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जीन्स

जींस
जींस की फैब्रिक संरचना

जीन्स डेनिम (कपडे़) के पतलून हैं। मूलतः इन्हें पहनकर मेहनत वाले काम करने के लिए बनाया गया था, पर 1950 के दशक मे ये किशोरों के बीच लोकप्रिय हो गये। ऐतिहासिक ब्रांडों में लीवाइस, जोर्डक़ और रैंगलर शामिल हैं। जीन्स आज एक बहुत ही लोकप्रिय अनौपचारिक परिधान है जिसे दुनिया भर मे कई शैलियों और रंगों मे प्रचलित है। " नीले रंग की जींस " की पहचान विशेष रूप से अमेरिका की संस्कृति के साथ, विशेष रूप से पुराने वेस्ट (पश्चिम) अमेरिका के साथ जुडी़ है।

इतिहास

जींस के इतिहास पर नज़र डालें तो हमारे सामने 16 वीं शताब्दी की भारतीय निर्यातित मोटा सूती कपडा़ आता है जिसे डुंगारी कहा जाता था। बाद मे इसे नील के रंग में रंग कर मुंबई के डोंगारी किले के पास बेचा गया था। नाविकों ने इसे अपने अनुकूल पाया और इससे बनी पतलूनें वो पहनने लगे।

जीन्स का कपडे़ का निर्माण 1600 की शुरुआत मे इटली के एक कस्बे ट्यूरिन के निकट चीयरी में किया गया था। इसे जेनोवा के हार्बर के माध्यम से बेचा गया था, जेनोवा एक स्वतंत्र गणराज्य की राजधानी थी जिसकी नौसेना काफी शक्तिशाली थी। इस कपडे़ से सबसे पहले जेनोवा की नौसेना के नाविको की पैंट बनायी गयीं क्योंकि इसके नाविको को ऐसी पैंट चाहिये थी जिसे सूखा या गीला भी पहना जा सके तथा इसके पौचों को पोत के डेक की सफायी के समय उपर को मोडा़ जा सके। इन जींसो को सागर के पानी से एक बडे़ जाल में बाँध कर धोया जाता था और समुद्र के पानी उनका रंग उडा़कर उन्हें सफेद कर देता था। जींस का नाम कई लोगों के अनुसार जेनोवा के नाम पर पडा़ है। जींस बनाने के लिये कच्चा माल फ्रांस के निम्स शहर से आता था जिसे फ्रांसीसी मे दे निम कहत थे इसीलिये इसके कपडे़ का नाम 'डेनिम' पड़ गया।

बाहरी कड़ियाँ