ज्ञानवापी मस्जिद
ज्ञानवापी मस्जिद | |
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ज्ञानवापी मस्जिद | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | इस्लाम |
शाखा/परंपरा | मस्जिद |
क्षेत्र | भारत |
त्यौहार | ईद |
स्वामित्व | अंजुमन इंतेजामिया बोर्ड वक्फ बोर्ड |
शासी निकाय | अंजुमन इंतेजामिया बोर्ड वक्फ बोर्ड |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | काशी |
नगर निकाय | वाराणसी नगर निगम |
ज़िला | वाराणसी जिला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
उत्तर प्रदेश के मानचित्र पर अवस्थिति ज्ञानवापी मस्जिद (भारत) | |
प्रशासन | सुन्नी वक्फ बोर्ड |
भौगोलिक निर्देशांक | 25°18′40″N 83°00′38″E / 25.311229°N 83.010461°Eनिर्देशांक: 25°18′40″N 83°00′38″E / 25.311229°N 83.010461°E |
वास्तु विवरण | |
वास्तुकार | औरंगजेब के समय के मिस्त्री |
प्रकार | मस्जिद |
शैली | मुग़ल वास्तुकला |
निर्माता | औरंगजेब |
स्थापित | 1669/600 bc initially |
आयाम विवरण | |
गुंबद | 3 |
मीनारें | 2 |
ज्ञानवापी मस्जिद वाराणसी मे स्थित मस्जिद है। यह मस्जिद काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है। 1669 मे मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने यह मस्जिद बनवाई थी। ज्ञानवापी एक संस्कृत शब्द है इसका अर्थ है ज्ञान का कुआं। बनारस में पहले ज्ञानवापी मंदिर हुआ करता था लेकिन एक क्रूर कट्टरपंथी मुग़ल शासक औरंगजेब ने उस मंदिर को तोड़कर उसकी जगह मस्जिद का निर्माण करवा दिया। मस्जिद के पिछ्ले भाग पर आज भी मंदिर की वो पुरानी दीवार मौजूद है जिसे आपने देखा ही होगा।हाल ही में हुए ASI के सर्वे ने पुख़्ता सबूतों के साथ ये प्रमाणित भी कर दिया है कि उस जगह पहले मंदिर था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर के दो निचले तहखानों में पूजा के आदेश भी दे दिए हैं,अब देखना यह है कि कब तक हिंदू पक्ष के लिए उस जर्जर मस्जिद को तोड़ कर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाता है।
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Now if you want to add any new information then you need proof for it.
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इतिहास
काशी विश्वनाथ मंदिर और उससे सटी ज्ञानवापी मस्जिद को किसने बनवाया, इसको लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन ठोस ऐतिहासिक जानकारी दुर्लभ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब ने ध्वस्त कर दिया था और वहां एक मस्जिद का निर्माण किया गया था। चौथी और पांचवीं शताब्दी के बीच, चंद्रगुप्त द्वितीय, जिसे विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है, उसने गुप्त साम्राज्य के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करने का दावा किया है। 635 ई०, प्रसिद्ध चीनी यात्री हुआन त्सांग ने अपने लेखन में मंदिर और वाराणसी का वर्णन किया। ईसा पश्चात 1194 से 1197 तक, मोहम्मद गोरी के आदेश से मंदिर को काफी हद तक नष्ट कर दिया गया था, और पूरे इतिहास में मंदिरों के विध्वंस और पुनर्निर्माण की एक श्रृंखला शुरू हुई। कई हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया और उनका पुनर्निर्माण किया गया। ईस्वी 1669 में, मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश से, मंदिर को अंततः ध्वस्त कर दिया गया और उसके स्थान पर एक ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया। 1776 और 1978 के बीच, इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने ज्ञानवापी मस्जिद के पास वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार किया। 1936 में पूरे ज्ञानवापी क्षेत्र में नमाज अदा करने के अधिकार के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया था। वादी ने सात गवाह पेश किए, जबकि ब्रिटिश सरकार ने पंद्रह गवाह पेश किए। ज्ञानवापी मस्जिद में नमाज अदा करने का अधिकार स्पष्ट रूप से 15 अगस्त, 1937 को दिया गया था, जिसमें कहा गया था कि ज्ञानवापी संकुल में ऐसी नमाज कहीं और नहीं पढ़ी जा सकती। 10 अप्रैल 1942 को उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा और अन्य पक्षों की अपील को खारिज कर दिया। पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा और अन्य ने ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और पूजा की स्वतंत्रता के लिए 15 अक्टूबर, 1991 को वाराणसी की अदालत में मुकदमा दायर किया। अंजुमन इंतजमिया मस्जिद और उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ ने 1998 में हाईकोर्ट में दो याचिकाएं दायर कर इस आदेश को चुनौती दी थी। 7 मार्च 2000 को पंडित सोमनाथ व्यास का निधन हो गया। पूर्व जिला लोक अभियोजक विजय शंकर रस्तोगी को 11 अक्टूबर, 2018 को मामले में वादी नियुक्त किया गया था। 17 अगस्त 2021 मे शहर की 5 महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने वाराणसी सत्र न्यायलय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्हें नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी जिसके बाद मस्जिद मे सर्वे कराया गया। सर्वे के उपरांत २१ जुलाई २०२३ को वाराणसी सत्र न्यायलय ने पुरात्व सर्वेक्षण की अनुमति दी जो ७९ दिन चली और उसकी रिपोर्ट को १८ दिसम्बर २०२३ को कोर्ट को सौंप दी गई. २५ जनवरी २०२४ को दोनों पक्षों को कोर्ट ने रिपोर्ट मुहैया करवा दी और ३१ जनवरी २०२४ को बनारस कोर्ट ने व्यास तलग्रह में हिन्दू पक्ष को पूजा पाठ की अनुमति प्रदान की. कोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट मह याचिका दायर की है जो फिलहाल विचाराधीन है.[1][2]
हिन्दू परंपराएं
1669 मे औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ कर इस मस्जिद का निर्माण करवाया। मंदिर परिसर के ही शृंगार गौरी, श्री गणेश और हनुमानजी के स्थानों को भी ध्वस्त कर दिया था। मान्यता है की पश्चिमी दीवार जो की पूरी तरह किसी मंदिर के मुख्य द्वार जैसा प्रतीत होता है वो शृंगार गौरी मंदिर का प्रवेश द्वार होगा जिससे बांस-मिट्ठी से बंद करदिया गया है और मस्जिद के अंदर गर्भगृह होगा। इसी पश्चिमी दीवार के सामने एक चबूतरा है जहां शृंगार गौरी की एक मूर्ति है जो सिंदूर से रंगी है, यह साल मे एक बार चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन हिन्दू पक्ष के द्वारा यह पूजा होती है परंतु 1991 के पहले यह नियमित पूजा होती थी जिसपर तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने रोक लगा दी थी। 2021 मे पांचों महिलों का इसी मंदिर मे नियमित पूजा करने के लिए याचिका दायर की थी जिसके सर्वे का आदेश कोर्ट द्वारा किया गया था। [3][4]
ज्ञानवापी परिसर मामले के याचिकाकर्ता हरिहर पांडेय का रविवार को सुबह बीएचयू में निधन हों गया. तीन याचिकाकर्ताओ में से पहले ही दो याचिकाकर्ता सोमनाथ व्यास और रामनारायण शर्मा की मौत हो चुकी है. मुस्लिम पक्ष ने घर पहुंचकर व्यक्त की संवेदना। 1991 ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता के साथ-साथ बनारस के कई मंदिरों और आयोजन को लेकर भी उन्होंने आवाज बुलंद की थी. 33 वर्षो से वह कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।[5]
मई 2022 ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे
17 अगस्त 2021 मे शहर की 5 महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, मंजू व्यास, सीता साहू और रेखा पाठक ने वाराणसी सत्र न्यायलय में याचिका दायर की थी और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी का उन्हें नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मांगी थी जिसकी सुनवाई करते करते अप्रैल 2022 आ गया। 8 अप्रैल 2022 को सत्र न्यायलय ने सिविल जज सीनियर डिविजन ने वकील अजय कुमार मिश्र को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया और मस्जिद मे सर्वे करवाने की अनुमति दी जिसकी रिपोर्ट 17 मई तक दाखिल करने को कहा। जिसपर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई और हाई कोर्ट पहुंचे परंतु न्यायालय ने सर्वे पर रोक से इनकार कर दिया। 6 और 7 मई को लगभग ढाई घंटे कोर्ट कमिश्नर के नेतृत्व मे सर्वे हुआ पर 7 मई को सर्वे टीम को मुस्लिम पक्ष का विरोध देखना पड़ा जिसके कारण उसस दिन सर्वे नहीं हुआ और मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट मे कोर्ट कमिश्नर को हटाने की मांग की पर कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर किया अपितु विशाल सिंह को विशेष कमिश्नर बनाया गया, जो पूरी टीम का नेतृत्व करेंगे। उनके साथ अजय प्रताप सिंह को भी शामिल किया गया और कोर्ट ने आदेश दिया था कि मस्जिद समेत पूरे परिसर का सर्वे होगा। 14 मई को कोर्ट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र की अगुवाई में पहले दिन सर्वे हुआ। पहले दिन सुबह 8 बजे से 12 बजे तक सर्वे हुआ। राउंड1 में सभी 4 तहखानों के ताले खुलवा कर सर्वे किया गया। अगले दिन 15 मई को दूसरे राउंड का सर्वे हुआ। दूसरे दिन भी चार घंटे सर्वे का काम चला, लेकिन कागजी कार्रवाई के कारण सर्वे टीम डेढ़ घंटे देर से बाहर निकली। राउंड 2 में गुंबदों, नमाज स्थल, वजू स्थल के साथसाथ पश्चिमी दीवारों की वीडियोग्राफी हुई। मुस्लिम पक्ष ने चौथा ताला खोला। साढ़े तीन फीट के दरवाजे से होकर गुंबद तक का सर्वे हुआ। 16 मई को आखिरी दौर का सर्वे हुआ जहां 2 घंटे में सर्वे का काम पूरा कर लिया गया। इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी में शिवलिंग मिलने का दावा किया। इस दावे के बाद कोर्ट ने शिवलिंग वाली जगह को को सील करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश पर डीएम ने वजु पर पाबंदी लगा दी और अब ज्ञानवापी में सिर्फ 20 लोग ही नमाज पढ़ पाएंगे। टीम ने रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय मांग जिससे कोर्ट की कारवाई अगले दिन 18 मई तक टल गई। इसी बीच कोर्ट ने अजय मिश्र को कोर्ट कमिश्नर के पद से हटा दिया जिसके कारण 18 मई को न्यायलय मे हड़ताल हुई और उस दिन सुनवाई नहीं हो पाई। 19 मई को अजय मिश्र ने 6 और 7 मई को हुए सर्वे और विशाल सिंह (विशेष कोर्ट कमिश्नर) ने 14 से 16 मई के सर्वे का रिपोर्ट कोर्ट मे दाखिल कर दिया।[6][7][8]
प्रथम सर्वे रिपोर्ट (पूर्व कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्र के द्वारा)
यह रिपोर्ट 6 और 7 मई का है। ये लगभग 2-3 पन्नों की रिपोर्ट है। इसके मुताबिक, 6 मई को किए गए सर्वे के दौरान बैरिकेडिंग के बाहर उत्तर से पश्चिम दीवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलबा मिला, जिस पर देवीदेवताओं की कलाकृति बनी हुई थी और अन्य शिलापट पट्ट थे, जिन पर कमल की कलाकृति देखी गईं। पत्थरों के भीतर की तरफ कुछ कलाकृतियां आकार में स्पष्ट रूप से कमल और अन्य आकृतियां थीं, उत्तर पश्चिम के कोने पर गिट्टी सीमेन्ट से चबूतरे पर नए निर्माण को देखा जा सकता है। उक्त सभी शिक्षा पट्ट और आकृतियों की वीडियोग्राफी कराई गई। उत्तर से पश्चिम की तरफ चलते हुए मध्य शिला पट्ट पर शेषनाग की कलाकृति, नागफन जैसी आकृति देखी गईं। शिलापट्ट पर सिन्दूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति भी थीं। शिलापट्ट पर देव विग्रह, जिसमें चार मूर्तियों की आकृति बनी है, जिस पर सिन्दूरी रंग लगा हुआ है, चौथी आकृति जो मूर्ति की तरह प्रतीत हो रही है, उस पर सिन्दूर का मौटा लेप लगा हुआ है। शिलापट्ट भूमि पर काफी लंबे समय से पड़े प्रतीत हो रहे हैं। ये प्रथम दृष्टया किसी बड़े भवन के खंडित अंश नजर आते हैं। बैरिकेडिंग के अंदर मस्जिद की पश्चिम दीवार के बीच मलबे का ढेर पड़ा है। ये शिलापट्ट पत्थर भी उन्हीं का हिस्सा नजर आ रहे हैं। इन पर उभरी कुछ कलाकृतियां मस्जिद की पीछे की पश्चिम दीवार पर उभरी कलाकृतियों जैसी दिख रही है। परंतु मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण यह सर्वे रुक गया।[9][10]
द्वितीय सर्वे रिपोर्ट (विशेष कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह के द्वारा)
यह रिपोर्ट 14 से 16 मई के बीच का है जो मुस्लिम पक्ष के विरोध के बाद हुआ था। ये लगभग 12-14 पन्नों की रिपोर्ट है। अजय कुमार मिश्र की तरह विशाल सिंह की रिपोर्ट में भी मस्जिद परिसर में हिंदु आस्था से जुड़े कई निशान मिलने की बात कही गई है। रिपोर्ट में शिवलिंग बताए जा रहे पत्थर को लेकर भी डिटेल में जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वजूखाने में पानी कम करने पर 2.5 फीट का एक गोलाकार आकृति दिखाई दी, जो शिवलिंग जैसा है। गोलाकार आकृति ऊपर से कटा हुआ डिजाइन का अलग सफेद पत्थर है। जिसके बीच आधे इंच से का छेद है, जिसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया। इसे वादी पक्ष ने शिवलिंग बताया तो प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि यह फव्वारा है परंतु जब हिंदू पक्षकारों ने सर्वे के दौरान कथित फव्वारे को चलकर दिखाने को कहा तब मस्जिद कमेटी के मुंशी ने फव्वारा चलाने में असमर्थता जताई। फव्वारे पर मस्जिद कमेटी ने गोल-मोल जवाब दिया। पहले 20 साल और फिर 12 साल से इसके बंद होने की बात कही गई। कथित फव्वारे में पाइप जाने की कोई जगह नहीं मिली है। रिपोर्ट में तहखाने के अंदर मिले साक्ष्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि दरवाजे से सटे लगभग 2 फीट बाद दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की फूल की आकृति बनी थी, जिसकी संख्या 6 थी। तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था। तहखाने में 4-4 पुराने खम्भे पुराने तरीके के थे, जिसकी ऊंचाई 8-8 फीट थी। नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे। बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे, जिसकी वीडियोग्राफी कराई गई है। एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी। लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं। इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं। ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं।[11][12]
सर्वे के बाद
जिस दिन सर्वे रिपोर्ट दाखिल की गई थी उसी दिन सुप्रीम कोर्ट मे भी सुनवाई हो रही थी और सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी सत्र न्यायालय के सुनवाई पर रोक लगा डी और सुनवाई 20 मई तक टल गई। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया की मामले की फिलहाल सुनाई वाराणसी सत्र न्यायलय ही करे और 17 मई का आदेश जो था की शिवलिंग की सुरक्षा की और नमाज़ मे कोई बाधा न आए वो 8 हफ्ते तक प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट मे मामले की अगली सुनवाई गर्मी के छुट्टी के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस वाराणसी जिला अदालत को ट्रैन्स्फर कर दिया और जज ए. के. विश्वेश को मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी दी। कुछ दिन सुनवाई चली और हिन्दू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया पर मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया परंतु जज ने सार्वजनिक करने की अनुमति दे दी। वादी और हिन्दू पक्ष को रिपोर्ट फाइल मिली पर उनके देखने के पहले ही रिपोर्ट मीडिया मे लीक हो गई। विडिओ म साफ तौर पर हिन्दू मंदिर की कलाकृतिया और वाजुखाने की शिला बिल्कुल शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही थी। अगले दिन जब वादी पक्ष की महिलाये कोर्ट को वापस रिपोर्ट देने कोर्ट गई पर कोर्ट ने वापस लेने से मना कर दिया और विडिओ लीक होने के जांच के आदेश दिए। अगले दिन मुस्लिम पक्ष ने लगभग 51 पन्नों का अपना जवाब कोर्ट ने दाखिल किया जिसके कारण पूरा दिन बीत गया और गर्मी की छुट्टियों के कारण मामले की सुनवाई जुलाई तक टल गई और हिन्दू पक्ष अपना जवाब दाखिल नहीं कर पाया। [13][14]
2023-24 पुरातत्व सर्वेक्षण रिपोर्ट
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने २५ जनवरी २०२४ को वाराणसी के जिला जज को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। इस रिपोर्ट में वर्तमान ढांचे (मस्जिद) से पहले वहाँ हिंदू मंदिर होने का उल्लेख है। बताया गया है कि वह मन्दिर नागर शैली का मन्दिर था। रिपोर्ट में मंदिर के चार खंभों से ढांचे तक की परिकल्पना बताई गई है। एएसआई ने मंदिर का नक्शा नहीं बनाया है, किन्तु रिपोर्ट में मंदिर के प्रवेश, मंडप और गर्भगृह का जिक्र है। जीपीआर सर्वे में मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे पन्नानुमा टूटी वस्तु मिली है। यह वह हिस्सा है जहां पूर्वी दीवार को बंद किया गया है। इसके आगे का हिस्सा प्राचीन मंदिर का गर्भगृह होने की संभावना जताई जा रही है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरातत्त्वविद प्रो० अशोक सिंह का कहना है कि ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) की रिपोर्ट ज्ञानवापी में तहखाने के करीब छह फीट नीचे मंदिर के मिले अवशेषों के 2000 साल पुराना होने का संकेत देती है। सर्वे में पत्थर से निर्मित जो विग्रह मिले हैं, उनमें सबसे ज्यादा 15 शिवलिंग हैं। इसके अलावा 18 मानव की मूर्तियां, तीन जानवरों की मूर्ति और विभिन्न काल के 93 सिक्के मिले हैं। 113 धातु की सामग्रियां भी मिलीं हैं।
ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे में आठ तरह की आधुनिक तकनीकों का सहारा लिया गया। इसमें डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस), ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), हैंडहेल्ड एक्सआरएफ, थर्मो हाइग्रोमीटर, जीपीएस मैप, टोटल स्टेशन सर्वेक्षण, एएमएस या एक्सेलेटर मास, स्पेक्ट्रोमेट्री, ल्यूनिनसेंस डेटिंग विधि के साथ ही नौ तरह के डिजिटल कैमरे का इस्तेमाल किया गया। एएसआई के सर्वे विशेषज्ञों में प्रो. आलोक त्रिपाठी के साथ डॉ. अजहर आलम हाशमी और डॉ. आफताब हुसैन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सर्वे टीम में देशभर से बुलाए गए करीब 175 विशेषज्ञ शामिल रहे।
ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे के बाद एएसआई ने जिला जज की अदालत में जो रिपोर्ट सौंपी है, उसे चार अध्याय में बांटा गया है। पहले अध्याय में 155 पेज में ज्ञानवापी की संरचना, वर्तमान ढांचा, खंभा-प्लास्टर, पश्चिमी दीवार, शिलालेख व भग्नावशेष का पूरा विवरण है। इसी अध्याय के अंत में आठ पेज में सर्वे के निष्कर्ष के रूप में बताया गया है कि मौके पर मिले साक्ष्यों, शिलालेख और वर्तमान ढांचा की व्यवस्था को देखकर पूरी तरह से स्पष्ट है कि प्राचीन हिंदू मंदिर के ऊपर मस्जिद का ढांचा तैयार किया गया है। 206 पेज के दूसरे अध्याय में वैज्ञानिक अध्ययन का जिक्र है तो 229 पेज के तीसरे अध्याय में सर्वे में साक्ष्य के रूप में एकत्र की गई एक-एक वस्तु, दीवारों-खंभों पर अंकित चिह्न और इनके माप का ब्यौरा, सर्वे में ली गई तस्वीरों का भी विवरण है। 243 पेज के चौथे अध्याय में ज्ञानवापी परिसर में ली गई तस्वीरों को चस्पा किया गया है।[15]
सर्वे के उपरांत सत्र न्यायलय का फैसला
२५ जनवरी २०२४ को दोनों पक्षों को कोर्ट ने रिपोर्ट मुहैया करवा दी और ३१ जनवरी २०२४ को बनारस कोर्ट ने व्यास तलग्रह में हिन्दू पक्ष को पूजा पाठ की अनुमति प्रदान की. कोर्ट के आदेश के खिलाफ अंजुमन इंतेजामिया बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट मह याचिका दायर की है जो फिलहाल विचाराधीन है.
व्यास तलग्रह में पूजा उपासना
मस्जिद परिसर के तहखाना में पूजा का अधिकार मिलने के बाद 30 साल बाद बुधवार की रात्रि २ बजे कड़ी सुरक्षा के बीच यहां पूजा अर्चना की गई यहां. व्यास जी के तहखाना में बुधवार को जिला जज की कोर्ट के आदेश के बाद दर्शन पूजन शुरू हो गया वहीं गुरुवार सुबह भी नित्य दर्शन पूजन का सिलसिला शुरू होते हुए देखा गया शाम होते-होते आम श्रद्धालुओं के लिए भी तहखाना तक दर्शन को खोल दिया गया.
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ नवभारतटाइम्स.कॉम (2022-05-17). "Gyanvapi Masjid Mystery : ज्ञानवापी क्या है, इस रहस्य को जानकर हैरान रह जाएंगे". नवभारत टाइम्स. अभिगमन तिथि 2022-05-18.
- ↑ "गुप्तकाल से मेल खाती है ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंग की संरचना, इतिहासकार का दावा". Hindustan (hindi में). अभिगमन तिथि 2022-05-21.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "धार्मिक चरित्र की पहचान से नहीं रोकता 1991 का कानून, ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "मुलायम सिंह यादव ने रुकवाई थी ज्ञानवापी के श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा: BJP नेता का दावा". ऑपइंडिया (अंग्रेज़ी में). 2022-05-13. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "ज्ञानवापी मामले में याचिकाकर्ता हरिहर पांडेय का निधन, मुस्लिम पक्ष ने घर पहुंचकर व्यक्त की संवेदना". प्रभात खबर. 11 दिसंबर 2023. अभिगमन तिथि 18 दिसंबर 2023.
- ↑ "Gyanvapi Survey Report: त्रिशूल, कमल, डमरू.. मस्जिद में हिंदू संस्कृति के प्रतीक चिह्न, ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट लीक". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ Live, A. B. P. (2022-05-19). "Highlights: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने पेश की सर्वे रिपोर्ट". www.abplive.com. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "सर्वे पर विवाद से लेकर शिवलिंग के दावे तक... ज्ञानवापी को लेकर अबतक क्या-क्या हुआ?". आज तक. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "ज्ञानवापी सर्वे: 'मंदिरों का मलबा, शेषनाग-कमल की कलाकृति', अजय मिश्रा की रिपोर्ट में दावा". आज तक. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "Gyanvapi Dispute: पूर्व कमिश्नर अजय मिश्रा ने सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में पेश, कई अहम बातें शामिल". आज तक. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "Gyanvapi News: हमने अपनी रिपोर्ट में शिवलिंग मिलने की बात नहीं लिखी...ज्ञानवापी सर्वे पर विशाल सिंह का बड़ा खुलासा". Navbharat Times. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "ज्ञानवापी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट पर कहा, 'चुनिंदा लीक बंद होनी चाहिए'". NDTVIndia. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "Gyanvapi Masjid Case LIVE: ज्ञानवापी मस्जिद केस में सुप्रीम कोर्ट अब जुलाई के दूसरे हफ्ते में करेगा सुनवाई". आज तक. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ "Gyanvapi Case: ज्ञानवापी केस जिला जज को ट्रांसफर, सील रहेगा 'शिवलिंग' वाला एरिया". आज तक. अभिगमन तिथि 2022-05-21.
- ↑ ज्ञानवापी मस्जिद के वे तीन रहस्य, ASI सर्वेक्षण के बाद भी जिनसे पर्दा उठना बाकी है