की नई कंपनी शुरू की। इस कंपनी के बैनर तले ग्रिफ़िथ ने फिल्म निर्माण का काम जारी रखा लेकिन उन्हें जीवन में वो सफलता दोबारा नहीं मिल पाई जो फिल्म द बर्थ ऑफ ए नेशन से मिली थी।[12][13][14]
व्यावसायिक चुनौतियां
यद्यपि यूनाइटेड आर्टिस्ट्स एक फिल्म निर्माण कंपनी के रूप में आज भी विद्यमान है लेकिन इस कंपनी के साथ ग्रिफ़िथ का जुड़ाव लंबे समय तक नहीं रहा। कंपनी के बानर तले बनी उनकी उनकी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर तो अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन मुनाफा कमाने में ये फिल्में सफल नहीं रहीं। यूनाइटेड आर्टिस्ट्स के लिए बनाई ग्रिफ़िथ की फिल्मों में ब्रोकेन ब्लाजम्स (1919), वे डाऊन ईस्ट (1920), ऑर्फन्स ऑफ दी स्टॉर्म (1921), ड्रीम स्ट्रीट (1921), वन एक्साइटिंग नाइट (1922) और अमेरिका (1924) शामिल हैं।[15] इन तमाम फिल्मों में से पहली तीन को ही व्यावसायिक सफलता हासिल हो पाई, नतीजतन इजन्ट लाइफ वंडरफुल (1924) की असफलता के बाद ग्रिफ़िथ को यूनाइटेड आर्टिस्ट्स छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा।
यूनाइटेड आर्टिस्ट्स से अलग होने के ग्रिफ़िथ को जीवन की दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। कंपनी छोड़ने के 12 साल बाद 1936 में उनकी फिल्म ‘इंटालरेंस’ में प्रशिक्षु रह चुके फिल्म निर्देशक ‘वुडी वान डाइक’ ने उनसे अपनी फिल्म ‘सैन फ्रान्सिस्को’ में मशहूर भूकंप के दृश्य को फिल्माने में मदद मांगी लेकिन मदद के बावजूद फिल्म की क्रेडिट में उन्हें कोई जगह नहीं दी।[16]
बाद के दिनों में ग्रिफिथ हालांकि फिल्म निर्माण से अलग हो चुके थे फिर भी अपने दौर में उन्हें तकनीकी रूप से सबसे दक्ष फिल्मकार माना जाता रहा है। भले ही उन्हें स्वतंत्र रूप से फिल्म बनाने के प्रस्ताव नहीं मिले लेकिन कई फिल्म निर्माताओं ने उनसे तकनीकी सलाह लेने की कोशिश जरूर की। 1939 में ग्रिफिथ को निर्माता ‘हेराल्ड युगेन रूख’ ने अपनी फिल्मों में ग्रिफिथ से सहयोग मांगा लेकिन ग्रिफिथ तो अपने धुन के पक्के थे। उनकी इस निर्माता के विचारों से भी सामंजस्य नहीं बैठा और वो इस परियोजना से बाहर हो गए। ग्रिफिथ ने हालांकि फिल्म के क्रेडिट से अपना नाम हटाने की अपील लेकिन निर्माता ने फिल्म में बतौर निर्माता उनके नाम का उपयोग कर लिया।
जीवन के आखिरी दौर में लोग ग्रिफ़िथ को भूल से गए। गुमनामी में जीते हुए ग्रिफिथ कभी कभार फिल्मों के सेट पर पहुंच जाते थे। उन्हें देखकर उनको पुराने सहयोगी इस कदर सचेत हो जाते थे कि फिल्म की शूटिंग ठप पड़ जाती थी। ऐसे में ग्रिफ़िथ किसी आड़ में छुपकर शूटिंग देखा करते थे।[17] लेकिन सिनेमा के इतिहास में ग्रिफ़िथ के अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए “एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एण्ड साइंस” ने उन्हें विशेष आस्कर से सम्मानित किया।
मृत्यु
23 जुलाई, 1948 की सुबह ग्रिफ़िथ को लॉस एजेलिस, कैलिफोर्निया के होटल निकर बॉकर की लाबी में बेहोशी की हालत में पाया गया। उस समय वो बिल्कुल अकेला जीवन गुजार रहे थे। उन्हे हॉलीवुड के एक अस्पताल पहुंचाया गया। जहां रास्ते में ही पक्षाघात और मष्तिस्क में रक्तस्राव की वजह से उनका देहान्त हो गया। मृत्य के बाद उनके सम्मान में हॉलीवुड मेसोनिक टेंपल में प्रार्थना सभा रखी गई। लेकिन अपने समय के दिग्गज इस फिल्मकार को श्रद्धांजलि देने बहुत कम लोग उपस्थित हुए। ग्रिफ़िथ को सेंटरफिल्ड, केंटकी के माउंट टेबर मेथडिस्ट चर्च के कब्रिस्तान में दफनाया गया।[18]
विरासत
फिल्म अभिनेता और निर्माता निर्देशक चार्ली चैप्लिन ने ग्रिफ़िथ को अपनी पीढ़ी का शिक्षक बताया था। ग्रिफिथ की फिल्म ‘इंटालरेंस’ कथ्य और शिल्प को लेकर जॉन फोर्ड, एल्फ़्रेड हिचकॉक, ऑर्सन वेल्स, लेव कुलेशोव, ज्यां रेनुआ, सेसिल बी.डेमिल, किंग विडॉर, विक्टर फ्लेमिंग, राउल वॉल्स, कार्ल थियोडोर ड्रेयर, सेर्गे आइसेन्स्टाइन जैसे फिल्म निर्देशकों ने न सिर्फ उनकी सराहना की बल्कि पूरे फिल्म जगत पर उनके ऋण को स्वीकार किया।[19],[20] फिल्मकार ऑर्सन वेल्स ने तो यहां तक कहा कि हॉलीवुड के ग्रिफ़ित के प्रति व्यवहार को लेकर उनके मन में फिल्म उद्योग को लेकर इतनी घृणा कभी नहीं रही, “दुनिया का कोई भी व्यवसाय किसी भी व्यक्ति का इतना ऋणी नहीं होगा जितना इस एक व्यक्ति को लेकर समूचा फिल्म जगत।“[21]
कैमरे के जरिए पर्दे पर भी बहुआयामी बिंब उकेरे जा सकते हैं, ये शुरुआत में सिर्फ ग्रिफ़िथ ही समझ पाए। दृश्य के छायांकन और संपादन के जरिए उन्होंने सिनेमा की एक प्रभावपूर्ण भाषा और शिल्पकारी का सर्वथा अनूठा प्रयोग किया। उनकी फिल्मों में ही पहली बार कैमरे की प्लेसिंग, छायांकन के कोण और दृश्य में प्रकाश व्यवस्था के सुनियोजित प्रयोग से पात्रों की भाव-भंगिमाओं की गहराई को निखारा गया। पार्श्व-संगीत को लेकर भी ग्रिफ़िथ ने सिनेमा को उस ऊंचाई तक पहुंचा दिया जहां से फिल्म उद्योग अपने भविष्य को संवारते हुए बड़ी व्यावसायिक संभावनाओं को तलाश सकता था।[22]
सन्दर्भ
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- ↑ "'The Birth of a Nation': When Hollywood Glorified the KKK | HistoryNet". HistoryNet (अंग्रेज़ी में). मूल से 24 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि दिसंबर 3, 2017.
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