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जलमौसमविज्ञान

जलमौसमविज्ञान या हाइड्रोमेतेरोलोजी (Hydrometeorology) मौसमविज्ञान एवं जलविज्ञान की एक शाखा है। इसके अन्तर्गत धरातल और वायुमण्डल की नीचली सतह के बीच जल एवं उर्जा के स्थानान्तरण का अध्ययन किया जाता है। जलमौसमविज्ञान की सहायता से ही मौसम परिवर्तन का पूर्वानुमान लगाया जाता है।

भारत का जलमौसमविज्ञान विभाग: परिचय

समाज के लगभग सभी क्षेत्रों में योजनाएँ बनाने/निर्णय लेने के लिए मौसम विज्ञान प्राचलों का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इनमें से कुछ क्षेत्र हैं: - कृषि, विमानन, पर्यटन, स्वास्थ्य, जल संसाधन आदि।

जल संसाधन विकास, प्रबंधन, जल संबंधी आपदाओं (बाढ़ और सूखा) के प्रशमन जल विज्ञान के अभिकल्पन, परियोजनाएँ पूर्वानुमान आदि के लिए वर्षा एक प्रमुख प्राचल है।

हालांकि जल मौसम विज्ञान प्राचलों की गुणवत्ता पूरी हो चुकी परियोजनाएँ उपयोगकर्ता अनुकूल आँकड़ा आधार निर्णय समर्थन प्रणाली के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

चल रही परियोजनाएँ भावी परियोजनाएँ चूँकि मानक उपकरण, प्रेक्षणों को रिकार्ड करने का समय, प्रदर्शित करने की स्थितियों आदि में कोई एकरूपता नहीं थी अतः भारत सरकार ने "1890 का वर्षा संकल्प" जारी किया।

इस संकल्प के अनुसार भारत मौसम विज्ञान विभाग भारत में हुई वर्षा के आँकड़ों का संरक्षक है।

इस संकल्प में पूरे भारत में वर्षा के प्रेक्षणों को रिकार्ड करने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा प्रमाणित मानक वर्षामापियों के उपयोग पर जोर दिया गया है।

इसके लिए योग्य अधिकारी द्वारा वर्षामापियों का नियमित परीक्षण व जाँच पड़ताल तथा आँकड़ों की गुणवत्ता की जाँच की जाएगी। वर्षा के आँकड़ों को अभिलेखित करने वाले राज्य और अन्य अभिकरण इन आँकड़ों को प्रकाशित करने के लिए भारत मौसम विज्ञान विभाग को प्रतिवर्ष मानक प्रपत्र में आँकड़ों की आपूर्ति करेंगे।

भारत मौसम विज्ञान विभाग 6 प्रादेशिक मौसम केंद्रों, सतह उपकरण प्रभाग और मौसम विज्ञान के अपरमहानिदेशक (अनुसंधान) पुणे के कार्यालय में स्थापित राष्ट्रीय आँकड़ा केंद्र के निरीक्षण एककों के माध्यम से यह कार्य कर रहा है।

नई दिल्ली स्थित जल मौसम प्रभाग वर्षा मॉनीटरन एकक, तूफान अभिकल्प एकक, तूफान विश्लेषण एकक, हिमनद विज्ञान एकक, बाढ़ मौसम विज्ञान एकक और अन्तरराष्ट्रीय जल विज्ञान कार्यक्रम आदि विभिन्न एककों के माध्यम से जल मौसम विज्ञान सेवाएँ प्रदान कर रहा है। ये एकक शोध और प्रचालनात्मक गतिविधियों से जुड़े हुए कार्य कर रहे हैं।

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