जामा का युद्ध
जामा का युद्ध (Battle of Zama) 19 अक्टूबर 202 ईसापूर्व लड़ा गया था और द्वितीय प्यूनिक युद्ध का अंतिम और निर्णायक युद्ध था।
परिचय
इस समर ने वाटरलू के समर की ही भाँति तत्कालीन विश्व-इतिहास को प्रभावित किया था। इस युद्ध में कार्थेज का जनरल हनींबाल अपने शौर्यपूर्ण जीवन में पहली बार परास्त हुआ था। अफ्रीका के आक्रामक और रोमनों के हितैषी स्किपियो (Scipio) ने दक्षिण इटली के अपराजित योद्धा हान्निबल पर आक्रमण करने की योजना बनाई। हान्निबल ने अपनी सामरिक शक्ति लेप्ति (Leptis) नामक स्थान में केंद्रित की। ऐसा करके उसने स्किपियो की सामरिक स्थिति को संकटापन्न कर दिया। किंतु ऐसे समय पर स्किपियो ने हान्निबल की प्रतीक्षा करने की अपेक्षा अपने विरोधी को बिना आभास दिए अपनी सेना को शत्रु के पार्श्व में काफी भीतर तक ले आने निर्णय किया। हान्निबल को अपने रक्षार्थ पूरे सैन्य दल के साथ कूच करना पड़ा किंतु इस भाग-दौड़ में स्किपियो ही लाभ में रहा।
दोनों सेनाओं के प्रधान नायकों में आरंभ में एक संधिवार्ता हुई किंतु विवाद को अंतत: युद्ध द्वारा ही हल करने का निश्चय किया गया। स्किपियो ने अपनी सेना के मध्य भाग में बढ़ी संख्या में तीन पंक्तिबद्ध सैनिकों की तथा उनके दोनों सिरों पर सशक्त अश्वारोही दल को रखा। विरोधी दल ने अपनी विशाल सैन्य शक्ति दूसरे ढंग से सुसज्जित की किंतु उसमें वही त्रुटि दुहराई गई जो सिकंदर के विरुद्ध लड़ते हुए भारतीय नरेश पुरु ने अपनी सेना को संचालित करने में की थी। कार्थेज सेना में 80 हाथी थे जिन्हें शत्रु को भयभीत करने के उद्देश्य से पहली पंक्ति में खड़ा किया गया और उनके पार्श्व में वेतनभोगी पैदल सैनिकों की पंक्तियों खड़ी की गईं। सेना का दूसरा अपेक्षाकृत शक्तिशाली मोर्चा थोड़ा पीछे हटकर तथा तीसरा मोर्चा, हनीबाल के नेतृत्व में, अन्य मोर्चो से 200 गज पीछे था।
संघर्ष का आरंभ हस्ति सैन्य द्वारा किए गए आक्रमण से हुआ किंतु इसके पहले कि रोमन सेना श्रृंखलित होती, उन्होंने भीषण तूर्यनाद द्वारा हस्तिदल को अत्यधिक भयाक्रांत और विक्षिप्त कर दिया। फलत: पूराठ हस्तिदल घबड़ाकर पीछे की ओर घूम पड़ा और अपनी ही सेना को ध्वस्त करने लगा। इस अवसर का लाभ रोमन सैनिकों ने भली प्रकार उठाया और हाथियों के पैरों तले कुचली जाती हुई सेना पर टूट पड़े। सारी धरती रक्त से गीली होकर चिकनी हो उठी जिसके कारण रोमनों के विजयमार्ग में अप्रत्याशित अवरोध उत्पन्न हो गया। यह स्थिति हनीबाल के पक्ष में थी और रोमनों को पीछे खदेड़ने में उसे सफलता भी मिली किंतु शीघ्र ही रोमनों ने अपने को सँभाल लिया। स्किपिय ने युद्धस्थल में ही अपनी सेना को शक्ति को कुशलतापूर्वक पूर्णत: केंद्रित और व्यवस्थित करके शत्रु पर भीषण प्रहार के लिये संनद्ध किया। धमासान युद्ध हुआ। हान्निबल के सैनिक वीरता से लड़े लेकिन ठीक उसी क्षण स्किपियो की सेना को नए अश्वारोही सैन्य का प्रबल सहयोग मिल जाने के कारण हनीबाल को अंतत: पराजित होना पड़ा। स्किपियो आगे बड़ा और उसने कार्थेज पर अधिकार कर लिया। इसके साथ ही रोम तथा कार्थेज के बीच भूमध्यजगत् पर सत्तास्थापना के लिये होनेवाले एक लंबे संघर्ष का अंत हो गया।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- https://web.archive.org/web/20070310213712/http://www.roman-empire.net/army/zama.html
- Battle of Zama from UNRV History
- Battle of Zama animated battle map by Jonathan Webb