जेट स्ट्रीम
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जेट धाराएं पृथ्वी सहित कुछ ग्रहों के वायुमंडल में तेजी से बहने व घूमने वाली हवा धाराएं हैं। पृथ्वी पर, मुख्य जेट धाराएं ट्रोपोपोज की ऊंचाई पर स्थित होती हैं और वे पश्चिम से पूर्व ओर बहती हैं। उनके पथ आम तौर पर एक घूमने वाला आकार के होते है। जेट स्ट्रीम दो या दो से अधिक हिस्सों में विभाजित हो सकती है, एक धारा में जुड़ सकती है, या जेट की दिशा के विपरीत दिशाओं में बहती है।[1]
सबसे तेज गति की जेट धाराएं समुद्र तल से 8 -12 किमी (30,000-39,000 फीट) ऊंचाई पर ध्रुवीय जेट हैं, और उच्च ऊंचाई और कुछ कमजोर उपोष्णकटिबंधीय जेट 10-16 किमी (33,000-52,000 फीट) पर हैं। उत्तरी गोलार्ध और दक्षिणी गोलार्ध में प्रत्येक ध्रुवीय जेट और एक उपोष्णकटिबंधीय जेट है। उत्तरी गोलार्द्ध में ध्रुवीय जेट मध्य अमेरिका, यूरोप और एशिया और उनके मध्यवर्ती महासागरों के ऊपर बहती है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध की ध्रुवीय जेट ज्यादातर अंटार्कटिका के ऊपर बहती है।[2]
संदर्भ
- ↑ नेशनल जियोग्राफ़िक. "Jet stream" (अंग्रेज़ी में). nationalgeographic.com. मूल से 1 जुलाई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवम्बर 2018.
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में 22 स्थान पर zero width space character (मदद) - ↑ इलिनॉय विश्वविद्यालय. "Jet Stream" (अंग्रेज़ी में). मूल से 6 नवंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 4 नवम्बर 2018.
बाहरी लिंक
- CRWS जेट स्ट्रीम विश्लेषण mithilesh yadav
- वर्तमान मानचित्र की हवाओं में 250 एचपीए स्तर जेेट स्ट्रीम की उत्पत्ति
1 ऊपरी वायुमंडल में तापप्रवणता का विकाश 2 ऊपरी वायुमंडल में दाब प्रवणता का विकाश जेट स्ट्रीम की विशेषताएं 1 जेट स्ट्रीम ऊपरी वायुमंडल का प्रवाह है 2 पृथ्वी सतह से 6 से 14 किलोमीटर की ऊंचाई पर क्षोभसीमा के ऊपर सामान्य पश्चिम से पूर्व की तरफ प्रवाहित होती है
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यह संकरी वायु पट्टी होती है जिसमें लंबाई चौड़ाई तथा गढ़ाई होती है 4 जेट स्ट्रीम तिवृ वेग से प्रभावित होती है तथा इनका अधिकतम वेग 300 से 400 किलोमीटर पर घंटा हो सकती है 5 जेट स्ट्रीम तरंगों के रूप में गति करती है 6 ग्रीष्म ऋतु में जेट स्ट्रीम की ऊंचाई अधिक तथा तीव्रता कम होती है इसके विपरीत शीत ऋतु में जेट स्ट्रीम की ऊंचाई कम तथा तीव्रता अधिक होती है 7 सूर्य का उत्तरायण तथा दक्षिणायन के कारण जेट स्ट्रीम के अक्षांशीय स्थिति में परिवर्तन होता है (सूर्य के उत्तरायण के कारण जेट स्ट्रीम उच्च अक्षांश तथा सूर्य के दक्षिणायन के कारण जेट स्ट्रीम निम्न अक्षांश की तरफ खिसक जाती है)