ज़ुहा
इस्लाम |
---|
ज़ुहा (इंग्लिश: Duha, उर्दू: نماز چاشت) इस्लाम में फज्र और ज़ुहर दैनिक इस्लामी नमाज़ों के बीच सुबह की स्वैच्छिक नमाज़ है। विवरण:
पापों को क्षमा करवाने के लिए पढ़ी जाने वाली नफिल नमाज़ है। ज़ुहा अरबी शब्द है जिसका अर्थ है चमकना। यहां सूरज चमकने से सम्बन्ध है।
ज़ुहा नमाज़ के दूसरे नाम
जुहा को चाश्त की नमाज़ के साथ साथ सलात अल दुहा, इशराक की नमाज़ और नमाज़ अवाबीन के नाम से भी पुकारा जाता है।
जुहा नमाज़ पढ़ने का समय
जुहा नमाज़ का समय सूर्योदय के लगभग बीस मिनट बाद शुरू होता है तब इसे इशराक की नमाज़ कहेंगे एक घंटे बाद पढ़ेंगे तो यह नमाज़ ए चाश्त हो जाएगी ढाई घंटे बाद और गयारह बजे से पहले पढ़ेंगे तो नमाज़ अवाबीन हो जाएगी।
रकात
नमाज़ -ए- जुहा में कम से कम दो और ज़्यादा से ज़्यादा आठ रकात पढ़ते हैं, कहीं कहीं बारह भी पढ़ी जाती हैं।
हदीस में जुहा नमाज़ के इनाम का विवरण[1]
"जो नमाज़ फज्र जमात से अदा करके ज़िक्र अल्लाह करता रहे, यहां तक कि सूर्य ऊंचा हो गया फिर 2 रकात पढ़े तो उसे पूरे हज और उमरा का सवाब मिलेगा।(हदीस तिर्मिज़ी, 586) ”जो चाशत की दो रकातों को पढ़ा करे उस के (बड़े गुनाह बख़श दीये जाऐंगे (हदीस, सुनन अबु दाऊद, 1382)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Chast ki nmaz ki fazeelat". मूल से 7 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 अप्रैल 2020.