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जावा मोटरसाइकिल

जावा 250 सीसी
जावा 250 353/04, क्यवाका 'ए' टाइप मॉडल
निर्माता आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड, मैसूर
अन्य नाम रोडकिंग
निर्माण 1960-1974
पूर्ववर्ती 1960 जावा CZ 250
परवर्ती येज़दी
श्रेणीमोटरसाइकिल
इंजन 250 सीसी, एयर कूल्ड, टू स्ट्रोक, सिंगल सिलिण्डर, ट्विन एक्ज़हॉस्ट, किक स्टार्ट
प्रज्वलन प्रणाली सीबी प्वाइण्ट्स
संचरण 4 गीयर्स
निलम्बन अगला: टेलिस्कोपिक हाइड्रॉलिक ट्रेवेल-130 mm
पिछला: हाइड्रॉलिक शॉक ऐब्जॉर्बर ट्रेवेल-100 mm
ब्रेक अगला: 160 mm सिंगल कैम डबल लीडिंग शू टाइप
पिछला: 160 mm सिंगल कैम डबल लीडिंग शू टाइप
टायर टायर: 3.25 x 16 x 4 प्लाई (अगला व पिछला)
रिम:1.86 x 16 (अगला व पिछला)
व्हीलबेस 1,350 मि॰मी॰ (4.4 फीट)
विमाल॰ 1,980 मि॰मी॰ (6.5 फीट)
चौ॰ 670 मि॰मी॰ (2.2 फीट)
ऊँ॰ 1,025 मि॰मी॰ (3.4 फीट)
भार 129 kg (शुष्क)
139 kg (आद्र)
ईंधन क्षमता 13.5 ली॰ (3.0 यूके गैलन; 3.6 यूएस गैलन)
सम्बंधित जावा 250 टाइप 353/04
जावा 50 जेट 'ए' सीरीज़

जावा मोटरसाइकिल (अंग्रेजी में Ideal Jawa) स्वतन्त्र भारत में बनी 250 सीसी क्षमता वाली टू स्ट्रोक रेसिंग मोटरसाइकिल थी। सन् 1960 में मैसूर शहर (वर्तमान कर्नाटक प्रान्त) में फारूक ईरानी द्वारा स्थापित आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड ने इसे चेकोस्लोवाकिया की कम्पनी जावा मोटर्स से लाइसेंस लेकर बनाया था। उस समय 250 सीसी मॉडल में ईंधन की खपत के लिहाज से यह सर्वोत्तम मोटरसाइकिल थी जो 3 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर की दूरी तय करती थी। 1970 से लेकर 1990 के दशक तक पूरे 30 साल रेसिंग मोटरसाइकिलों में इसका कोई मुकाबला नहीं था। दो स्ट्रोक और दो साइलेंसर वाली यह अनूठी मोटरसाइकिल थी जिसके सभी कलपुर्जे कवर्ड हुआ करते थे। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसके किक स्टार्टर से ही गीयर बदलने का काम हो जाता था। इसके अलावा इसका रखरखाव भी बहुत ही सस्ता और आसान था। अमूमन इसे किसी मोटर मकेनिक के पास ले जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। 1960 से 1974 तक पूरे पन्द्रह साल जावा ब्राण्ड से यह भारत में बनायी गयी बाद में ब्राण्ड और मॉडल बदल कर येज़दी हो गया। परन्तु भारतीय बाजार में ग्लोबलाइजेशन एवं विश्व व्यापार संगठन के कठोर मापदण्डों के कारण सन् 1996 में इसकी निर्माता कम्पनी को इसका उत्पादन बन्द करने के लिये बाध्य होना पड़ा।[1]

यद्यपि जावा मोटरसाइकिल बनाने वाली कम्पनी को बन्द हुए बरसों हो चुके हैं फिर भी मैसूरवासियों के लिये आज भी जावा मोटर साइकिल सिर्फ़ एक बाइक ही नहीं बल्कि बहुत कुछ है। जावा शब्द इसके चेकोस्लोवाकियन संस्थापक जानीक फ्रांटिसेक और वांडरर के नाम के पहले दो-दो अक्षरों जा और वा को मिलाकर बनाया गया था। आज भी कर्नाटक प्रान्त में रहने वालों को इस मोटर साइकिल के नाम में मैसूर के एक प्रतापी राजा जायचमाराजेन्द्र वाडियार की स्मृति झलकती है।[2] मैसूर राज्य में आज भी प्रति वर्ष अन्तर्राष्ट्रीय जावा येज़दी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें सन् 1945 के चेक जावा मॉडल से लेकर येज़दी 350 तक की सैकड़ों विण्टेज मोटरसाइकिलें सड़कों पर दौड़ती नज़र आती हैं।

इतिहास

भारत में स्थापित इस कम्पनी द्वारा शुरुआत में जावा के केवल दो ही मॉडल बाजार में लाये गये जिनका लाइसेंस जावा मोटर्स चेकोस्लोवाकिया से लिया गया था:

  • जावा 250 टाइप 353/04, जिसे क्यवाका 'ए' टाइप भी कहा जाता था।
  • जावा 50 जेट 'ए' सीरीज़, जिसे पायोनियर टाइप 555 भी कहा जाता था।

मूल रूप से चेकोस्लोवाकिया की एक कम्पनी जावा मोटर्स से लाइसेंस प्राप्त कर यह मोटरसाइकिल भारत में बनायी गयी थी। "फॉरएवर बाइक-फॉरएवर वैल्यू" के आकर्षक विज्ञापन के साथ भारतीय बाजारों में उतारी गयी यह मोटर साइकिल युवाओं की पहली पसन्द थी। इसके पुर्ज़े चेकोस्लोवाकिया से ही आयात किये जाते थे। बाद में इसकी निर्माता कम्पनी आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड ने अपना ब्राण्ड जावा से बदल कर येज़दी कर दिया।

भारत की इस कम्पनी ने ये मोटरसाइकिलें न केवल देश में बेचीं अपितु तुर्की, नाइजीरिया, श्रीलंका, मिस्र और ग्वाटेमाला जैसे 61 देशों को निर्यात भी कीं। सफेद रंग की येज़दी रोडकिंग मोटरसाइकिल तो ग्वाटेमाला में केवल पुलिस के प्रयोग हेतु ही निर्यात की जाती थी।

कालान्तर में इसका एक और मॉडल येज़दी 250 MT नाम से बनाया गया। यह मॉडल विशेष रूप से पर्वतारोहियों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसे वेनेज़ुएला को निर्यात किया जाता था।

मोटरसाइकिल रैली में प्रतिभागिता

रेस के लिये तैयार जावा (लाल रंग में) व येज़दी मोटरसाइकिलें (सभी काले रंग में)

भारत में इसकी निर्माता कम्पनी ने शोलावरम में एक रेसिंग टीम भी बनायी हुई थी जो इस मोटरसाइकिल को नेशनल मोटरसाइकिल रैली चैम्पियनशिप में भेजा करती थी। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि कई वर्षों तक लगातार सभी मुकाबलों में जावा मोटरसाइकिल ही जीतती रही। "जावा को केवल जावा ही हरा सकती है, कोई दूसरी मोटरसाइकिल नहीं" यह जुमला उन दिनों एक मुहावरा बन गया था।

फैक्ट्री बन्द होने का कारण

1996 में जब आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड कम्पनी भारत में बन्द हुई उस समय वहाँ 175 सीसी, मोनार्क, डीलक्स, रोडकिंग और क्लासिक II जैसे कई मॉडलों का उत्पादन जारी था। इतनी आकर्षक मोटरसाइकिल बनाने वाली कम्पनी के बन्द हो जाने का कारण भारत में प्रदूषण मानकों पर कठोर नियन्त्रण व उत्पादन फैक्ट्री में लेबर प्रॉब्लेम का होना बताया जाता है। जबकि वस्तुस्थिति यह है कि भारतीय बाजार में ग्लोबलाइजेशन के चलते विश्व व्यापार संगठन के कठोर मापदण्डों के कारण ऐसा हुआ।

भारत में आने से पूर्व

जावा 500 सीसी सन् 1952 में बनी फोर स्ट्रोक मोटरसाइकिल जो कामयाब न हो सकी

भारत में जावा मोटरसाइकिल बनाने का लाइसेंस देने से पूर्व सन् 1952 से 1958 तक जावा मोटर्स कम्पनी ने 500 सीसी OHC टाइप 15 मोटरसाइकिल भी बनायी थी। यह फोर स्ट्रोक मोटरसाइकिल थी परन्तु अत्यधिक मँहगी होने व अविश्वसनीय गुणवत्ता के कारण कामयाब नहीं हुई। इसकी असफलता से सीख लेकर बाद में जावा ने टू स्ट्रोक मॉडल में 250 सीसी की कई बाइक्स भारत में बनायीं। 3 लीटर पेट्रोल में 100 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली जावा व येज़दी मोटरसाइकिलें अपने बेहतर मापदण्डों व आकर्षक मॉडलों के कारण कई दशकों तक न केवल देशी अपितु विदेशी बाजार में भी छायी रहीं।

यूरोप में आज भी लोकप्रिय

भारत में भले ही जावा मोटरसाइकिल का उत्पादन बन्द हो गया हो परन्तु यूनाइटेड किंगडम में आज भी इसका एक समुन्नत मॉडल जावा 350 सीसी टू स्ट्रोक क्लासिकस्पोर्टस 2012 जैसे दो नामों से लॉन्च किया गया है। पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक इग्नीशन, इलेक्ट्रिक स्टार्टर व ऑटोमैटिक पम्प ऑयल इंजेक्शन जैसी अत्यानुधिक सुविधाओं से युक्त जावा का यह मॉडल आयरलैण्ड द्वारा अपने यहाँ आयातित करके यूरोप के अधिकांश देशों में बेचा जाता है।

अन्तर्राष्ट्रीय जावा दिवस

इसकी निर्माता कम्पनी आइडियल जावा (इण्डिया) लिमिटेड द्वारा नेशनल नोटरसाइकिल रैली चैम्पियनशिप के लिये विशेष रूप से बनायी गयी फैक्ट्री-टीम के अलावा मैसूर में इसके शौकीनों ने जावा फ्राइण्ड्स क्लब भी बनाया हुआ है। इस क्लब के द्वारा प्रति वर्ष जुलाई के दूसरे रविवार को अन्तर्राष्ट्रीय जावा दिवस धूमधाम से मनाया जाता है जिसमे केवल जावा और येज़दी मोटरसाइकिलें ही शामिल की जाती हैं।[3]

चित्र वीथी

आइडियल जावा की मैसूर स्थित भारतीय निर्माता कम्पनी द्वारा येज़दी के नाम से बनायी गयी मोटरसाइकिलों के चित्र:

सन्दर्भ

  1. योशिता सेनगुप्ता (18 सितन्बर, 2011). "Iron to gold in 2 strokes" [टू स्ट्रोक में लोहे से सोना] (अंग्रेज़ी में). मिड डे मुंबई. अभिगमन तिथि 9 सितम्बर 2013. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. TNN (जुलाई 9, 2012). "The return of roaring Jawa Yezdis" [दहाड़ती जावा येज़दी की वापसी] (अंग्रेज़ी में). द टाइम्स ऑफ इंडिया बंगलौर. मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितम्बर 2013.
  3. TNN (15 जुलाई 2013). "A day for Jawa, Yezdi bikes" [एक दिन जावा येज़दी बाइक्स के लिये] (अंग्रेज़ी में). द टाइम्स ऑफ इण्डिया, मैसूर. मूल से 17 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितम्बर 2013.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ