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जसनाथ जी मंदिर

जसनाथ मंदिर
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
देवताजसनाथ जी
त्यौहारहर वर्ष चैत्र माह की सप्तमी (विक्रम संवत्)
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिकतरियासर
ज़िलाबीकानेर
राज्यराजस्थान
देशभारत
जसनाथ जी मंदिर is located in राजस्थान
जसनाथ जी मंदिर
Location in Rajasthan
जसनाथ जी मंदिर is located in भारत
जसनाथ जी मंदिर
जसनाथ जी मंदिर (भारत)
भौगोलिक निर्देशांक28°13′09″N 73°33′43″E / 28.2191253°N 73.5620354°E / 28.2191253; 73.5620354

जसनाथ मंदिर, भगवान सिद्ध श्री जसनाथ जी महाराज का एक मंदिर है, जो राजस्थान के बीकानेर जिले के कतरियासर गाँव में स्थित है। [1]यह बीकानेर जिले के जूनागढ़ किले से 45 किलोमीटर और बीकानेर जिले के मालासर गाँव से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।[2]

इतिहास

यह जसनाथ संप्रदाय का मुख्य धाम है। जसनाथ जी महाराज ने समाधि लेते समय हरोजी को धर्मपीठ स्थापित कर धर्म संप्रदाय का प्रचार करने का आदेश दिया था। जसनाथी सिद्ध संप्रदाय का अग्नि नृत्य बहुत प्रसिद्ध है।[3]

जसनाथी सम्प्रदाय की औपचारिक शुरुआत विक्रम संवत 1561 में रामूजी सारण को छत्तीस धार्मिक नियमों का पालन करने का वचन दिलवाकर की गई थी। सिद्धाचार्य जसनाथजी ने स्वयं रामूजी की औपचारिक दीक्षा संपन्न कराई थी।[4]

सिद्धाचार्य जसनाथजी का प्राकट्य काति सुदी एकादशी, देवउठनी ग्यारस वार के पावन पर्व पर शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में हुआ। सिद्धाचार्य जसनाथजी के रूप में उनके अवतरण का एक कारण यह बताया जाता है कि कतरियासर गाँव के शासक हमीरजी ने सत्ययुगादि में तपस्या की थी। अपने वरदान की पूर्ति के लिए, जसनाथजी कतरियासर गाँव के उत्तर दिशा में दभाला तालाब के पास एक बालक के रूप में पाए गए। इस घटना की तुलना इस बात से की जा सकती है कि कैसे कबीर जी काशी के लहर तारा तालाब में एक बालक का रूप धारण करके कमल के फूल पर प्रकट हुए थे। ऋषि अष्टानंद जी इस आश्चर्य के प्रत्यक्षदर्शी थे।

जसनाथजी जब छोटे थे, तब वे अंगारों से भरी अंगीठी में बैठे थे। घबराकर जब माता रूपांदे ने उन्हें बाहर निकाला तो वे यह देखकर दंग रह गईं कि बालक के शरीर पर जलने का कोई निशान नहीं था। अग्नि का उन पर कोई असर नहीं हुआ। आज भी धधकते अंगारों पर अग्नि नृत्य करना जसनाथी सम्प्रदाय के सिद्धों का एक सुंदर अभिनय है , जो देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 4, श्लोक 32 से 34 में उल्लेख है कि उस परमपिता परमात्मा (पूर्ण ब्रह्म) का वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान जानने के लिए, भक्त को तत्वदर्शी संत (जो सभी पवित्र शास्त्रों को जानता है और अपने शिष्यों को ईश्वर की सच्ची भक्ति प्रदान करता है) से तत्वज्ञान (जीवन के सार का ज्ञान) समझना होगा।

सिद्धाचार्य जसनाथजी की सगाई छोटी उम्र में ही कालालदेजी से हुई थी जो कि राज्य के गांव निवासी नेपालजी की पुत्री थीं। कालालदेजी को सती और भगवती का अवतार माना जाता है।

जसनाथजी ने 24 वर्ष की अल्पायु में जीवित समाधि ले ली।[5]

पैनोरमा

मार्च 2024 में, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कई सांस्कृतिक और धरोहर परियोजनाओं की घोषणा की, जिनमें कतरियासर में जसनाथ जी को समर्पित एक दृश्यावली(पैनोरमा) का निर्माण शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य मंदिर और इसके संस्थापक से संबंधित धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देना है। प्रस्तावित दृश्यावली(पैनोरमा) एक सांस्कृतिक स्थल के रूप में कार्य करेगी, जसनाथ जी के जीवन और शिक्षाओं के बारे में जानकारी प्रदान करेगी और मंदिर की भूमिका को पर्यटन और तीर्थयात्रा के स्थल के रूप में बढ़ाएगी।[6]

सन्दर्भ

  1. "कतरियासर मेला 23 से, अग्नि नृत्य होगा". bhaskar. अभिगमन तिथि 2024-07-21.
  2. "उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, धधकते अंगारों पर थिरके अनुयायी". patrika. अभिगमन तिथि 2024-07-21.
  3. "Agni Nritya" (अंग्रेज़ी में). Indian Culture-Government Of India. अभिगमन तिथि 2024-07-22.
  4. "[List of Other Papers Presented] Proceedings of the Indian History Congress, vol. 63, 2002, pp. 1369–80. JSTOR" (अंग्रेज़ी में). JSTOR. अभिगमन तिथि 2024-07-22.
  5. सूर्यशंकर पारीक (1996). सबद-ग्रंथ : समग्र जसनाथी-साहित्य व परम्परा की सुविचारित एवं शोधपूर्ण प्रस्तुति. बीकानेर: श्रीदेव जसनाथ सिद्धाश्रम (बाड़ी) धर्मार्थ ट्रस्ट. LCCN 99935704. BB18807062.
  6. "Rajasthan CM announces multiple cultural, heritage projects". The Print. March 2024. अभिगमन तिथि July 22, 2024.