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जुलाहा

इस्लाम मे जाति बिरादरी नही है क़ुरआन हदीस में कही नही मिलेगा लेकिन कुछ यज़ीदी मौलाना अपने को बड़ा साबित करने के लिए मुसलमान को जातियों में बांट दिया।भारत मे जुलाहा जाति नही है ये केवल मुस्लिम मौलाना लोग देश मे रह रहे 50%मोमिन अंसार (अंसारी)जाति के लोगो को नीचा दिखाने के लिए प्रयोग हुआ है।मौलाना अशरफ थानवी अपनी किताब में लफ्ज़ जुलाहा लिखते है उनको चौराहा लिखने में शर्म आयी, और मसला लिख डाला कि जुलाहे के पीछे नमाज़ नही होगी।औऱ भी देवबन्दी कट्टर मौलवी अपनी किताबो में जाति बिरादरी के नाम से उनको इस्लाम से दूर रखने की कोशिश की।लोग उनको बहुत बड़े उलमा मानते है लेकिन असल मे उनका हाल ऊपर वाला जाने।क़ुरआन हदीस पर चलने वाला असल इस्लाम है ।

मक्का के बाहर जो कबीला सबसे पहले इस्लाम धर्म कबूल किया उसको नबी करीम prophet Mohammad ने अंसार की पहचान दी और तभी से मदीने के सहाबा दुनिया भर में इस्लाम के लिए गए जैसे हजरत तमीम अंसारी चेन्नई में मशहूर सहाबी है जो जंग.बद्र में सामिल थे उनके साथ हजारों लोग आए व्यापार के भी सिलसिले में और इस्लाम के प्रचार प्रसार के लिए भी ।आज से

देवबन्दी लोग अपनी किताबो में मोमिन अंसार जाति को अपनी किताबो में गलत और नीचा लिखा है।

इस्लाम मे कोई जाति नही है और अगर है भी तो देश की वेशभूषा को बनाया । भविष्य में भारत मे मोमिन अंसार जाति पूरे भारत मे फैले हुवे ।अंसारी लोग मदीने से जुड़े हुवे है और हज़ारो सहाबा इस सिलसिले में है । हज़रत अय्यूब अंसारी मदीने के प्रसिद्ध सहाबा थे। अब देवबन्दी किताबो में इस कौम को जुलाहा से मुखातिब किया गया है अब वक्त के दलाल मौलाना इसपर संसोधन नही कर सकते बल्कि जातिवाद को और बढ़ावा दे रहे है।