जनसंख्या नियंत्रण
██ 7-8 बच्चे ██ 6-7 बच्चे ██ 5-6 बच्चे ██ 4-5 बच्चे | ██ 3-4 बच्चे ██ 2-3 बच्चे ██ 1-2 बच्चे ██ 0-1 बच्चे |
कृत्रिम तरीकों का उपयोग करके जनसंख्या वृद्धि की दर को बदलने को जनसंख्या नियन्त्रण कहते हैं। कुछ वर्ष पहले तक जनसंख्या वृद्धि की दर को बढ़ाने का लक्ष्य होता था किन्तु अब जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करना लक्ष्य है।
१९५० से १९८० के बीच की अवधि में पूरे विश्व की जनसंख्या में वृद्धि तथा गरीबी, पर्यावरण बिगड़ने, तथा राजनैतिक स्थायित्व आदि पर इसके बुरे प्रभावों को देखते हुए जनसंख्या वृद्धि की दर को कम करने के प्रयत्न आरम्भ किये गये।
जनसंख्या नियंत्रण की विधिया
जनसंख्या नियन्त्रण की कुछ प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-
- गर्भनिरोध (Contraception)
- संभोग-स्थगन (Sexual abstinence)
- शिशु मृत्युदर को कम करना जिससे लोगों का डर (बच्चों के न बचने का) कम हो और वे अनावश्यक बच्चे न पैदा करें।[1]
- गर्भपात
- स्त्रियों की प्रतिष्ठा में वृद्धि की जाय जिससे परम्परागत लैंगिक श्रम विभाजन के बजाय नये प्रकार का लैंगिक श्रम विभाजन हो।
- बंध्यकरण (Sterilisation)
- एकल शिशु नीति तथा द्वि शिशु नीति
- परिवार नियोजन[2]
- छोटे परिवार को आदर्श के रूप में स्वीकारना[2]
सन्दर्भ
- ↑ Lifeblood: How to Change the World One Dead Mosquito at a Time, Alex Perry p9
- ↑ अ आ Ryerson, William N. (2010). The Post Carbon Reader: Managing the 21st Century's Sustainability Crises, "Ch.12: Population: The Multiplier of Everything Else". Healdsburg, Calif.: Watershed Media. पपृ॰ 153–174. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0970950062.