डायजे़पाम
चित्र:Diafzepam structure.svg | |
सिस्टमैटिक (आईयूपीएसी) नाम | |
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7-chloro-1,3-dihydro- 1-methyl-5-phenyl- 1,4-benzodiazepin-2(3H)-one | |
परिचायक | |
CAS संख्या | 439-14-5 |
en:PubChem | 3016 |
en:DrugBank | APRD00642 |
en:ChemSpider | 2908 |
रासायनिक आंकड़े | |
सूत्र | C16H13ClN2O |
आण्विक भार | 284.7 g/mol |
SMILES | eMolecules & PubChem |
फ़ार्मओकोकाइनेटिक आंकड़े | |
जैव उपलब्धता | 93% |
उपापचय | Hepatic - CYP2C19 |
अर्धायु | 20–100 hours (36-200 hours for main active metabolite desmethyldiazepam) |
उत्सर्जन | Renal |
डायज़ेपाम (उच्चारित/daɪˈæzɨpæm/), जिसे सबसे पहले हाफमैन-ला रोश द्वारा वैलियम (आईपीए: /ˈvæliəm/) नाम से बाजार में उतारा गया था, एक बेंजोडायजापाइन अमौलिक दवा है। इसे सामान्यतः बेचैनी, अनिद्रा, अधिग्रहण स्टैटस एपिलेप्टिकस सहित मिरगी के दौरों, मांसपेशियों की अकड़न, बेचैन पैरों के रोगसमूह, अल्कोहल का सेवन और बोंजोडायजेपाइनों का सेवन बंद करने से उत्पन्न लक्षणों और मेनियर्स रोग के उपचार के काम में लाया जाता है। इसे कतिपय चिकित्सकीय प्रक्रियाओं (जैसे एंडोस्कोपी के समय) के पहले तनाव व चिंता को दूर करने के लिये और कुछ शल्यक्रियाओं में स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है।[1][2] इसमें चिंतानाशक, मिर्गी निरोधक, हिप्नोटिक, निद्राकारक, मांसपेशियों में शिथिलता लाने और स्मृतिलोपक गुण होते हैं।[3] डायज़ेपाम की औषधिक क्रिया GABAA ग्राहक पर बेंजोडायजेपाइन साइट पर जुड़ कर न्यूरोट्रांसमिटर गाबा के प्रभाव को बढ़ा कर केन्द्रीय नाड़ी तंत्र को डिप्रेस करती है।[4] डायज़ेपाम को मौज-मस्ती की दवा के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
डायज़ेपाम के दुष्प्रभावों में घटनोत्तर स्मृतिलोप (खास तौर पर अधिक मात्राओं पर) और निद्रा व अनपेक्षित प्रभाव जैसे उत्तेजना, क्रोध या मिर्गी के रोगियों में दौरों को और बढ़ा देना शामिल हैं। बेंजोडायजापाइनों से अवसाद हो या बिगड़ भी सकता है। डायज़ेपाम जैसे बेजोडायजेपाइनों के लंबे अर्से के प्रभावों में सहिष्णुता, बेंजोडायजेपाइन पर निर्भरता व मात्रा में कमी करने पर बेजोडायजेपाइन विदड्राल सिंड्रोम शामिल हैं। इसके अलावा बेजोडायजेपाइनों को रोकने पर ज्ञान में विकार कम से कम 6 महीनों तक रह सकते हैं और पूरी तरह से सामान्य नहीं हो पाते.[4] डायज़ेपाम के दुरूपयोग की भी संभावना होती है और इससे आदी हो जाने की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इसके प्रयोग में दिये जाने के लिये लिखने के बारे में राष्ट्रीय सरकारों द्वारा तुरंत कार्यवाही करने की आवश्यकता है।[5][6]
डायज़ेपाम के फायदों में इसके असर का तेजी से शुरू होना और उच्च प्रभावशीलता दरें, जो अक्यूट दौरों के उपचार के लिये महत्वपूर्ण है, शामिल हैं; बेंजोडायजेपाइनों को अधिक मात्रा में ले लिये जाने पर भी अपेक्षाकृत कम विषाक्तता होती है।[4] डायज़ेपाम विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवा सूची में, जो आधारभूत स्वास्थ्य सेवा तंत्र की न्यूनतम मेडिकल जरूरतों की एक सूची है, मुख्य औषधि है।[7] डायज़ेपाम का प्रयोग कई विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है और यह पिछले 40 वर्षों में विश्व भर में सबसे अधिक लिखी जाने वाली दवाओं में से एक है। इसे सबसे पहले डॉ॰ लियो स्टर्नबैक द्वारा संश्लेषित किया गया था।[8]
इतिहास
डायज़ेपाम, क्लोरडायज़ेपाक्साइड (लिब्रियम), जिसे प्रयोग की स्वीकृति 1960 में मिली थी, के बाद हाफमैन-ला रोश के डॉ॰ लियो स्टर्नबैक द्वारा अन्वेषित दूसरा बेजोडायजेपाइन था। 1963 में लिब्रियम के सुधारे हुए रूप में निर्गमित डायज़ेपाम अविश्वसनीय रूप से लोकप्रिय हो गया जिससे रोश को औषधि-निर्माण उद्योग में एक विराट हस्ती बनने में सहायता मिली। यह अपने पूर्वज से ढाई गुना अधिक शक्तिशाली है और इसकी बिक्री उससे बहुत शीघ्र ही काफी अधिक हो गई। इसकी प्रारंभिक सफलता के बाद अन्य औषधि निर्माताओं ने भी बेजोडायजेपाइन के अन्य यौगिकों को प्रस्तुत करना शुरू कर दिया। [9]
बेंजोडायजेपाइन चिकित्सकों में बार्बिचुरेटों, जिनका अपेक्षाकृत कम थेराप्युटिक इंडेक्स होता है और जो उपचार के लिये उपयुक्त मात्रा में काफी अधिक सुस्ती उत्पन्न करते हैं, के स्थान पर प्रयोग के लिये लोकप्रिय हो गए। बेजोडायजेपाइन बहुत कम खतरनाक होते हैं और डायजेपाम अधिक मात्रा में लेने पर भी बहुत कम ही मृत्यु होती है, सिवाय उन मामलों में जिनमें इसका प्रयोग अन्य अवसादकों (जैसे अल्कोहल या अन्य निद्राकारक) की बड़ी मात्रा के साथ किया गया हो। [10] डायजेपाम जैसे बेंजोडायजापाइनों को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन समय के साथ यह दृष्टिकोण उनको नुस्खे में लिखने के प्रति बढ़ती हुई आलोचना और रोक-टोक में बदल गया है।[11]
डायजेपाम 1969 से 1982 तक युनाइटेड स्टेट्स की सबसे अधिक बिकने वाली दवा थी और 1978 में उसकी 2.3 बिलियन गोलियां बिकीं.[9] आस्ट्रलिया में बेजोडायजेपाइन के बाजार के 82% का प्रतिनिधित्व डायजेपाम, आक्सजेपाम, नाइट्रजेपाम और टेमाजेपाम मिलकर करते हैं।[12] मनोरोगतज्ञ बेचैनी के लघु-अवधिक उपचार के लिये डायजेपाम की सिफारिश करते रहते हैं, नाड़ी तंत्र में इसे मिर्गी के कुछ प्रकारों और स्पास्टिक गतिविधि के पेलियेटिव उपचार के लिये लिखते हैं, उदा. आंशिक पक्षाघात के प्रकार. स्टिफ-पर्सन सिंड्रोम नामक विरल रोग के लिये रक्षा की यह पहली पंक्ति है।[13] बेंजोडायजेपाइनों के बारे में जनता की अनुभूति में इन दिनों काफी नकारात्मकता आई है।[6]
लक्षण
डायजेपाम का प्रयोग मुख्य तौर पर चिंता, अनिद्रा और अल्कोहल का सेवन अचानक रोकने से उत्पन्न लक्षणों के उपचार के लिये किया जाता है। इसे कतिपय मेडिकल प्रक्रियाओं (उदा. एंडोस्कोपी) के पहले नींद लाने, बेचैनी दूर करने या स्मृतिलोप उत्पन्न करने के लिये पूर्व-उपचार के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।[14][15]
अंतर्शिरा डायजेपाम या लोरजेपाम स्टैटस एपिलेप्टिकस के पहले दर्जे के उपचार हैं।[4][16] लेकिन डायजेपाम की तुलना में लोरजेपाम अधिक बार दौरों को खत्म करता है और इसका असर अधिक देर तक रहता है।[17] डायजेपाम को मिरगी के लंबे समय के उपचार के लिये बहुत कम प्रयोग में लाया जाता है क्यौंकि डायजेपाम के मिर्गी विरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता 6 से 12 महीनों में उत्पन्न हो जाती है, जिससे यह इस उपचार के लिये उपयोगहीन हो जाता है।[18][19] डायजेपाम को एक्लेम्प्सिया के आपातकालीन उपचार के लिये तब किया जाता है जब अंतर्शिरा IV मैगनीशियम सल्फेट और रक्तचाप नियंत्रण के प्रयत्न असफल हो चुके होते हैं।[20][21] बेजोडायजेपाइनों में दर्दनिवारक गुण नहीं होते हैं और सामान्यतः दर्द से पीड़ित रोगियों को नहीं दिये जाते.[22] फिर भी डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन उनके पेशियों को शिथिल करने के गुणों के कारण पेशियों की अकड़न और पलकों की अकड़न सहित भिन्न तरह के डिसटोनियाओं से उत्पन्न दर्द को दूर करने के काम आते हैं। बेंजोडायजेपाइनों,[23][24] जैसे डायजेपाम के पेशी-शिथिलताकारक गुणों के प्रति अकसर सहिष्णुता उत्पन्न हो जाती है।[25] कभी – कभी डायजेपाम के स्थान पर बैक्लोफेन[26] या टिजानिडीन का प्रयोग किया जाता है। टिजानिडीन अन्य अकड़न-निरोधी दवाओं जितनी ही असरदार होती है और उसमें बैक्लोफेन और डायजेपाम से बेहतर सहिष्णुता होती है।[27]
डायजेपाम के मिर्गी-निरोधी प्रभाव, दवाई के अधिक मात्रा में सेवन या सैरिन, वीएक्स (VX), सोमन (या अन्य आर्गेनोफास्फोरस जहरों; #CANA देखें), लिंडेन, क्लोरोक्विन, फाइजोस्टिग्मिन या पाइरेथ्राइडों[18][28] की रसायनिक विषाक्तता से उत्पन्न दौरों के उपचार में उपयोगी हो सकते हैं। डायजेपाम कभी-कभी 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उच्च ज्वर से उत्पन्न दौरों के इलाज में भी रूक-रूक कर प्रयोग में लाया जाता है।[4][29] मिर्गी के उपचार के लिये डायजेपाम लंबे समय के लिये नहीं दिया जाता लेकिन लाइलाज मिर्गी के रोगियों के एक उपसमूह में लंबे समय के बेंजोडायजेपाइनों से लाभ होता है और ऐसे लोगों में मिर्गी-निरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता के विकास के धीमी गति से शुरू होने के कारण क्लोरजेपेट का प्रयोग किया जाता है।[4]
डायजेपाम के संकेतों (जिनमें से अधिकांश आफ-लेबल हैं) का बड़ा स्पेक्ट्रम है, जिनमें शामिल हैं:
- चिंता, डर के दौरों और उपद्रव की स्थितियों का उपचार[14]
- चक्कर के साथ होने वाले न्यूरोवेजिटेटिव लक्षणों का उपचार[30]
- अल्कोहल, अफीम और बेंजोडायजेपाइन को रोकने से होने वाले लक्षणों का उपचार[14][31]
- अनिद्रा का लघु अवधि का उपचार[14]
- टिटेनस (धनुर्वात) का उपचार, जिसमें उसके गहन उपचार के अन्य उपाय भी शामिल हैं[32]
- मस्तिष्क या मेरू-रज्जु के रोगों जैसे, स्ट्रोक, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, मेरु-रज्जु की चोटों से उत्पन्न स्पास्टिक मस्कुलार पैरेसिस (पैरा-/टेट्राप्लीजिया) का सहायक उपचार. (लंबे अर्से के उपचार में अन्य उपाय भी होते हैं)[13]
- स्टिफ पर्सन सिंड्रोम का उपशामक उपचार[33]
- शल्यक्रिया के पहले या बाद निद्रा, चिंता के उन्मूलन और/या स्मृतिलोप के लिये (उदा. एंडोस्कोपी या शल्यक्रिया के पहले)[13]
- हैल्यूसिनोजनों, जैसे एलएसडी (LSD) या सीएनएस उत्तेजकों जैसे कोकेन या मेथएम्फीटेमीन से उत्पन्न समस्याओं का उपचार.[18]
- हाइपरबेरिक आक्सीजन उपचार के समय आक्सीजन विषाक्तता का रोकथामक उपचार[34]
पशु-चिकित्सा में उपयोग
- डायजेपाम का प्रयोग लघु अवधि के निद्राकारक और चिंता-उन्मूलक के रूप में बिल्लियों और कुत्तों में किया जाता है। इसे कुत्तों में दौरों के लघु अवधि के उपचार और बिल्लियों में दौरों के लघु और दीर्घ अवधि के उपचार के लिये भी प्रयोग में लाया जाता है। उसे भूख उत्पन्न करने के लिये भी प्रयोग किया जाता है।[35][36] दौरों के आपातकालीन उपचार के लिये इसकी आदर्श मात्रा 0.5 मिग्रा/किलोग्राम अंतर्शिरा द्वारा, या इंजेक्शन का घोल 1-2 मिग्रा/किलोग्राम गुदा द्वारा होती है।[37]
कानूनी फांसी के पहले
- कैलिफोर्निया प्रदेश में कैदियों को फांसी के पहले जानलेवा इंजेक्शन कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में निद्राकारक डायजेपाम का प्रयोग किया जाता है।[38]
मात्रा
मात्राएं वैयक्तिक रूप से निर्धारित की जाती हैं, जो रोग, लक्षणों की तीव्रता, रोगी के वजन और उसकी अन्य सहरूग्ण समस्याओं पर निर्भर करती हैं।[18]
स्वस्थ वयस्कों के लिये आदर्श मात्राएं 2 से 10 मिग्रा 2 से 4 बार प्रतिदिन तक होती हैं, जो शारीरिक वजन और रोग पर निर्भर करती हैं। बूढ़े लोगों या यकृत के रोगों से ग्रस्त लोगों में प्रारंभिक मात्रा रेंज के निचले सिरे से शुरू की जाती है और फिर इसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जाता है।[33]
उपलब्धि
डायजेपाम के सारे विश्व में 500 ब्रांड उपलब्ध हैं।[39] इसे निम्न रूपों में उपलब्ध किया जाता है:
- मौखिक प्रयोग के लिये:
- गोलियां – 1 मिग्रा, 2 मिग्रा, 5 मिग्रा, 10 मिग्रा.[33] जेनेरिक रूप उपलब्ध हैं।
- टाइम- रिलीज कैप्सूल (रोश द्वारा वैलरिलीज के नाम से प्रस्तुत)[40]
- द्रव घोल – 500 मिली के पात्रों में 1 मिग्रा/मिली और यूनिट-डोज (5 मिग्रा और 10 मिग्रा), 30 मिली ड्रापर शीशी में 5 मिग्रा/मिली (रोक्सेन द्वारा डायजेपाम इंटेन्साल के रूप में प्रस्तुत)[40]
- इंजेक्शन के रूप में प्रयोग के लिये:
- शिरा या पेशी में इंजेक्शन के लिये – 5 मिग्रा/मिली 2 मिली एम्पूल और सिरिंजें.1 मिली, 2 मिली, 10 मिली शीशियां. 2 मिली टेल-इ-जेक्ट. इनमें 40% प्रोपाइलीन ग्लाइकाल, 10% इथाइल अल्कोहल, 5% सोडियम बेजोएट और बेजोइक एसिड बफर के रूप में और 1.5% बेंजाइल अल्कोहल प्रिजर्वेटिव के रूप में होते हैं।[40][41]
- नोट-पेशियों में दिया जानेवाला इंजेक्शन काफी कम प्रभावशाली होता है क्यौंकि दवा दबी हुई पेशियों की शिराओं वाली टिटैनिक पेशियों में जाती है। इससे दवा रक्त प्रवाह में तेजी से नहीं पहुंच पाती है। (उपरोक्त टिप्पणी देखो, फार्माकोकैनेटिक्स (Pharmacokinetics) के तहत, फिर इंजेक्शन आईएम)।
- शिरा या पेशी में इंजेक्शन के लिये – 5 मिग्रा/मिली 2 मिली एम्पूल और सिरिंजें.1 मिली, 2 मिली, 10 मिली शीशियां. 2 मिली टेल-इ-जेक्ट. इनमें 40% प्रोपाइलीन ग्लाइकाल, 10% इथाइल अल्कोहल, 5% सोडियम बेजोएट और बेजोइक एसिड बफर के रूप में और 1.5% बेंजाइल अल्कोहल प्रिजर्वेटिव के रूप में होते हैं।[40][41]
सेडक्सेन (डायजेपाम, हंगरी, पोलैंड, रूस और अन्य पूर्वी यूरोपियन देशों में) निम्न रूपों में उपलब्ध है:
- मौखिक प्रयोग के लिये:
- गोलियां 5 मिग्रा
- शिरा, पेशी या त्वचा के नीचे प्रयोग के लिये इंजेक्शन 5 मिग्रा प्रति मिली
- गैर-मौखिक प्रयोग के लिये:
- शिरा या पेशी में प्रयोग के लिये घोल – 5 मिग्रा प्रति मिली 2मिली एम्पूल और सिरिंजें; 1 मिली, 2 मिली, 10 मिली शीशियां, 2 मिली टेल-इ-जेक्ट.इसमें 40% प्रोपाइलिन ग्लाइकाल, 10% इथाइल अल्कोहल, 5% सोडियम बेंजोएट और बेंजोइक एसिड बफर के रूप में और 1.5% बेंजाइल अल्कोहल परिरक्षक के रूप में मिले होते हैं।[40][41]
सूचना – पेशी का इंजेक्शन अधकतर कम प्रभावशाली होता है क्यौंकि दवा दबी हुई पेशीय शिरा वाली टिटेनी से ग्रस्त पेशी में दी जाती है। इससे रक्त प्रवाह में दवा नहीं पहुंच पाती.
- गुदा में प्रयोग के लिये:
- सूंघने के लिये – इस विधि में डायजेपाम को गर्म करके वाष्प में बदल कर एयरोसाल बनाया जाता है। इससे दवा को इनहेलेशन उपचार के समय एक सूंघने की नली द्वारा प्रवाहित किया जाता है। 2-20 मिग्रा मात्रा में एक या अधिक छोटे इनहेलेशनों के रूप में उपलब्ध.[43]
- युनाइटेड स्टेट्स फौज काना (CANA) (कनवल्जिव एंटीडोट, नर्व एजेंट) नामक एक विशेष डायजेपाम उत्पादन का प्रयोग करती है, जिसमें डायजेपाम, एट्रोपीन और प्रैलिडाक्सीम (2-पैम) होते हैं। ऐसी परिस्थितियों में जब नर्व एजेंटों के रूप में रसायनिक हथियारों को संभावित खतरा समझा जाता है, तब सदस्यों को तीन मार्क 1 एनएएके (NNAK) किटों के साथ एक काना किट दी जाती है। ये दोनों किटें आटो-इंजेक्टरों का प्रयोग करके दवाओं को शरीर में पहुंचाती हैं। ये रोगी को शुद्धीकरण और नियमित स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचाने के पहले युद्ध क्षेत्र में बडी एड या सेल्फ एड द्वारा दवाओं के प्रयोग के लिये होती हैं।[44]
निषेध-संकेत
डायजेपाम का प्रयोग जहां तक संभव हो निम्न प्रकार के रोगियों में नहीं करना चाहिये:[45]
- गतिभंग
- तीव्र हाइपोवेंटिलेशन
- अक्यूट नैरो-एंगल ग्लौकोमा
- गंभीर यकृतिक विकार (यकृत शोथ और यकृत की सिरोसिस इसके निकास को आधा कर देते हैं।)
- गुर्दे के तीव्र विकार (डायालिसिस के रोगी)
- यकृत के विकार
- श्वसन के गंभीर विकार
- गंभीर स्लीप एप्निया (नींद में श्वास की रूकावट)
- तीव्र अवसाद, विशेषकर आत्महत्या की संभावना वाला.
- मनोविक्षप्ति
- गर्भावस्था या शिशु को स्तनपान
- बूढ़ों या कमजोर रोगियों में सावधानी की आवश्यकता
- बेहोशी या घात
- उपचार को अचानक रोकना
- अल्कोहल, नशीले, या अन्य साइकोएक्टिव पदार्थों का तीव्र नशा (कुछ हैल्यूसिनोजनों को छोड़ कर जहां इसे अधिमात्रा के उपचार के लिये प्रयोग किया जाता है)
- अल्कोहल या नशे पर निर्भरता का इतिहास
- माइएस्थीनिया ग्रैविस, एक आटोइम्यून रोग जिसमें बहुत थकान होती है।
- बेजोडायजेपाइन कक्षा की किसी भी दवा से अतिसंवेदनशीलता या एलर्जी
विशेष सावधानी की आवश्यकता
- अल्कोहल या नशीली दवाओं पर निर्भर लोगों और सहरूग्ण दिमागी रोगों से ग्रस्त लोगों में बेंजोडायजेपाइनों के प्रयोग के लिये विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है।[46]
- बाल रोगी
- 18 वर्ष से कम – साधारणतया नहीं दी जाती है, सिवाय मिर्गी के इलाज और शल्य चिकित्सा के पहले या बाद के उपचार के. इस समूह के रोगियों में सबसे छोटी संभव व प्रभावकारी मात्रा का प्रयोग करना चाहिये। [47]
- 6 महीनों से कम की आयु – सुरक्षा और प्रभाव अभी सुनिश्चित नहीं हुए हैं। इस आयुसमूह के रोगियों को डायजेपाम नहीं देना चाहिये। [33][47]
- बूढ़े और बहुत बीमार रोगी – सांस रूक जाने और/या हृदय के रूक जाने की संभावना होती है। अन्य केन्द्रीय नाड़ी तंत्र के अवसादकों को इसके साथ प्रयोग करने से इसका जोखिम बढ़ जाता है। इस आयु समूह के रोगियों में सबसे छोटी, संभव प्रभावकारी मात्रा का प्रयोग करना चाहिये। [33][47][48] बूढ़े लोग युवा वयस्कों की तुलना में बेजोडायजेपाइनों का चयापचय बहुत धीरे करते करते हैं और समान रक्त प्लाज्मा स्तरों पर भी वे बेजोडायजेपाइनों के असर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। डायजेपाम की मात्राएं युवा लोगों को दिये गए मात्राओं से के करीब आधी होती हैं और ये अधिकाधिक 2 हफ्तों तक ही दी जाती हैं। लंबे अर्से के बेंजोडायजेपाइन जैसे डायजेपाम बूढ़े लोगों को नहीं दिये जाते.[4] धरती पर गिर जाने के बढ़े हुए जोखिम के कारण भी डायजेपाम बूढ़े रोगियों को नहीं दिया जाता है।[49]
- कम रक्तचाप वाले या घात से ग्रस्त लोगों में शिरा या पेशी में इंजेक्शन सावधानी से देने चाहिये और जीवनोपयोगी चिन्हों की निगरानी रखनी चाहिये। [48]
- डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन वसाकर्षित होते हैं और झिल्लियों को तेजी से भेदते हैं तथा इसलिये तेजी से अपरा में प्रवेश कर जाते हैं जिससे दवा काफी मात्रा में वहां जमा हो जाती है। बढ़ी हुई गर्भावस्था में खासकर अधिक मात्राओं में डायजेपाम आदि बेजोडायजेपाइनों के प्रयोग से फ्लापी इनफैंट सिंड्रोम हो सकता है।[50]
गर्भावस्था
बढ़ी हुई गर्भावस्था में, तीसरे त्रैमासिक के समय, डायजेपाम का प्रयोग करने पर नवजात में तीव्र बेंजोडायजेपाइन विदड्राल सिंड्रोम होने का निश्चित जोखिम होता है, जिसमें हाइपोटोनिया और चूसने की अनिच्छा से लेकर श्वास रूकने के दौरे, नीलापन और ठंड के दबाव के प्रति खंडित चयापचयी प्रतिक्रियाओं जैसे लक्षण होते हैं। फ्लापी शिशु रोगसमूह और नवजात में उनींदापन भी हो सकता है। फ्लापी शिशु रोगसमूह और नवजात बेंजोडायजेपाइन विदड्राल रोगसमूह के लक्षण जन्म के बाद कुछ घंटों से लेकर कई महीनों तक होते देखे गए हैं।[51]
दुष्प्रभाव
डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइनों के दुष्प्रभावों में शामिल हैं, घटनोत्तर स्मृतिलोप और असमंजस (विशेषकर अधिक मात्रा में लेने पर) तथा उनींदापन. बूढ़े लोगों में डायजेपाम के दुष्प्रभाव जैसे असमंजस, स्मृतिलोप, गतिभंग और हैंगओवर प्रभाव तथा गिर जाना आदि अधिक होते हैं। डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइनों के लंबे समय तक प्रयोग से सहिष्णुता, बेंजोडायजेपाइन निर्भरता व बेंजोडायजेपाइन विदड्राल रोगसमूह आदि होते हैं। इसके अतिरिक्त बेंजोडायजेपाइनों संज्ञानात्मक को रोकने के बाद पहचान की कमियां कम से कम 6 महीनों तक बनी रह सकती हैं और पूरी तरह से सामान्य नहीं भी होती हैं। बेंजोडायजेपाइन के कारण अवसाद पैदा या बढ़ सकता है।[4] दौरों को नियंत्रित करने के लिये डायजेपाम के इनफ्यूजन या बार-बार शिरा में दिये जाने वाले इंजेक्शन, उदाहरण के लिये, दवा की विषाक्तता जैसे श्वास की मंदी, उनींदापन या कम रक्तचाप उत्पन्न कर सकते हैं। 24 घंटों से अधिक समय तक दिये जाने पर डायजेपाम के इनफ्यूजनों के प्रति सहिष्णुता भी उत्पन्न हो सकती है।[4] निद्रा जैसे दुष्प्रभाव, बेजोडायजेपाइन निर्भरता और दुष्प्रयोग की संभावना बेजोडायजेपाइनों की उपयोगिता कम करती है।
डायजेपाम के कई दुष्प्रभाव होते हैं जो अधिकांश बेंजोडायजेपाइनों में आम हैं। सबसे आम दुष्प्रभावों में शामिल हैं:
- आरईएम (REM) नींद का दमन
- खंडित मोटार क्रिया
- खंडित समन्वय
- खंडित संतुलन
- चक्कर और मतली
- अवसाद[52]
- रिफ्लेक्स टैकीकार्डिया (नब्ज का तेज चलना)[53]
कम रूप से सामान्य अपसामान्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जिनमें विकलता, चिड़चिड़ापन, उत्तेजना, दौरों का बढ़ जाना, अनिद्रा, पेशियों की अकड़न, मैथुन की इच्छा में परिवर्तन (कामवासना की वृद्धि या कमी) और कुछ मामलों में क्रोध और हिंसा शामिल हैं। इन दुष्प्रभावों की संभावना बच्चों, बूढ़ों, दवा या शराब के व्यसनियों और उग्रता के इतिहास वाले लोगों में अधिक होती है।[4][54][55][56] कुछ लोगों में डायजेपाम स्वयं को नुकसान पहुंचाने वाले बर्ताव की संभावना बढ़ा सकती है और तीव्र मामलों में आत्महत्या की संभावना या कृत्यों को का कारण बन सकती है।[57] यदि ये दुष्प्रभाव देखे जायं तो डायजेपाम से उपचार तुरंत रोक देना चाहिये।
बहुत विरल रूप से डिस्टोनिया[58] डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन सीखने की क्षमता और याददाश्त को खंडित कर देते हैं। ऐसा बेजोडायजेपाइन ग्राहकों पर उनकी क्रिया के कारण होता है, जिससे कोलिनर्जिक न्यूरोनल सिस्टम में बाधा उत्पन्न हो जाती है।[59]
डायजेपाम वाहन या मशीनें चलाने की योग्यता को खंडित कर सकता है। यह असर शराब के सेवन से और भी बुरा हो सकता है क्यौंकि दोनों ही केंद्रीय नाड़ी तंत्र के मंदनकारकों का काम करते हैं।[33]
उपचार के समय निद्रा के प्रभावों के प्रति सहिष्णुता अकसर उत्पन्न हो जाती है, लेकिन चिंतानिवारक और पेशीशिथिलक प्रभावों के प्रति ऐसा नहीं होता। [60]
नींद में श्वास रूकने के तीव्र दौरों के रोगियों को श्वास में रूकावट (हाइपोवेंटिलेशन) होकर श्वास बंद होकर मृत्यु हो सकती है।
5 मिग्रा से अधिक मात्रा में डायजेपाम के प्रयोग से उनींदेपन के साथ जागरूकता में विशेष कमी आती है।[61]
सहिष्णुता और शारीरिक निर्भरता
अन्य बेंजोडायजेपाइन दवाओं की तरह डायजेपाम भी निर्भरता, शारीरिक निर्भरता, व्यसन और बेंजोडायजेपाइन विदड्राल सिंड्रोम उत्पन्न कर सकता है। डायजेपाम और अन्य बेंजोडायजेपाइनों के बंद करने पर अकसर ऐसे लक्षण देखे जाते हैं जो बार्बिचुरेटों व अल्कोहल के बंद करने से होने वाले लक्षणों जैसे ही होते हैं। मात्रा जितनी अधिक और जितने अधिक समय से ली जा रही हो, अप्रिय विदड्राल लक्षण होने का जोखिम भी उतना ही अधिक होता है। विदड्राल के लक्षण नियमित मात्रा पर और लघु अवधि के प्रयोग के बाद भी उत्पन्न हो सकते हैं और ये अनिद्रा और चिंता से लेकर दौरों व पागलपन जैसे अधिक गंभीर लक्षणों तक हो सकते हैं। कभी-कभी विदड्राल के लक्षण पहले से मौजूद रोगों के लक्षणों के जैसे ही होते हैं और इसलिये उनका गलत निदान किया जा सकता है। डायजेपाम उसकी दीर्घ निकास हाफ-लाइफ होने के कारण कम तीव्र विदड्राल लक्षण उत्पन्न करता है। जहां तक संभव हो बेंजोडायजेपाइन उपचार को धीरे-धीरे मात्रा को कम करके बंद करना चाहिये। [4][62] बेंजोडायजेपाइनों के चिकित्सकीय प्रभावों के प्रति सहिष्णुता उत्पन्न हो जाती है। उदा.मिर्गी-निरोधी प्रभाव के प्रति सहिष्णुता विकसित हो जाती है, जिसके कारण मिर्गी के दीर्घकालिक उपचार के लिये बेंजोडायजेपाइनों का आम तौर पर प्रयोग नहीं किया जाता. मात्रा को बढ़ाने से सहिष्णुता से छुटकारा पाया जा सकता है, पर ऊंची मात्राओं पर सहिष्णुता फिर उत्पन्न हो सकती है और दुष्प्रभाव बढ़ सकते हैं। बेंजोडायजेपाइनों के प्रति सहिष्णुता की प्रक्रिया में ग्राहक स्थलों का वियुगलीकरण, जीन एक्सप्रेशन में परिवर्तन, ग्राहक स्थलों का डाउनरेगुलेशन और गाबा के प्रभाव के प्रति ग्राहक स्थलों का विसंवेदीकरण शामिल हैं। 4 सप्ताह से अधिक तक बेंजोडायजेपाइन लेने वाले लोगों का एक तिहाई उसपर निर्भर हो जाता है और उन्हें रोकने पर विदड्राल लक्षण महसूस करता है।[4] विदड्राल की दरों (50–100%) में भिन्नता जांच किये जा रहे रोगी के नमूने के अनुसार अलग-अलग होती है। उदा.बेंजोडायजेपाइनों का लंबे अर्से से प्रयोग कर रहे लोगों के एक रैंडम नमूने से यह ज्ञात हुआ है कि 50% के करीब लोगों को विदड्राल लक्षण जरा से या बिल्कुल ही नहीं होते हैं, जबकि बाकी 50% लोगों में ध्यान देने योग्य विदड्राल लक्षण होते हैं। कुछ चुने हुए रोगी समूहों में 100% तक ध्यान देने योग्य विदड्राल लक्षण होते हैं।[63] पहले से मौजूद चिंता की अपेक्षा अधिक गंभीर रिबाउंड चिंता भी डायजेपाम या अन्य बेंजोडायजेपाइनों को रोकने से होने वाला एक आम विदड्राल लक्षण है।[64] इसलिये डायजेपाम का प्रयोग लघु अवधि के उपचार के लिये सबसे कम संभव डोज़ पर किया जाता है क्यौंकि धीरे-धीरे कम करने पर भी छोटी मात्राओं से गंभीर विदड्राल लक्षण होने का जोखिम होता है।[65] डायजेपाम पर औषधिक रूप से निर्भर होने का और 6 महीनों से अधिक तक बेंजोडायजेपाइन लेने पर इसके विदड्राल लक्षण उत्पन्न होने का विशेष जोखिम होता है।[66] मानवों में डायजेपाम के मिर्गीनिरोधी प्रभावों के प्रति सहिष्णुता अकसर विकसित हो जाती है।[67]
ओवरडोज़
आवश्यकता से अधिक डायजेपाम का सेवन करने वाले व्यक्ति में पहले चार घंटों में निम्न लक्षणों में से एक या अधिक देखे जा सकते हैं।:[33][68]
- सुस्ती
- मानसिक असमंजस
- रक्तचाप में कमी
- खंडित मोटार क्रियाएं
- खंडित रिफ्लेक्सें
- खंडित समन्वय
- खंडित संतुलन
- चक्कर
- कोमा या बेहोशी
हालांकि अकेले लेने पर यह जानलेवा नहीं होता है, फिर भी डायजेपाम ओवरडोज को मेडिकल आपातस्थिति माना जाता है और साधारणतया इसे तुरंत चिकित्सकीय देखरेख की आवश्यकता होती है। डायजेपाम (या किसी भी बेंजोडायजेपाइन के) अधिमात्रा का तोड़ फ्लूमाजेनिल (एनेक्सेट) है। यह दवा केवल तीव्र श्वसन मंदता या हृदय-रक्तनलिका समस्याओं में ही प्रयोग की जाती है। चूंकि फ्लूमाजेनिल एक लघु समय के लिये काम करने वाली दवा है और डायजेपाम का प्रभाव कई दिनों तक रह सकता है, इसलिये फ्लूमाजेनिल के कई डोज़ों की आवश्यकता होती है। कृत्रिम श्वसन और हृदय-रक्तनलिका कार्यों के स्थिरीकरण की भी जरूरत पड़ सकती है। हालांकि नियमित रूप से न किये जाने पर भी, डायजेपाम ओवरडोज़ के बाद पेट की सफाई के लिये सक्रिय चारकोल का प्रयोग किया जा सकता है। वमन नहीं कराया जाना चाहिये। डायालिसिस का प्रभाव न्यूनतम होता है। रक्तचाप में गिरावट का लेवार्टीरीनाल या मेटारैमिनाल से उपचार किया जा सकता है।[4][18][33][68]
डायज़ेपाम का मौखिक एलडी50 (जनसंख्या के 50% में घातक मात्रा) माइस में 720 मिग्रा/किलोग्राम और चूहों में 1240मिग्रा/किलोग्राम है।[33] डी.जे.ग्रीनब्लैट और साथियों ने 1978 में दो रोगियों, जिन्होंने 500 और 2000 मिग्रा डायजेपाम लिया था और मध्यम-गहरी बेहोशी से ग्रस्त हो गए थे, तथा अस्पताल में व बाद में लिये गए रक्त के नमूनों के अनुसार डायजेपाम और उसके चयापचकों - डेसमिथाइलडायजेपाम, आक्सजेपाम और टेमाजेपाम - की उच्च मात्राएं होने के बावजूद, 48 घंटों में बिना किसी महत्वपूर्ण समस्याओं के अस्पताल से छुट्टी पा ली थी, के बारे में बताया। [69]
अल्कोहल, अफीम-जन्य पदार्थों और/या अन्य अवसादकारकों के साथ डायजेपाम की अधिमात्रा घातक हो सकता है।[10][70]
भौतिक गुण
डायजेपाम ठोस सफेद या पीले स्फटिक के रूप में पाया जाता है और उसका द्रवण बिंदु 131.5 से 134.5 डिग्री सें. होता है। यह गंधहीन होता है और हल्के कड़वे स्वाद से युक्त होता है। ब्रिटिश फार्मकोपिया की सूची में डायजेपाम पानी में बहुत कम घुलनशील, अल्कोहल में घुलनशील और क्लोरोफार्म में मुक्त रूप से घुलनशील पदार्थ के रूप में वर्णित है। युनाइटेड स्टेट्स फार्मकोपिया के अनुसार डायजेपाम इथाइल अल्कोहल के 16 में 1, क्लोरोफार्म के 2 में 1, ईथर के 39 में 1 भाग में घुलनशील तथा पानी में जरा भी घुलनशील नहीं होता है। डायजेपाम का पीएच तटस्थ होता है (अर्थात् pH=7)। डायजेपाम की गोलियों की शेल्फ-लाइफ 5 वर्ष और शिरा/पेशीय घोल की 3 वर्ष होती है।[18] डायजेपाम को कमरे के तापमान (15-30 डिग्री सें) पर रखना चाहिये। गैर-मौखिक इंजेक्शन को प्रकाश से दूर रखना चाहिये और अधिक ठंडा नहीं करना चाहिये। मौखिक प्रकारों को हवा-बंद डिब्बों में प्रकाश से बचा कर रखना चाहिये। [40]
डायजेपाम प्लास्टिक में अवशोषित हो सकता है और इसलिये इसे प्लास्टिक बोतलों या सिरिंजों आदि में नहीं रखा जाता है। यह अंतर्शिरा इनफ्यूजनों के लिये प्रयुक्त प्लास्टिक थैलियों और नलियों में अवशोषित हो सकता है। अवशोषण अनेक कारकों जैसे तापमान, सांद्रता, प्रवाह की दर और नली की लंबाई आदि पर निर्भर होता है। डायजेपाम यदि प्रेसिपिटेट हो जाय और न घुल पाए तो उसका प्रयोग नहीं करना चाहिये। [40]
औषधि विज्ञान
डायजेपाम एक आदर्श बेंजोडायजेपाइन है। अन्य आदर्श बेजोडायजेपिनों में क्लोरडायजेपाक्साइड, क्लोनजेपाम, लोरजेपाम, आक्सजेपाम, नाइट्रजेपाम, टेमाजेपाम, फ्लूरजेपाम[], ब्रोमजेपाम[] और क्लोराजिपेट[] शामिल हैं।[71] डायजेपाम के मिर्गी-निरोधक गुण होते हैं।[72] डायजेपाम का गाबा के स्तरों और ग्लूटामेट डीकार्बाक्सिलेज गतिविधि पर कोई प्रभाव नहीं होता है लेकिन गामा-अमिनोबुटिरिक एसिड ट्रांसअमाइनेज गतिविधि पर हल्का असर होता है। यह अन्य सभी मिर्गी-निरोधक दवाओं की तुलना में भिन्न होता है।[73] बेजोडायजेपाइन माइक्रोमोलार बेंजोडायजेपाइन बाइंडिंग सिटों के जरिये Ca2+ चैनल-ब्लाकरों की तरह काम करते हैं और चूहे की नाड़ी कोशिका में डीपोलराइजेशन के प्रति संवेदनशील कैल्शियम अपटेक को प्रतिबंधित करते हैं।[74]
डायजेपाम मूषक के हिप्पोकैम्पल साइनेप्टोसोमों में एसिटाइलकोलीन मुक्ति का अवरोध करता है। ऐसा मूषकों को डायजेपाम देने के बाद उनके मस्तिष्क की कोशिकाओं को शरीर के बाहर निकालकर उनमें सोडियम पर निर्भर उच्च आकर्षण वाले कोलीन के अपटेक को माप कर देखा गया है। यह बात डायजेपाम के मिर्गी विरोधी गुणों की व्याख्या करने में भूमिका अदा कर सकती है।[75]
डायजेपाम पशु कोशिका कल्चरों में ग्लयाल कोशिकाओं के साथ उच्च आकर्षण के साथ बंधता है।[76] अधिक मात्रा में डायजेपाम मूषक के मस्तिष्क में बेजोडायजेपाइन-गाबा ग्राहक काम्प्लेक्स पर डायजेपाम की क्रिया के जरिये हिस्टमिन टर्नओवर को कम करता है।[77] डायजेपाम चूहों में प्रोलैक्टिन की मुक्ति को भी कम करता है।[78]
कार्य की प्रक्रिया
डायजेपाम एक बोंजोडायजेपाइन है जो GABAA ग्राहक पर एक स्थान पर विशेष उपइकाई पर बंधता है, जो एंडोजीनस गाबा अणु की बाइंडिंग साइट से भिन्न होता है। GABAA ग्राहक एक प्रतिरोधात्मक चैनल है जो सक्रिय होने पर न्यरान की गतिविधि को कम कर देता है। बेंजोडायजेपाइन न्यूरोट्रांसमिटर गाबा के पूरक नहीं होते, बल्कि डायजेपाम जैसे बेंजोडायजेपाइन GABAA ग्राहक पर एक भिन्न स्थल पर जुड़ते हैं जिससे गाबा का प्रभाव बढ़ जाता है। गाबा के GABAA ग्राहक पर अपने स्थल से जुड़ने पर बेंजोडायजेपाइन क्लोराइड आयन चैनल में एक बढ़ा हुआ रास्ता बनाते हैं, जिससे अधिक क्लोराइड आयन न्यूरान में प्रवेश करते हैं, जिसके परिणाम-स्वरूप केंद्रीय नाड़ी तंत्र की मंदता के प्रभाव अधिक होते हैं।[4] डायजेपाम GABAA ग्राहकों वाले अल्फा1, अल्फा2, अल्फा3 और अल्फा5 उपइकाईयों से जुड़ता है।[6]
डायजेपाम की बेंजोडायजेपाइन ग्राहकों से बंधन के समय गाबा के दमनात्मक एलोस्टीयरिक माडुलेटर रूप में भूमिका के कारण इसके अवरोधी असर होते हैं। ऐसा GABAA ग्राहकों द्वारा ऋणात्मक क्लोराइड आयनों पर किये गए नियंत्रण के कारण हुए पोस्ट साइनेप्टिक झिल्ली के हाइपर-पोलराइजेशन के कारण होता है।[33][79]
डायजेपाम लिंबिक सिस्टम, थैलेमस और हाइपोथैलेमस के क्षेत्रों पर असर डालकर चिंतानाशक प्रभाव उत्पन्न करता है। इसकी गतिविधियां GABA की गतिविधियों के बढ़ने के कारण होती हैं।[1][79] डायजेपाम सहित बेंजोडायजेपाइन दवाएं मस्तिष्क की कोर्टेक्स में अवरोधक प्रक्रियाओं को बढ़ाती हैं।[80]
डायजेपाम और अन्य बेंजोडायजेपाइनों के मिर्गीनिरोधक गुण पूरे या आंशिक रूप से बेजोडायजेपाइन ग्राहकों की बजाय वोल्टेज पर निर्भर सोडियम चैनलों से उनके जुड़ने से हो सकते हैं। लगातार और बार बार होने वाले दौरे सोडियम चैनलों के निष्क्रियता से उबरने को धीमा करने के बेंजोडायजेपाइनों के प्रभाव के कारण सीमित होते लगते हैं।[81]
डायजेपाम के पेशियों को शिथिल करने वाले गुण मेरू-रज्जु में पालिसाइनेप्टिक पथमार्गों के प्रतिबंध के जरिये उत्पन्न होते हैं।[82]
औषधगतिकी
डायजेपाम को मुंह से, शिरा के जरिये (इसे पतला करना आवश्यक है, क्यौंकि यह दर्दपूर्ण और शिराओं के लिये हानिकारक होता है), पेशी में (नीचे देखें) या सपाजिटरी के रूप में दिया जा सकता है।[18]
मौखिक रूप से देने पर डायजेपाम तेजी से अवशोषित होता है और इसका असर तेजी से शुरू होता है। असर की शुरूआत शिरा में देने के बाद 1-5 मिनट में और पेशी में देने के बाद 15-30 मिनट में होती है। डायजेपाम के शीर्ष औषधिक असर की अवधि दोनों रास्तों से 15 मिनट से 1 घंटा होती है।[53] मौखिक प्रयोग के बाद जैवउपलब्धि 100 प्रतिशत और गुदा से देने के बाद 90 प्रतिशत होती है। शीर्ष प्लाज्मा स्तर मौखिक प्रयोग के बाद 30 से 90 मिनट में और पेशी में देने के बाद 30 मिनट से 60 मिनट में बन जाते हैं। गुदा में देने के बाद शीर्ष प्लाज्मा स्तर 10 से 45 मिनटों में बन जाते हैं। डायजेपाम अत्यंत प्रोटीन-बंधित होता है और 96 से 99 प्रतिशत दवा प्रोटीन-बंधित होती है। डायजेपाम की वितरण हाफ लाइफ 2 मिनट से 13 मिनट होती है।[4]
डायजेपाम को पेशी में इंजेक्शन (यह दर्दपूर्ण होता है और इसकी सलाह नहीं दी जाती है) के रूप में देने पर अवशोषण धीमा, त्रुटिपूर्ण और अपूर्ण होता है।[14]
डायजेपाम अत्यधिक वसा-घुलनशील होता है और प्रयोग के बाद सारे शरीर में वितरित हो जाता है। यह रक्त-मस्तिष्क अवरोध और अपरा को आसानी से पार कर जाता है, तथा स्तन के दूध में स्रवित होता है। अवशोषण के बाद डायजेपाम का पेशी और वसा ऊतक में पुनर्वितरण होता है। डायजेपाम की लगातार दैनिक मात्राएं तेजी से जमा होकर शरीर (मुख्यतः वसायुक्त ऊतक में) में बड़ी मात्रा बन जाती हैं, जो किसी भी दिन लिये गए वास्तविक डोज़ से बहुत अधिक होती है।[4]
डायजेपाम का हृदय सहित कुछ अवयवों में विशेष भंडारण होता है। किसी भी मार्ग से देने पर अवशोषण और नवजात में जमाव का जोखम काफी बढ़ जाता है और गर्भावस्था और स्तनपान के समय डायजेपाम को बंद करने की सिफारिश चिकित्सा की दृष्टि से उपयुक्त है।[83]
डायजेपाम का आक्सीकारक चयापचय डीमिथाइलेशन (सीवाईपी 2सी9, 2सी19, 2बी6, 3ए4 और 3ए5), हाइड्राक्सिलेशन (सीवाईपी 3ए4 और 2सी19) और साइटोक्रोम पी450 एंजाइम सिस्टम के भाग के रूप में यकृत में ग्लुकुरोनिडेशन द्वारा होता है। डायजेपाम के कई औषधिक रूप से सक्रिय चयापचयक होते हैं। डायजेपाम का मुख्य सक्रिय चयापचयक डेसमिथाइलडायजेपाम है (जिसे नारडजेपाम या नारडायजेपाम भी कहते हैं)। डायजेपाम के अन्य सक्रिय चयापचयकों में छोटे सक्रिय चयापचयक टेमाजेपाम और आक्सजेपाम शामिल हैं। ये चयापचयक ग्लुकुरोनाइड से संयुक्त होते हैं और मुख्यतः मूत्र में निष्कासित होते हैं। इन सक्रिय चयापचयकों के कारण डायजेपाम के असर को जानने के लिये उसके केवल सीरम स्तर ही काफी नहीं हैं। डायजेपाम की बाईफेजिक हाफ-लाइफ 1-3 दिन और सक्रिय चयापचयक डेसमिथाइलडायजेपाम की 2-7 दिन है।[4]
दवा का अधिकांश भाग चयापचय हो जाता है; डायजेपाम बहुत कम परिवर्तित हुए बिना निष्कासित होता है।[18]
डायजेपाम और सक्रिय चयापचयक डेसमिथाइलडायजेपाम की निष्कासन हाफ लाइफ वृद्ध लोगों में काफी बढ़ जाती है, जिससे दीर्घकालिक असर औऱ बार-बार देने पर दवा का संग्रह हो सकता है।[84]
अंतर्क्रियाएं
डायजेपाम को अन्य दवाओं के साथ देने पर संभावित औषधिक अंतर्क्रियाओं की ओर ध्यान देना चाहिये। डायजेपाम के असर को बढ़ाने वाली दवाईयों जैसे बार्बिचुरेट, फीनोथायाजीन, नार्कोटिक और एंटीडिप्रेसेंटों के साथ सावधानी बरतना चाहिये। [33]
डायजेपाम यकृतीय एंजाइम गतिविधि को बढ़ाता या घटाता नहीं है और अन्य यौगिकों के चयापचय को नहीं बदलता है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि डायजेपाम लंबे प्रयोग के बाद अपने चयापचय को बदल लेता है।[18]
यकृतीय साइटोक्रोम पथमार्गों या संयुक्तीकरण को प्रभावित करने वाले एजेंट डायजेपाम चयापचय की दर को बदल सकते हैं। ऐसी अंतर्क्रियाएं दीर्घकालिक डायजेपाम उपचार के साथ सबसे महत्वपूर्ण होते हैं और उनका चिकित्सकीय महत्व भिन्न होता है।[18]
- डायजेपाम अल्कोहल, अन्य हिप्नोटिकों/निद्राकारकों (उदा.बार्बिचुरेट), नार्कोटिकों, अन्य पेशी शिथिलकों, कतिपय एंटीडिप्रेसेंटों, निद्राकारक एंटीहिस्टमिनों, अफीम-जन्य पदार्थों और एंटीसाइकोटिकों तथा मिर्गीनिरोधकों जैसे फीनोबार्बिटाल, फेनीटाइन और कार्बमजेपाइन के केन्द्रीय मंदकारक प्रभावों को बढ़ाता है। अफीमी पदार्थों के उन्माद के असर बढ़ सकते हैं जिससे मानसिक निर्भरता का खतरा बढ़ जाता है।[4][47][85]
- सिमेटिडीन, ओमीप्रेजोल, आक्सकार्बजेपाइन, टिक्लोपिडीन, टोपिरामेट, कीटोकोनाजोल, इट्राकोनाजोल, डाइसल्फिराम, फ्लूवोक्सामीन, आइसोनियाजिड, एरिथ्रोमाइसिन, प्रोबेनेसिड, प्रोप्रेनोलाल, इमिप्रेमीन, सिप्रोफ्लाक्सासिन, फ्लुओक्सेटिन और वैलप्रोइक एसिड डायजेपाम के असर को उसके निकास को अवरूद्ध करके बढ़ा देते हैं।[18][40] आक्सकार्बजेपाइन, टिक्लोपिडीन और टोपिरामेट भी डायजेपाम के निकास का अवरोध करते हैं।[4]
- अल्कोहल (इथेनाल) को डायजेपाम के साथ प्रयोग करने पर बेजोडायजेपाइनों और अल्कोहल के रक्तचाप को कम करने के गुणों में वृद्धि हो सकती है।[86]
- मौखिक गर्भनिरोधक (पिल) डायजेपाम के मुख्य चयापचयक डेसमिथाइलडायजेपाम के निकास को काफी कम कर सकते हैं।[47][87]
- रिफैम्पिन, फेनिटाइन, कार्बमजेपाइन और फीनोबार्बिटाल डायजेपाम के चयापचय को बढ़ाते हैं जिससे दवा का स्तर और प्रभाव कम हो जाता है।[18] डेक्सामेथसोन और सेंट जान्स वोर्ट भी डायजेपाम के चयापचय में वृद्धि करते हैं।[4]
- डायजेपाम सीरम में फीनोबार्बिटाल के स्तरों को बढ़ाता है।[88]
- नेफाजोडोन बेजोडायजेपाइनों के रक्त स्तरों में वृद्धि कर सकता है।[47]
- सिसाप्राइड अवशोषण को बढ़ा सकता है जिससे डायजेपाम की निद्राकारक गतिविधि बढ़ सकती है।[89]
- थियोफिलिन की छोटी मात्राएं डायजेपाम के असर को कम कर सकती हैं।[90]
- डायजेपाम लीवोडोपा (पार्किंसन्स रोग में प्रयुक्त) के कार्य को अवरूद्ध कर सकता है।[85]
- डायजेपाम डिजाक्सिन के सीरम-स्तरों को प्रभावित कर सकता है।[18]
- डायजेपाम से अंतर्क्रिया कर सकने वाली अन्य दवाओं में शामिल हैं – एंटीसाइकोटिक (उदा.क्लोरप्रोमजिन), एमएओ (MAO) अवरोधक, रैनिटिडीन.[47]
- कैफीन डायजेपाम के और डायजेपाम कैफीन के प्रभावों को रोक सकता है।[91]
- तम्बाखू के धुंए का सेवन डायजेपाम के निकास को बढ़ाकर उसके असर को कम कर सकता है।[85]
- गाबा ग्राहक पर प्रभाव के कारण हर्ब वैलेरियन एक दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।[92]
- मूत्र का अम्लीकरण करने वाले खाद्य पदार्थ डायजेपाम के अवशोषण और निकास की गति बढ़ा सकते हैं, जिससे दवा के स्तर और गतिविधि में कमी हो सकती है।[85]
- मूत्र का क्षारीकरण करने वाले आहार डायजेपाम के अवशोषण और निकास को धीमा कर सकते हैं जिससे रक्त में उसका स्तर और गतिविधि बढ़ सकती है।[18]
- इस बारे में प्रतिद्वंदी रिपोर्टें हैं कि क्या आहार का सामान्यतया मौखिक रूप से दिये गए डायजेपाम के अवशोषण और गतिविधि पर कोई प्रभाव होता है।[85]
औषधिक दुरूपयोग और लत
डायजेपाम संभावित दुरूपयोग की दवा है और व्यसन की गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर सकता है और इसीलिये यह एक सूचीकृत दवा है। डायजेपाम जैसे बेजोडायजेपाइनों की सिफारिश करने के तरीकों को सुधारने के लिये राष्ट्रीय सरकारों द्वारा तुरंत कार्यवाही की आवश्यकता है।[5][6] डायजेपाम का एक मात्रा डोपमिन तंत्र को उसी तरह परिवर्तित करता है जैसे मार्फीन और अल्कोहल डोपामिनर्जिक पथमार्गों को परिवर्तित करते हैं।[93] 50 से 64 प्रतिशत चूहे डायजेपाम का स्वतः प्रयोग कर लेते हैं।[94] पशु अध्ययनों में डायजेपाम सहित बेंजोडायजेपाइन इम्पल्सिविटी को बढ़ाकर पुरस्कार पाने की इच्छा के बर्तावों को बढ़ाते पाए गए हैं, जिससे डायजेपाम और अन्य बेंजोडायजेपाइनों के उपयोग से व्यसनकारक बर्ताव के पैटर्नों के जोखिम के बढ़ने की संभावना लगती है।[95] इसके अतिरिक्त डायजेपाम को एक प्राइमेट अध्ययन में बार्बिचुरेट के बर्ताव संबंधी प्रभावों को विस्थापित करते दिखाया गया है।[96] डायजेपाम को हिरोइन में मिलावट के रूप में भी पाया गया है।[97]
डायजेपाम औषधि दुरूपयोग, रिक्रियेशनल दुरूपयोग से, जिसमें इसे एक हाई प्राप्त करने के लिये लिया जाता है, या जब इसे डाक्टरी सलाह के विरूद्ध लंबे समय तक लिया जाता है, तो उसके कारण हो सकता है।[98]
कभी-कभी डायजेपाम को उत्तेजक पदार्थ प्रयोग करने वालों द्वारा नीचे उतरने और सोने के लिये तथा अधिक सेवन की इच्छा को नियंत्रित करने के लिये प्रयोग किया जाता है।[99]
एसएएमएचएसए (SAMSHA) द्वारा किये गए एक बड़े यूएसए सरकारी अध्ययन में पाया गया कि यूएसए में बेंजोडायजेपाइन सबसे अधिक दुरूपयोग की जाने वाली दवाईयां हैं और इमरजेंसी विभाग में औषधि-संबंधी मामलों का 35 प्रतिशत बेंजोडायजेपाइनों से संबंधित होता है। बेंजोडायजेपाइन का दुरूपयोग अफीम-जन्य दवाओं से अधिक होता है, जिसके लिये 32 प्रतिशत मामले इमरजेंसी विभाग में आते हैं। किसी और दवा का बेंजोडायजेपाइनों से अधिक दुरूपयोग नहीं होता। पुरूष और महिलाएं समान रूप से बेंजोडायजेपाइनों का दुरूपयोग करते हैं। आत्महत्या के प्रयत्नों के लिये इस्तेमाल दवाओं में बेंजोडायजेपाइन ही सबसे अधिक प्रयुक्त दवाएं हैं और 26 प्रतिशत मामलों में इसका प्रयोग होता है। सबसे अधिक दुरूपयोग किये जाने वाला बेंजोडायजेपाइन अल्प्रैजोलाम है। क्लोनजेपाम दूसरा सबसे अधिक दुरूपयोगित बेंजोडायजेपाइन है। संयुक्त राज्य अमेरिका में लोरजेपाम और डायजेपाम क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर आते हैं।[100]
स्वीडन में डायजेपाम, नाइट्रजेपाम और फ्लुनाइट्रजेपाम सहित बेंजोडायजेपाइन दवा के नकली नुस्खों का सबसे बड़ा हिस्सा (52%) होते हैं।[101]
स्वीडन में दवा के प्रभाव में वाहन चलाने के संशय वाले लोगों के 26 प्रतिशत मामलों में डायजेपाम मौजूद पाया गया और 28 प्रतिशत मामलों में उसका सक्रिय चयापचयक नार्डजेपाम पाया गया। अन्य बेंजोडायजेपाइन और ज़ोल्पिडेम व ज़ोपिक्लोन भी बड़ी संख्या में देखे गए। कई ड्राइवरों में दवाईयों के रक्त स्तर उपचार के लिये प्रयुक्त मात्रा से बहुत अधिक थे जिससे बेंजोडायजेपाइनों, ज़ोल्पिडेम और ज़ोपिक्लोन के दुरूपयोग की उच्च संभावना का अंदाजा लगाया जा सकता है।[102] उत्तरी आयरलैंड में जिन प्रभावित ड्राइवरों के नमूनों में दवाएं पाई गईं, लेकिन अल्कोहल नहीं पाया गया, उनमें 87 प्रतिशत मामलों में बेंजोडायजेपाइन पाए गए। डायजेपाम सबसे आम तौर पर पाया जाने वाला बेंजोडायजेपाइन था।[103]
दुरूपयोग या लत के अधिक जोखिम वाले रोगी
डायजेपाम से औषधिक दुरूपयोग और मानसिक निर्भरता/औषधिक लत हो सकती है।[104] निम्न प्रकार के रोगियों में डायजेपाम के कुउपयोग, दुरूपयोग या मानसिक निर्भरता का विशेष उच्च जोखिम संभव है:
- अल्कोहल या औषधि दुरूपयोग के इतिहास वाले रोगी[33][105] डायजेपाम अल्कोहल के आदी लोगों में अल्कोहल की इच्छा बढ़ाता है। डायजेपाम समस्याग्रस्त शराबियों के द्वारा ली गई शराब की मात्रा भी बढ़ा देता है।[106]
- गंभीर व्यक्तित्व विकारों, जैसे बार्डरलाइन व्यक्तित्व विकार, से ग्रस्त रोगी.[107]
उपर्लिखित समूहों वाले रोगियों को उपचार के समय दुरूपयोग और निर्भरता के विकास के चिन्हों के लिये बहुत बारीकी से निगरानी में रखना चाहिये। यदि इनमें से कोई भी चिन्ह देखे जायं तो उपचार को तुरंत रोक देना चाहिये, हालांकि यदि शारीरिक निर्भरता विकसित हो जाय तो भी उपचार को शनैः-शनैः रोकना चाहिये ताकि गंभीर विदड्राल लक्षण उत्पन्न न हों. इन रोगियों में दीर्घकालिक उपचार की सलाह नहीं दी जाती है।[33][105]
भौतिकक्रियातमक रूप से बेंजोडायजेपाइन दवाओं की लत से ग्रस्त रोगियों में दवा को बहुत धीरे-धीरे बंद करना चाहिये। लंबी समयावधि तक बडी मात्रा में लिये जाने पर विदड्राल जीवन-घातक हो सकता है, हालांकि ऐसा होने की संभावना काफी कम है। चिकित्सकीय या मौजमस्ती के उद्देश्यों से प्रयोग करने पर दोनों ही स्थितियों में समान रूप से सावधानी बरतनी चाहिये।
कानूनी स्थिति
डायजेपाम को अधिकांश देशों में प्रेस्क्रिप्शन दवा के रूप में नियंत्रित किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय : डायजेपाम कनवेंशन आन साइकोट्रापिक सबस्टैंसज़ के अंतर्गत एक सूची IV नियंत्रित दवा है।[108]
- यूके : नियंत्रित दवा के रूप में वर्गीकृत, मिसयूज ऑफ ड्रग्ज़ रेगुलेशन्स 2001 के सूची IV, भाग I में सूचित और वैध नुस्खे पर रखने के लिये स्वीकृत. मिसयूज़ ऑफ ड्रग्ज़ ऐक्ट 1971 के अनुसार इस दवा को बिना नुस्खे के रखना गैरकानूनी है और इसलिये इसे कक्षा सी दवा की तरह वर्गीकृत किया गया है। "List of Controlled Drugs" (PDF).[मृत कड़ियाँ]
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विषाक्तता
डायजेपाम, नाइट्रजेपाम और क्लोरडायजेपाक्साइड की विषाक्तता पर मूषकों के शुक्राणुओं पर प्रयोगशाला में की गई परीक्षाओं से यह ज्ञात हुआ है कि डायजेपाम शुक्राणु में विषाक्तता उत्पन्न करता है जिसमें शुक्राणु के शीर्ष के आकार व रूप शामिल हैं। लेकिन नाइट्रजेपाम डायजेपाम की अपेक्षा अधिक विकार उत्पन्न करता है।[110]
इन्हें भी देखें
- बेंज़ोडाइज़ेपाइन
- बेंज़ोडाइज़ेपाइन निर्भरता
- बेंज़ोडाइज़ेपाइन वापसी सिंड्रोम
- बेंज़ोडाइज़ेपाइन के दीर्घकालीन प्रभाव
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दिए जाने पर|url= भी दिया जाना चाहिए
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