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जनसांख्यिकी

आबादी के अनुसार देशों के मानचित्र
इस सदी के उत्तरार्ध के लिए मानव जनसंख्या वृद्धि को दर्शाते हुए अनुमान (चार्ट के वैकल्पिक दृश्य भी देखें).

जनसांख्यिकी, मानव जनसंख्या का सांख्यिकीय अध्ययन है। यह एक बहुत सामान्य विज्ञान हो सकता है जिसे किसी भी तरह की गतिशील मानव आबादी पर लागू किया जा सकता है, अर्थात् ऐसी आबादी जो समय और स्थान के साथ-साथ परिवर्तित होती है (जनसंख्या गतिशीलता देखें). इसमें जनसंख्या के आकार, संरचना और वितरण और जन्म, प्रवास, वय वृद्धि और मृत्यु के सन्दर्भ में स्थानिक और/या कालिक परिवर्तन का अध्ययन शामिल होता है।

जनसांख्यिकीय विश्लेषण को शिक्षा, राष्ट्रीयता, धर्म और जातीयता जैसे मानदंडों के आधार पर विभाजित पूरे समाज पर या समूहों पर लागू किया जा सकता है। शिक्षण क्षेत्र में, जनसांख्यिकी को अक्सर समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र अथवा मानव-विज्ञान की एक शाखा के रूप में माना जाता है। औपचारिक जनसांख्यिकी के अध्ययन का लक्ष्य, जनसंख्या की प्रक्रियाओं के मापन तक सीमित है, जबकि सामाजिक जनसांख्यिकी जनसंख्या अध्ययन का अधिक व्यापक क्षेत्र, एक जनसंख्या को प्रभावित करने वाले आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और जैविक प्रक्रियाओं के बीच संबंधों का विश्लेषण करता है।[1]

जनांकिकी शब्द को अक्सर ग़लती से जनसांख्यिकी के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन यह किसी ख़ास जन समुदाय की विशेषताओं को निर्दिष्ट करता है, जिसका प्रयोग सरकारी, विपणन या अभिमत अनुसंधान में या ऐसे अनुसंधानों में इस्तेमाल जनसांख्यिकीय प्रोफ़ाइल में होता है।

डेटा और विधियां

डेटा संग्रह के दो तरीके हैं: प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष. प्रत्यक्ष डेटा, महत्वपूर्ण पंजीकृत आंकड़ों से आता है जो सभी जन्म और मृत्यु की टोह रखता है और साथ ही साथ कानूनी स्थिति में कुछ ख़ास परिवर्तनों का भी, जैसे विवाह, तलाक और प्रवास (निवासस्थान का पंजीकरण). बेहतर पंजीकरण प्रणाली वाले विकसित देशों में (जैसे अमेरिका और अधिकांश यूरोप), जन्म और मृत्यु की संख्या का आकलन करने के लिए पंजीकरण आंकड़े सबसे अच्छा तरीका है।

जनसांख्यिकीय आंकड़े एकत्रित करने की एक अन्य प्रत्यक्ष आम विधि है जनगणना. एक जनगणना आम तौर पर राष्ट्रीय सरकार द्वारा आयोजित की जाती है और देश के हर व्यक्ति को गिनने का प्रयास करती है। बहरहाल, महत्वपूर्ण सांख्यिकी आंकड़ों के विपरीत, जिन्हें आम तौर पर लगातार एकत्र किया जाता है और एक वार्षिक आधार पर संक्षेपित किया जाता है, जनगणना सामान्यतया केवल हर 10 साल में घटित होती है और इस प्रकार आम तौर पर जन्म और मृत्यु के आंकड़ों के लिए सबसे अच्छा स्रोत नहीं हैं। विश्लेषणों को एक जनगणना के बाद यह अनुमान लगाने के लिए आयोजित किया जाता है कि अधिक गणना या अल्प गणना कितनी हुई है।

जनगणना में लोगों की सिर्फ़ गिनती के अलावा, काफी कुछ होता है। वे आम तौर पर परिवारों या घरों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के साथ-साथ, व्यक्तिगत विशेषताओं जैसे उम्र, लिंग, वैवाहिक स्थिति, साक्षरता/शिक्षा, रोजगार स्थिति और व्यवसाय और भौगोलिक अवस्थिति से सम्बंधित जानकारी इकट्ठा करते हैं। वे प्रवास (जन्म स्थान या पिछला निवास स्थान), भाषा, धर्म, राष्ट्रीयता (या जातीयता या नस्ल) और नागरिकता के आंकड़े भी एकत्र कर सकते हैं। उन देशों में, जहां महत्वपूर्ण पंजीकरण प्रणाली अधूरी हो, जनगणना का इस्तेमाल, मृत्यु दर और प्रजनन क्षमता के बारे में जानकारी के प्रत्यक्ष स्रोत के रूप में भी किया जाता है; उदाहरण के लिए जनवादी चीन गणराज्य की जनगणना, ऐसे जन्मों और मृत्यु की जानकारी एकत्र करती है, जो जनगणना के ठीक पहले 18 महीने में घटित हुई हो।

आंकड़े एकत्र करने के अप्रत्यक्ष तरीकों की ज़रूरत उन देशों में होती है जहां पूरे आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, जैसे कि अधिकांश विकासशील देशों के मामले में. इनमें से एक तकनीक है बहन विधि, जहां सर्वेक्षण के शोधकर्ता, महिलाओं से पूछते हैं कि उनकी बहनों में कितनी मर गईं या उनके कितने बच्चे थे और कितनी उम्र थी। इन सर्वेक्षणों के साथ, शोधकर्ता तब परोक्ष रूप से संपूर्ण जनसंख्या के लिए जन्म या मृत्यु दर का अनुमान लगा सकते हैं। अन्य अप्रत्यक्ष तरीकों में शामिल है लोगों से भाई बहन, माता पिता और बच्चों के बारे में पूछना.

जनसंख्या प्रक्रियाओं को गढ़ने के लिए कई प्रकार के जनसांख्यिकीय तरीके मौजूद हैं। उनमें शामिल है मृत्यु संख्या का मॉडल (जीवन तालिका, गोमपर्ट्ज़ मॉडल, हज़ार्ड मॉडल, कॉक्स आनुपातिक हज़ार्ड मॉडल, बहु अपक्षय जीवन तालिका, ब्रास संबंधपरक लौजिट्स), प्रजनन (हर्नेस मॉडल, कोल-ट्रुसेल मॉडल, समता प्रगति अनुपात), विवाह (विवाह पर सिंगुलेट मीन, पेज मॉडल), विकलांगता (सुलिवान विधि, मल्टीस्टेट जीवन सारणी), जनसंख्या अनुमान (ली कार्टर, लेज़्ली मैट्रिक्स) और जनसंख्या गति (केफिट्ज़).

महत्वपूर्ण अवधारणाएं

एक जनसंख्या पिरामिड उम्र/लिंग वितरण है।

जनसांख्यिकी की महत्वपूर्ण अवधारणाओं में शामिल है:

  • अशोधित जन्म दर, प्रति 1000 लोगों में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या.
  • सामान्य प्रजनन दर, गर्भ धारण के उम्र वाली प्रति 1000 महिलाओं में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या (अक्सर 15 से 49 वर्ष तक लिया जाता है, लेकिन कभी-कभी 15 से 44).
  • विशिष्ट आयु प्रजनन दर, विशेष आयु समूहों में (आमतौर पर 15-19, 20-24 आदि) प्रति 1000 महिलाओं में जीवित जन्म की वार्षिक संख्या.
  • अशोधित मृत्यु दर, प्रति 1000 लोगों में मौतों की वार्षिक संख्या.
  • शिशु मृत्यु दर, प्रति 1000 जीवित जन्मों में, 1 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौतों की वार्षिक संख्या.
  • जीवन की आशा (या जीवन प्रत्याशा), वर्तमान मृत्यु संख्या के स्तरों पर एक व्यक्ति, किसी विशेष उम्र से जितने साल जीने की अपेक्षा कर सकता है।
  • कुल प्रजनन दर, अपना प्रजनन जीवन पूरा करने वाली प्रति महिला पर जीवित जन्म की संख्या, यदि प्रत्येक उम्र में उसका प्रसव वर्तमान आयु-विशिष्ट प्रजनन दर को परिलक्षित करता है।
  • प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन, बच्चों की वह औसत संख्या जो एक महिला के पास अपने आप को अगली पीढ़ी में एक बेटी के साथ प्रतिस्थापित करने के लिए आवश्यक रूप से होनी चाहिए। उदाहरण के लिए अमेरिका में प्रतिस्थापन स्तर प्रजनन 2.11 है। इसका मतलब यह है कि 100 महिलाओं के 211 बच्चे होंगे, जिनमें से 103 कन्याएं होंगी. जीवित कन्या शिशुओं में से 3% के बच्चा जन्मने से पहले मृत हो जाने की उम्मीद होती है, इस प्रकार अगली पीढ़ी में 100 महिलाओं की उत्पत्ति होती है।[2]
  • सकल प्रजनन दर, वर्तमान आयु-विशिष्ट प्रजनन दर पर अपना प्रजनन जीवन पूरा करने वाली महिलाओं से पैदा होने वाली बेटियों की संख्या.
  • शुद्ध प्रजनन अनुपात बेटियों की अपेक्षित संख्या है, प्रति नवजात संभावित माता, जो हो सकता है मां बनने के लिए या दौरान जीवित ना रहे।
  • स्थाई जनसंख्या, एक ऐसी जनसंख्या होती है जिसकी अशोधित जन्म और मृत्यु दर, इतने लंबे समय तक स्थिर बनी रहती है कि प्रत्येक उम्र वर्ग में लोगों का प्रतिशत स्थिर बना रहता है, या समतुल्य रूप से जनसंख्या पिरामिड की संरचना अपरिवर्तनीय होती है।[2]
  • स्थिर जनसंख्या, ऐसी जनसंख्या जो स्थिर है और आकार में अपरिवर्तित है (अशोधित जन्म दर और अशोधित मृयु दर के बीच अंतर शून्य होता है).[2]

एक स्थाई जनसंख्या का आकार, ज़रूरी नहीं कि निश्चित बना रहे, यह बढ़ता और घटता रहता है।[2]

ध्यान दें कि अशोधित मृत्यु दर जिसे ऊपर परिभाषित किया गया है और जिसे एक पूरी आबादी पर लागू किया जाता है, एक भ्रामक धारणा दे सकता है। उदाहरण के लिए, प्रति 1000 लोगों में मौतों की संख्या, कम विकसित देशों की तुलना में विकसित देशों के लिए अधिक हो सकती है, इसके बावजूद कि विकसित देशों में स्वास्थ्य का स्तर बेहतर है। ऐसा इस वजह से है क्योंकि विकसित देशों में आनुपातिक रूप से बूढ़े लोग ज़्यादा हैं, जिनके किसी विशिष्ट वर्ष में मरने की संभावना अधिक होती है, जिसके कारण किसी निर्दिष्ट उम्र में मृत्यु दर कम होने के बावजूद भी समग्र मृत्यु दर अधिक हो सकती है। मृत्यु दर की अधिक पूर्ण तस्वीर एक अलग जीवन तालिका द्वारा प्रस्तुत किया गया है जो प्रत्येक आयु में मृत्यु दर का सारांश पेश करती है। जीवन प्रत्याशा का एक अच्छा अनुमान प्रदान करने के लिए, एक जीवन तालिका आवश्यक है।

प्रजनन दर भी एक भ्रामक धारणा प्रस्तुत कर सकती है कि जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है जबकि शायद वास्तव में ऐसा ना हो, क्योंकि प्रजनन दर के मापन में केवल महिलाओं की प्रजनन दर शामिल होती है और यह लिंग अनुपात के लिए समायोजित नहीं होता है। उदाहरण के लिए, 3.0 की प्रजनन दर और 50/50 के लिंग अनुपात वाली जनसंख्या की तुलना में यदि एक जनसंख्या का कुल प्रजनन दर 4.0 है लेकिन लिंग अनुपात 66/34 है (स्त्री से दुगुने पुरुष), तो यह जनसंख्या वास्तव में प्राकृतिक वृद्धि दर से अपेक्षाकृत धीमी गति से बढ़ रही है। यह विरूपण भारत और म्यांमार में सबसे ज़्यादा है और चीन में भी मौजूद है।

बुनियादी समीकरण

मान लीजिए कि एक देश (या अन्य संस्था) में t समय में जनसंख्याt व्यक्ति शामिल हैं। समय t + 1 पर जनसंख्या का आकार क्या होगा?

समय t से t + 1 तक प्राकृतिक वृद्धि

समय t से t + 1 तक निवल प्रवास

इस बुनियादी समीकरण को उप-जनसंख्या पर भी लागू किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जातीय समूहों या समाज अथवा देश के भीतर किसी आबादी का आकार, बदलाव के उसी समान स्रोत के अधीन है। हालांकि, जब जातीय समूहों पर काम किया जाता है तो, "निवल प्रवास" को, भौतिक प्रवास और जातीय पुनःपहचान (सदृशीकरण) में उपविभाजित करना पड़ सकता है। जो व्यक्ति अपने जातीय लेबल को बदलते हैं या जिनका जातीय वर्गीकरण सरकारी आंकड़ों में समय के साथ परिवर्तित होता है, उन्हें प्रवासी अथवा जनसंख्या की एक उपश्रेणी से दूसरी में जाने वाला समझा जा सकता है।[3]

अधिक सामान्य रूप से, जबकि बुनियादी जनसांख्यिकीय समीकरण, परिभाषा के अनुसार सही है, व्यवहार में घटनाओं की अभिलेखन और गिनती (जन्म, मृत्यु, आप्रवास, उत्प्रवास) और कुल जनसंख्या आकार की गणना त्रुटि के अधीन है। इसलिए जब भी जनसंख्या के आकार या बदलाव की गणना की जाती है तो अंतर्निहित आंकड़ों में त्रुटि के लिए छूट की ज़रूरत होती है।

इतिहास

इब्न खलदून (1332-1406) को उनके सामाजिक संगठन का आर्थिक विश्लेषण करने के कारण जिससे जनसंख्या, विकास और समूह गतिशीलता पर प्रथम वैज्ञानिक और सैद्धांतिक कार्यों की उत्पत्ति हुई "जनसांख्यिकी का पिता" माना जाता है। उनके निष्कर्षों ने, सामजिक-जनसांख्यिकीय गतिशीलता के गणितीय मॉडलिंग की नवीन लहर को प्रेरित किया है[4]. उनकी मुकद्दिमा ने राज्य, संचार और इतिहास में प्रचार की भूमिका के उनके अवलोकन के लिए नींव भी रखी.[5]

जॉन ग्रौंट के द नेचुरल एंड पोलिटिकल ऑब्सर्वेशन...अपॉन द बिल्स ऑफ़ मॉर्टेलिटी (1662) में जीवन तालिका की एक आदिम शैली शामिल है। एडमंड हैली जैसे गणितज्ञों ने, जीवन तालिका को जीवन बीमा गणित के लिए आधार के रूप में विकसित किया। 1771 में जीवन की आकस्मिकताओं पर प्रकाशित प्रथम पाठ्यपुस्तक का श्रेय रिचर्ड प्राइस को दिया जाता है,[6] और उनके बाद ऑगस्टस डी मॉर्गन को, 'ऑन द एप्लीकेशन ऑफ़ प्रोबेबिलिटीज़ टु लाइफ़ कंटिन्जेंसीज़', (1838).[7]

18वीं सदी के अंत में, थॉमस माल्थस ने निष्कर्ष निकाला कि अगर रोका ना जाए तो जनसंख्या घातांकीय वृद्धि के अधीन हो जाएगी. उन्हें डर था कि जनसंख्या वृद्धि, खाद्य उत्पादन में वृद्धि से कहीं आगे निकल जाएगी जिससे गरीबी और अकाल का प्रकोप बढ़ता रहेगा (माल्थुसियन तबाही देखें); उन्हें अति-जनसंख्या के विचारों के बौद्धिक पिता के रूप में देखा जाता है। बाद में, उदाहरण के लिए वर्हुल्स्ट और बेंजामिन गोम्पेर्ट्ज़ द्वारा और अधिक परिष्कृत और यथार्थवादी मॉडलों को प्रस्तुत किया गया।

1860-1910 की अवधि को संक्रमण की अवधि के रूप में निर्दिष्ट किया जा सकता है जब जनसांख्यिकी, सांख्यिकी से एक अलग क्षेत्र के रूप में उभरी. इस अवधि में कई महान अंतर्राष्ट्रीय जनसांख्यिकी विद्वानों का प्रादुर्भाव हुआ, जैसे अडोल्फ़ क्वेटेलेट (1796-1874), विलियम फार (1807-1883), लुइस अडोल्फ बर्टीलोन (1821-1883) और उनका बेटा जैक (1851-1922), जोसेफ कोरोसी (1844-1906), ऐन्डर्स निकोलस केर (1838-1919), रिचर्ड बोख (1824-1907), विल्हेम लेक्सिस (1837-1914) और लुइगी बोडियो (1840-1920), सभी ने जनसांख्यिकी तथा विधियों के उपकरणों और जनसांख्यिकीय विश्लेषण की तकनीकों के विकास में योगदान दिया। [8]

संक्रमण

500CE से 2150 तक विश्व जनसंख्या, संयुक्त राष्ट्र के 2004 के अनुमानों के आधार पर[9] (red, orange, green) and US Census Bureau historical estimates[10] (black).केवल नीले रंग में अनुभाग विश्वसनीय है, अनुमान या आकलन नहीं।

माल्थस की भविष्यवाणियों के विपरीत और नैतिक संयम पर उनके विचारों के अनुरूप, ज्यादातर विकसित देशों में प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि, शून्य के करीब तक कम हो गई है और वह भी बिना किसी अकाल या संसाधनों की कमी के, चूंकि विकसित देशों के लोगों में कम बच्चे पैदा करने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। इन देशों में जीवन प्रत्याशा में भारी बढ़ोतरी के बावजूद जनसंख्या वृद्धि में गिरावट हुई है। जनसंख्या वृद्धि की यह पद्धति, जहां औद्योगिक पूर्व समाज में वृद्धि धीमी होती है और फिर उस समाज के विकास और औद्योगीकरण के साथ जनसंख्या में तीव्र वृद्धि देखि जाती है जिसके बाद इस समाज के और अधिक समृद्ध होने पर इस वृद्धि में पुनः कमी हो जाती है, इसे जनसांख्यिकीय संक्रमण के रूप में जाना जाता है।

इसी तरह के रुझान अब अधिक विकासशील देशों में देखे जा रहे हैं, इसलिए नियंत्रण से बाहर जाने की बजाय, वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के इस सदी में स्पष्ट रूप से धीमे होने की उम्मीद है, जो अंत में ठहर जायेगी या इसमें गिरावट भी हो सकती है। इस परिवर्तन के साथ विशेष इलाकों में विश्व की जनसंख्या के अनुपात में बड़े बदलाव होने की संभावना है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग को उम्मीद है कि दुनिया में शिशुओं और छोटे बच्चों की पूर्ण संख्या में 2015 तक गिरावट होनी शुरू हो जायेगी और 15 वर्ष के अन्दर के बच्चों की संख्या में 2025 तक.[9]

इस खंड के आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2150 के दुनिया की आबादी के नवीनतम (2004) अनुमानों को दिखाते हैं (लाल = उच्च, नारंगी = मध्यम, हरा = कम). संयुक्त राष्ट्र का "मध्यम" अनुमान, विश्व की जनसंख्या को 2075 तक 9 बिलियन के एक अनुमानित संतुलन पर पहुंचते हुए दिखाता है। स्वतंत्र रूप से काम कर रहे, आस्ट्रिया में इंटरनैशनल इंस्टीट्यूट फॉर एप्लाइड सिस्टम्स अनैलिसिस के जनसांख्यिकी विद्वानों को उम्मीद है कि दुनिया की आबादी 2070 तक 9 बिलियन के अपने चरम पर पहुंचेगी.[11] सम्पूर्ण 21वीं सदी के दौरान, आबादी की औसत उम्र में वृद्धि जारी होने की संभावना है।

जनसंख्या का विज्ञान

जनसंख्या, तीन प्रक्रियाओं के माध्यम से बदल सकती है: प्रजनन, मृत्यु और प्रवास. प्रजनन में शामिल है महिला के बच्चों की संख्या और प्रजनन क्षमता (एक महिला की जनन क्षमता) के साथ तुलना.[12] मृत्यु दर, कारणों, परिणामों का अध्ययन है और जनसंख्या के सदस्यों की होने वाली मृत्यु की प्रक्रिया को प्रभावित करने का मापन है। जनसांख्यिकी विद्वान, अधिकांशतः जीवन तालिका का उपयोग कर के मृत्यु दर का अध्ययन करते हैं, जो एक सांख्यिकीय उपकरण है जो जनसंख्या में मृत्यु दर (विशेष रूप से जीवन प्रत्याशा) के बारे में जानकारी प्रदान करता है।[13]

प्रवास का तात्पर्य लोगों के उस स्थानान्तरण से है जब वे पूर्व-परिभाषित, राजनीतिक सीमा के आर-पार, एक मूल स्थान से किसी गंतव्य स्थान पर जाते हैं। प्रवास के शोधकर्ता उन अंतरणों को तब तक 'प्रवास' नामित नहीं करते जब तक कि वे कुछ हद तक स्थायी ना हों. इस प्रकार जनसांख्यिकी विद्वान, पर्यटकों और यात्रियों को प्रवासी नहीं समझते. हालांकि, प्रवास का अध्ययन करने वाले जनसांख्यिकी विद्वान, आम तौर पर निवास स्थान के जनगणना आंकड़ों के माध्यम से ऐसा करते हैं, आंकड़ों के अप्रत्यक्ष स्रोत जैसे, टैक्स फॉर्म और श्रम शक्ति के सर्वेक्षण भी महत्वपूर्ण हैं।[14]

आज जनसांख्यिकी व्यापक रूप से दुनिया भर के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है और ऐसे छात्रों को आकर्षित करती है जिनको सामाजिक विज्ञान, सांख्यिकी या स्वास्थ्य शिक्षा में प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त है। भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, या महामारी-विज्ञान जैसे विषयों के चौराहे पर होने के कारण जनसांख्यिकी, जनसंख्या मुद्दों के व्यापक क्षेत्र के अध्ययन के लिए उपकरण प्रदान करता है जिसके लिए यह अधिक तकनीकी मात्रात्मक अभिगम का संयोजन करता है जो इस विषय के मूल को दर्शाता है जिसमें कई अन्य विधियों को समाजशास्त्र या अन्य विज्ञानों से लिया गया है। जनसांख्यिकीय अनुसंधान विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों और साथ ही साथ सांख्यिकीय विभागों और कई अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों में आयोजित किया जाता है। जनसंख्या संस्थाएं, Cicred नेटवर्क (इंटरनेशनल कमिटी फॉर कोओर्डिनेशन ऑफ़ डेमोग्राफिक रिसर्च) का हिस्सा है जबकि जनसांख्यिकीय अनुसंधान में लगे हुए अधिकांश व्यक्तिगत वैज्ञानिक, इंटरनेशनल यूनियन फॉर द साइंटिफिक स्टडी ऑफ़ पॉप्युलेशन अथवा अमेरिका में पॉप्युलेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका के सदस्य हैं।

इन्हें भी देखें

नोट

  1. एंड्रयू हिंडे डेमोग्राफी मेथड्स Ch. ISBN 0-340-71892-7 1
  2. पर्यावरण इंजीनियरिंग और विज्ञान का परिचय, द्वारा मास्टर और इला, 2008 पिअरसन शिक्षा, अध्याय 3
  3. उदाहरण के लिए, देखें, बारबरा ए एंडरसन और ब्रायन डी सिल्वर, "एस्टीमेटिंग रसिफिकेशन ऑफ़ एथनिक एमंग नन-रसियन इन द USSR," जनसांख्यिकी, Vol 20, .No 4 (नवंबर, 1983): 461-489.
  4. उदाहरण देखें, एंड्री कोरोटायेव आर्टेमि मल्कोव और डारिया खल्तोरिना (2006). इंट्रोडक्शन टु सोशल मेक्रोडाईनेमिक्स: कम्पैक्ट मेक्रोमॉडल्स ऑफ़ द वर्ल्ड सिस्टम ग्रोथ . मास्को: URSS, ISBN 5-484-00414-4
  5. एच.मोलाना (2001) "इन्फोर्मेशन इन द अरब वर्ल्ड", कोपरेशन साउथ जर्नल 1
  6. "अवर यस्टरडेज़: द हिस्ट्री ऑफ़ द एक्तुरिअल प्रोफेशन इन नोर्थ अमेरिका, 1809-1979," EJ द्वारा (जैक) मुअरहेड, FSA, (1/23/10 - 2/21/04), पेशे के सौ वर्ष के समारोह के हिस्से के रूप में सोसायटी ऑफ़ एक्तुअरीज़ द्वारा 1989 में प्रकाशित.
  7. द हिस्ट्री ऑफ़ इंश्योरेंस, Vol 3, डेविड जेनकींस और टाकाऊ योनियमा द्वारा संपादित (8 वोल्यूम सेट: (2000) उपलब्धता: जापान: कीनोकुनिया)
  8. डी गन्स, हेंक और फ़्रांस वैन पोपेल (2000) हाशिये से योगदान. डच सांख्यिकीविद, एक्तुअरीज़ और चिकित्सा डॉक्टर और विल्हेम लेक्सिस के समय जनसांख्यिकी के तरीके. 'लेक्सिस इन कॉन्टेक्स्ट: जर्मन एंड ईस्टर्न एंड नोर्थार्ण यूरोपियन कंट्रीब्यूशन टु डेमोग्राफी 1860-1910' पर कार्यशाला मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर डेमोग्राफिक रिसर्च में, रोस्टोक, 28 और 29 अगस्त 2000.
  9. [11]
  10. [12]
  11. Lutz, Wolfgang; Sanderson, Warren; Scherbov, Sergei (1997-06-19). "Doubling of world population unlikely" (PDF). Nature. 387 (6635): 803–805. PMID 9194559. डीओआइ:10.1038/42935. मूल (PDF) से 16 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-11-13.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  12. जॉन बोंगार्ट्स. द फर्टिलिटी-इन्हिबिटिंग इफेक्ट्स ऑफ़ द इंटरमीडीएट फर्टिलिटी वेरिएबल्स परिवार नियोजन में अध्ययन. Vol 13, no, 6/7. (जून.-जुलाई., 1982), pp. 179-189.
  13. "N C H S - Life Tables". मूल से 22 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 जून 2010.
  14. डोनाल्ड टी. रोलैंड डेमोग्राफिक मेथड्स एंड कॉन्सेप्ट Ch. 11 ISBN 0-19-875263-6

अतिरिक्त पठन

बाहरी कड़ियाँ

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