जतूकर्ण, आत्रेय के छः शिष्यों (पराशर, अग्निवेश, भेल, जतूकर्ण, क्षारपाणि, हारीत) में से एक थे। इन्होंने आयुर्वेद सिद्धांतों का लेखन कार्य किया तथा आयुर्वेद ग्रंथों की रचना की।
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