जलसा-ए-नमाज़
इस्लाम |
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जलसा (इंग्लिश: Sitting_in_salah) इस्लाम में नमाज़[1] में बैठ कर जो उपासना में पढ़ा और किया जाता है उसे नमाज़ का जलसा कहते हैं। शाब्दिक अर्थ है बैठक। इसे क़ायदा नमाज़ भी कहते हैं। विवरण:नमाज़ में एक से अधिक बार बैठना होता है इस लिए जलसा को बहुवचन में जलूस (जुुुलूूूस) या क़ायदा ए नमाज़[2] पहला और दूसरा भी कहते हैं।
जलसा मेंं क्या करते और पढ़ते हैं?
- जलसा अर्थात दो सजदों के बीच में कुछ समय बैठना।
- क़ायदा ए नमाज़: दूसरी रकात में तशह्हुद और आखरी रकात में बैठ कर तशहुद (अत्तहियात) के साथ दरूद,क़ुरआन का कुछ पाठ और सलाम होता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Sheikh, Irfan. "Aurton Ki Namaz Ka Tarika In Hindi मुकम्मल Sunni Tareeqa". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. अभिगमन तिथि 2022-01-05.
- ↑ "Namaz Ka Sahi Tarika / नमाज़ का सही तरीका". https://irfani-islam.in. मूल से 5 अगस्त 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जनवरी 2022.
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में बाहरी कड़ी (मदद)