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टाउन हॉल, कोलकाता

टाउन हॉल, कोलकाता

टाउन हॉल, कोलकाता
सामान्य विवरण
वास्तुकला शैली रोमन डोरिक
स्थानकोलकाता, भारत Flag of भारत
पता 4, एस्प्लानेड रो (पश्चिम), कोलकाता - 700001
निर्माण सम्पन्न 1813
स्वामित्वकोलकाता नगर निगम
योजना एवं निर्माण
वास्तुकार कर्नल जॉन गारस्टिन

टाउन हॉल, कोलकाता स्थित एक इमारत है जिसका निर्माण 1813 में वास्तुकार और अभियंता मेजर-जनरल जॉन गारस्टिन (1756-1820) द्वारा किया गया था। रोमन डोरिक शैली में निर्मित इस इमारत के निर्माण में कुल 700,000 रुपये खर्च हुए थे, जिनकी उगाही एक लॉटरी के माध्यम से की गयी थी, तथा इसका उद्देश्य यूरोपीय लोगों को सामाजिक समारोहों के लिए एक जगह उपलब्ध कराना था।

इमारत का इतिहास

1860 के दशक में टाउन हॉल।

1813 से 1900

टाउन हॉल का निर्माण 1813 में रोमन-डोरिक (देहाती-रोमन) शैली में किया गया था। शुरुवात में एक समिति इसका प्रबंधन देखती थी और सरकार द्वारा निर्धारित नियम और शर्तों के तहत इसके सार्वजनिक उपयोग की अनुमति प्रदान करती थी। आम जनता को इसके भूतल में रखी गयी मूर्तियों और बड़े आकार के चित्रों को देखने की अनुमति थी, लेकिन सबको ऊपरी मंजिल पर जाने की अनुमति नहीं थी। ऊपरी मंजिला के उपयोग के इच्छुक लोगों को समिति के पास अपनी अर्जी देनी होती थी।

1867 में इसका प्रबंधन नगर प्राधिकरण, द जस्टिसेस ऑफ़ पीस फॉर द इम्प्रूवमेंट ऑफ टाउन ऑफ कैल्कटा (बाद में कलकत्ता नगर निगम) के अंतर्गत आ गया। 1870 के दशक में, मुख्य न्यायाधीश रिचर्ड काउच के समय में, जब उच्च न्यायालय की वर्तमान इमारत निर्माणाधीन थी, तब टाउन हॉल को अस्थायी रूप से न्यायिक प्रयोजनों के लिए भी इस्तेमाल किया गया था। 1871 में, एक कनिष्ठ न्यायाधीश जॉन पैक्‍सटन नॉर्मन की हत्या टाउन हॉल की सीढ़ियों से उतरते समय वहाबी संप्रदाय के एक कट्टरपंथी मुस्लिम द्वारा हत्या कर दी गई। 1897 में 11.26 लाख रुपये की लागत से टाउन हॉल का नवीनीकरण किया गया।

1900 से 1947

1914 में रामनाथ टैगोर की प्रतिमा को छोड़कर संगमरमर की अन्य सभी प्रतिमाओं को विक्टोरिया मेमोरियल में स्थानांतरित कर दिया गया। 1919 में द्विशासन की शुरूआत के बाद, टाउन हॉल का इस्तेमाल बंगाल विधान परिषद के परिषद कक्ष के रूप में किया गया। हॉल की आंतरिक सज्जा में परिषद के आवश्यकताओं के अनुरूप बदलाव किए गये। परिषद के अध्यक्ष का कार्यालय टाउन हॉल में स्थित था। 1931 में विधान परिषद अपनी नई इमारत में स्थानांतरित हो गयी।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सरकार ने यहां अस्थायी रूप एक राशन कार्यालय भी खोला था।

स्वतंत्रता के बाद

वर्तमान में टाउन हॉल

आजादी के बाद टाउन हॉल लंबे समय तक उपेक्षा का शिकार रहा। लगता है, आजादी के शुरुवाती दिनों और स्वतंत्रता प्राप्ति के ठीक बाद आये 'समाजवादी काल' के दौरान इसे गुलामी के एक प्रतीक के तौर पर गुमनामी के हवाले कर दिया गया। इसे बाद में नगर मजिस्ट्रेट के कार्यालय में परिवर्तित कर दिया गया तथा निगम की अन्य शाखाओं को भी इसके परिसर में ले आया गया। नगर सेवा आयोग और पश्चिम बंगाल लोक सेवा आयोग भी इमारत के कुछ हिस्सों पर काबिज़ रहा। 1975 में ग्रीनलॉ और पामर की प्रतिमाओं को छोड़कर अन्य सभी प्रतिमाओं और तैलचित्रों को विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में स्थानांतरित कर दिया गया। रयान और नॉट के दो तैलचित्रों को छोड़कर अन्य सभी बचे हुए चित्रों को भी केंद्रीय नगर कार्यालय भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। धीरे-धीरे समृद्ध विरासत वाली एक शानदार इमारत पूरी तरह से गुमनामी के अंधेरे में डूब गयी। 1998 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और कलकत्ता उच्च न्यायालय के सामयिक हस्तक्षेप से यह विरासत भवन पूरी तरह से नष्ट होने से बच गया। इसके बाद इमारत को इसके पूर्व गौरव के अनुरूप पुनर्निर्मित किया गया, और अब इसे सार्वजनिक समारोहों और कार्यों के लिए प्रयोग किया जाता है।

टाउन हॉल पुस्तकालय

1999 में, कोलकाता नगर निगम ने एक संदर्भ पुस्तकालय बनाने के उद्देश्य से प्रसिद्ध कोलकाता विशेषज्ञ पी टी नायर से कोलकाता पर आधारित उनका दुर्लभ पुस्तकों और पत्रिकाओं का पूरा संग्रह खरीद लिया। और 2004 में औपचारिक तौर पर इस संदर्भ पुस्तकालय का उद्घाटन, लाइब्रेरी सेवाओं के तत्कालीन मंत्री, निमाई मल ने तत्कालीन महापौर सुब्रत मुखर्जी की अध्यक्षता में एक छोटे से समारोह में किया। 2007 में, निगम के संपूर्ण संदर्भ पुस्तकालय का विलय टाउन हॉल पुस्तकालय के साथ कर दिया गया। अब इस पुस्तकालय में लगभग 12,000 पुस्तकें और पत्रिकाएं हैं और भारत और विदेश के विभिन्न देशों से कई विद्वानों ने इसका दौरा किया गया है।

कोलकाता संग्रहालय

कोलकाता नगर निगम और पश्चिम बंगाल सरकार की संयुक्त पहल से 1995 में कोलकाता संग्रहालय को स्थापित किया गया। संग्रहालय में कोलकाता शहर और आसपास के महानगर के इतिहास को दर्शाया गया है। इसे कोलकाता म्यूज़ियम सोसायटी द्वारा स्थापित किया गया था, जिसके सदस्यों में प्रसिद्ध इतिहासकार, मनोविज्ञानी और महानगर के प्रशासक शामिल थे। कोलकाता संग्रहालय, कोलकाता शहर के इतिहास को दृश्य शृव्य माध्यम के द्वारा बतलाने वाले इस संग्रहालय का वित्त पोषण कोलकाता नगर निगम, कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण, पश्चिम बंगाल सरकार के सूचना एवं संस्कृति विभाग और फोर्ड फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। 1200 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैले इस संग्रहालय को 19 एनक्लेवों (घनघों) में बांटा गया है और यहां कोलकाता शहर की कहानी, उसके सामाजिक और राजनीतिक इतिहास, स्वतंत्रता आंदोलन, शिक्षा, साहित्य, संगीत, कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कोलकाता के योगदान को प्रदर्शित किया जाता है।

लोकप्रिय संस्कृति

टाउन हॉल कोलकाता का एक बहुत प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण स्थान है। ब्रिटिश राज के दौरान कलकत्ता में सामाजिक सम्मेलनों के लिए टाउन हॉल सबसे महत्वपूर्ण स्थान था और यहां ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के कई महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे। 1 9वीं और 20 वीं शताब्दी के दौरान यह हॉल कई ऐतिहासिक घोषणाओं और घटनाओं का गवाह बना। इसे यूरोपियों द्वारा सार्वजनिक समारोहों के लिए एक विशिष्ट जगह माना जाता था। आजकल, पश्चिम बंगाल सरकार के कई कार्यक्रम यहां आयोजित किए जाते हैं।

सन्दर्भ