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झारखण्ड के लोक नृत्य

झारखण्ड के लोक नृत्य इसकी जीवंत संस्कृति और परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। झारखण्ड राज्य में विभिन्न लोक नृत्य हैं जो फसल के मौसम, त्योहार और सामाजिक समारोहों के दौरान किए जाते हैं। झारखंड में कुछ लोक और जनजातीय नृत्यों में छऊ, पाइका, झुमइर, डोमकच, लहसुआ, झुमता, फगुआ, फिरकल, पांता नृत्य हैं।[1][2][3]

लोक नृत्यों की सूची

कुछ लोक नृत्य इस प्रकार हैं:

छऊ नृत्य

छऊ नृत्य आदिवासी और लोक परंपरा वाला एक अर्ध-शास्त्रीय भारतीय नृत्य है, जो झारखण्ड राज्य में पाया जाता है। छऊ के सराइकेला शैली का विकास झारखण्ड में ही हुआ है, तथा कई जिलों में पुरुलिया (मानभूम) शैली भी प्रस्तुत किया जाता है।

पाइका नृत्य

पाइका नागपुरी औपचारिक मार्शल नृत्य है। यह पुरुषों द्वारा किया जाता है। पुरुष घुंघरू पहनते हैं, तलवार और ढाल लेकर नृत्य करते हैं। संगीत वाद्ययंत्रों में नगारा, ढाक और शहनाई का प्रयोग किया जाता है। झारखण्ड के मुंडा आदिवासी भी इस नृत्य को करते हैं।

झुमइर

झुमइर झारखंड का लोकप्रिय लोकनृत्य है। यह खोरठा, कुड़मी, पंचपरगना और नागपुरी लोगों द्वारा फसल के मौसम और त्योहारों के दौरान किया जाता है। उपयोग किए जाने वाले संगीत वाद्ययंत्र मंदार, ढोल, नगारा, ढाक, बंसी, शहनाई हैं।

डोमकच

डोमकच झारखंड में विवाह में किया जाने वाला लोकनृत्य है।

मानभूम छऊ

मानभूम छऊ में मुखौटा पहने कलाकार शास्त्र के विभिन्न कथाओं को दर्शाते हैं. इसमें रामायाण, महाभारत समेत अन्य की कहानी होती है।[4]

मुंडारी नृत्य

सुखराम पाहन राज्य में मुंडारी नृत्य शैली के जादूर घेना और जापी नृत्य शैली को आगे बढ़ा रहे हैं. जादूर घेना सरहुल के दौरान किया जाता है. वहीं, जापी नृत्य युद्ध की रणनीति और जीत के बाद थकान मिटाने और जश्न मनाने के लिए किया जाता था।

फगुआ

फगुआ एक लोक नृत्य है जो फगुआ के त्योहार के दौरान पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा किया जाता है। मंदार, ढोल और बंसी वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।

फिरकल नृत्य

फिरकल भूमिज जनजातियों का एक मार्शल आर्ट लोक-नृत्य है। फ़िरकल के मुख्य उपकरण तलवार, तीर, धनुष और ढाल हैं। यह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में पाया जा सकता है।

पांता नृत्य

पांता नाच आदिवासी महिलाओं का एक सामूहिक नृत्य है, जो फसल के मौसम और त्योहार के दौरान मादल और नगारा जैसे वाद्य यंत्रों के साथ प्रदर्शित किया। इसमें महिलाएं समूह में नृत्य करती है और पुरुष वाद्य यंत्र बजाते हैं। यह नृत्य मुख्य तौर पर भूमिज, संथाल, मुंडा और हो जनजाति द्वारा किया जाता है। इसे मुंडारी नाच, भूमिज नाच या संतली नाच भी कहा जाता है।

सन्दर्भ

  1. "Easrern Zonal Cultural Centre". web.archive.org. 2018-04-05. मूल से पुरालेखित 5 अप्रैल 2018. अभिगमन तिथि 2023-02-17.सीएस1 रखरखाव: BOT: original-url status unknown (link)
  2. "Jharkhand Dance". www.mapsofindia.com. अभिगमन तिथि 2023-02-17.
  3. Pioneer, The. "Talk on Nagpuri Folk Music at IGNCA". The Pioneer (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-17.
  4. "झारखंड की 32 जनजातियां की प्रकृति, पर्व और नृत्य". Prabhat Khabar. 2023-04-29. अभिगमन तिथि 2024-05-20.