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चौथ का बरवाड़ा

चौथ का बरवाड़ा
Chauth Ka Barwara
चौथ माता मंदिर
चौथ माता मंदिर
चौथ का बरवाड़ा is located in राजस्थान
चौथ का बरवाड़ा
चौथ का बरवाड़ा
राजस्थान में स्थिति
निर्देशांक: 26°03′04″N 76°08′42″E / 26.051°N 76.145°E / 26.051; 76.145निर्देशांक: 26°03′04″N 76°08′42″E / 26.051°N 76.145°E / 26.051; 76.145
देश भारत
राज्यराजस्थान
ज़िलासवाई माधोपुर ज़िला
जनसंख्या (2022)
 • कुल17,126
भाषा
 • प्रचलितराजस्थानी, हिन्दी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)

चौथ का बरवाड़ा (Chauth Ka Barwara) भारत के राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर ज़िले में स्थित एक नगर है, जो इसी नाम की तहसील का केन्द्र भी है।[1][2]

विवरण

यह शहर राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है एवं इस शहर का विधान सभा क्षेत्र खण्डार लगता है। यहाँ का चौथ माता का मंदिर पूरे राजस्थान में प्रसिद्ध है ! चौथ का बरवाड़ा शहर अरावली पर्वत श़ृंखला की गोद में बसा हुआ मीणा व गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र है ! बरवाड़ा के नाम से मशहूर यह छोटा सा शहर संवत 1451 में चौथ माता के नाम पर चौथ का बरवाड़ा के नाम से प्रसिद्ध हो गया जो वर्तमान तक बना हुआ है ! चौथ माता मंदिर के अलावा इस शहर में गुर्जरो का आरिध्य भगवान श्री देवनारायण जी का तथा मीन भगवान का भी भव्य मंदिर है ! वहीं चौथ माता ट्रस्ट धर्मशाला सभी धर्मावलंबियों के लिए ठहरने का महत्वपूर्ण स्थान है।

चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है: चौथ का बरवाड़ा, भगवतगढ़, शिवाड़, झोंपड़ा, ईसरदा, सारसोप, आदि।

इतिहास

कलि काल कलयुग चिंगारी । अद्भूत महिमा चौथ तुम्हारी ।

चौथ का बरवाड़ा का सम्पूर्ण इतिहास चौथ माता शक्ति पीठ के इर्द गिर्द घूमता है, इस गाँव में चौथ भवानी का भव्य मंदिर है जो अरावली शक्ति गिरि पहाड़ श्रृंखला के ऊपर 1100 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, इस मंदिर की स्थापना महाराजा भीमसिंह चौहान ने संवत 1451 में बरवाड़ा के पहाड़ पर की। वर्तमान चौथ का बरवाड़ा को प्राचीन काल में "बरवाड़ा" नाम से जाना जाता था जो कि रणथम्भौर साम्राज्य का ही एक हिस्सा रहा है, इस क्षेत्र के प्रमुख शासकों में बीजलसिंह एवं भीमसिंह चौहान प्रमुख रहे हैं।

बरवाड़ा क्षेत्र के पास चौरू एवं पचाला जो कि वर्तमान में गाँव बन गए हैं वो प्राचीन काल में घनघौर जंगलों में आदिवासियों के ठहरने के प्रमुख स्थल थे। चौथ माता की प्रथम प्रतिमाका अनुमान चौरू जंगलों के आसपास माना जाता है। एक किंवदंती के अनुसार कहाँ जाता है कि प्राचीन काल में चौरू जंगलों में एक भयानक अग्नि पुंज का प्राक्ट्य हुआ, जिससे दारूद भैरो का विनाश हुआ था। इस प्रतिमा के चमत्कारों को देखकर जंगल के आदिवासियों को प्रतिमा के प्रति लगाव हो गया और उन्होंने अपने कुल के आधार पर चौर माता के नाम से इसकी पूजा करने लगे, बाद मे चौर माता का नाम धीरे धीरे चौरू माता एवं आगे चलकर यही नाम अपभ्रंश होकर चौथ माता हो गया। कहाँ जाता है कि इस माता को सर्वप्रथम चौर अर्थात कंजर जाति के लोगों ने अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा था, बाद में आदिवासियों ने भी इसे ही अपनी आराध्या देवी के रूप में माना जो कि मीणा जनजाति से संबंधित थे। यही कारण रहा है कि चौथ माता को आदिवासियों मीणाओं की कुलदेवी के रूप में जाना जाने लगा। वर्षों बाद चौथ माता की प्रतिमा चौरू के विकट जंगलों से अचानक विलुप्त हो गई, जिसका परमाण सही रूप से कहना बड़ा मुश्किल है, मगर इसके वर्षों बाद यही प्रतिमा बरवाड़ा क्षेत्र की पचाला तलहटी में महाराजा भीमसिंह चौहान को स्वप्न में दिखने लगी, लेकिन भीमसिंह चौहान ने इसे अनदेखा कर दिया। कहाँ जाता है कि एक बार महाराजा भीमसिंह चौहान को रात में स्वप्न आया कि शिकार खेलने की परम्परा को मैं भूलता जा रहा हूँ, इसी स्वप्न की वजह से महाराजा भीमसिंह चौहान ने शिकार खेलने जाने का निश्चय किया, महाराजा भीमसिंह चौहान बरवाड़ा से संध्या के वक्त जाने का निश्चय किया एवं शिकार करने की तैयारी करने लगे। भीमसिंह चौहान की रानी का नाम रत्नावली था। कहा जाता है कि रत्नावली ने राजा भीमसिंह चौहान को शिकार पर नहीं जाने के लिए बहुत मना किया, मगर भीमसिंह ने यह कहकर बात को टाल दिया कि "चौहान एक बार सवार होने के बाद शिकार करके ही नीचे उतरते हैं"। इस प्रकार रानी की बात को अनसुनी करके भीमसिंह चौहान अपने सैनिकों के साथ घनघौर जंगलों की तरफ कूच कर गए। शाम का समय था लेकिन भीमसिंह चौहान जंगलों में शिकार की खोज हेतु बढ़ते ही रहे, यकायेक महाराजा भीमसिंह चौहान की नज़र एक मृग पर पड़ी और उन्होंने मृग का पीछा करना शुरू कर दिया, सैनिक भी राजा के साथ बढ़ने लगे, लेकिन जंगलों में रात हो जाने के कारण सभी सैनिक आपस में एक दूसरे से भटक गए। महाराजा भीमसिंह ने रात हो जाने के कारण मृग का पीछा आवाज को लक्ष्य बनाकर करने का निश्चय किया और मृग की ओर बढ़ते चले गए। मृग धीरे धीरे भीमसिंह चौहान की नजरों से ओझल हो गया। जब तक राजा के सभी सैनिक राजा से रास्ता भटक चुके थे। भीमसिंह चौहान ने चारों तरफ नजरें दौड़ाई मगर उसके पास कोई भी सैनिक नहीं रहा और पानी के श्रौत को खोजने लगे क्योंकि उनको प्यास बहुत सताने लगी थी। बहुत कोशिश के बाद भी जब पानी नहीं मिला तो भीमसिंह चौहान मूर्छित होकर जंगलों में गिर पड़े। भीमसिंह को स्वप्न में पचाला तलहटी में वही प्रतिमा दिखने लगी। तभी अचानक भयंकर बारिश होने लगी एवं मेघ गरजने लगे व बिजली कड़कने लगी, जब राजा की बारिश के कारण मूर्छा टूटी तो राजा देखता है कि चारों तरफ पानी ही पानी नजर आया, राजा ने पहले पानी पिया और देखा कि एक बालिका अंधकार भरी रात में स्वयं सूर्य जैसी प्रकाशमय उज्ज्वल बाल रूप में कन्या खेलती नजर आई. भीमसिंह चौहान उस कन्या को देखकर थोड़ा भयभीत हुआ और बोला कि हे बाला इस जंगल में तुम अकेली क्या कर रही हो? तुम्हारे माँ बाप कहाँ पर है, राजा की बात को सुनकर नन्ही बालिका हँसने लगी और तोतरी वाणी में बोली कि हे राजन तुम यह बताओ की तुम्हारी प्यास बुझी या नहीं, इतना कहकर भगवती अपने असली रूप में आ गई , इतना होते ही राजा माँ के चरणों में गिर गया और बोला हे आदिशक्ति महामाया मुझे आप से कुछ नहीं चाहिए अगर आप मुझ पर खुश हो तो हमारे क्षेत्र में आप हमेशा निवास करें ! राजा भीमसिंह चौहान को माता चौथ ने कहाँ हे राजन तुम्हारी इच्छा पूरी होगी, यह कहकर भगवती शिवमाया अंतर्ध्यान हो गई. जहाँ पर महामाया लुप्त हुई वहाँ से राजा को चौथ माता की प्रतिमा मिली। उसी चौथ माता की प्रतिमा को लेकर राजा बरवाड़ा की ओर चल दिया, बरवाड़ा आते जनता को राजा ने पूरा हाल बताया और संवत 1451 में आदिशक्ति चौथ भवानी की बरवाड़ा में पहाड़ की चोटी पर माघ कृष्ण चतुर्थी को विधि विधान से स्थापित किया, तब से लेकर आज तक इसी दिन चौथ माता का मेला भरता है जिसमें लाखों की तादाद में भारतवर्ष से भगत जन माँ का आशीर्वाद लेने आते रहते है। भीमसिंह चौहान के लिए उक्त कहावत आज भी चल रही है:- चौरू छोड़ पचालो छोड्यों, बरवाड़ा धरी मलाण, "भीमसिंह चौहान कू, माँ दी परच्या परमाण

इस प्रकार चौथ माता के नाम पर बरवाड़ा क्षेत्र आगे आगे चौथ का नाम जोड़कर महाराजा भीमसिंह चौहान ने इस क्षेत्र का नया नाम रख दिया चौथ का बरवाड़ा।

सुहाग पूजा के लिए भारतवर्ष में प्रसिद्ध चौथ माता के मंदिरों में सबसे अधिक ख्याति प्राप्त चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ माता शक्ति पीठ माना जाता है, इसलिए चौथ का बरवाड़ा को शक्ति नगर के नाम से पुकारना अतिश्योक्ति नहीं होगा, चौथ माता का प्रथम स्थान चौरू, द्वितीय पचाला गाँव रहा है वहीं संवत 1451 से वर्तमान तक यह मंदिर चौथ का बरवाड़ा पर स्थित है। चौथ माता को चोरों व कंजरो की कुलदेवी माना जाता है एवं आदिवासियों में मीणा जनजाति के बारवाल और नारेड़ा गौत्र की कुलदेवी के रूप में चौथ माता जी को विशेष स्थान प्राप्त है आज भी मीणा जाति के नारेड़ा गौत्र में नवरात्रि पूजा के समय माता के प्रतीक के रूप में त्रिशूल एवं नाहर के पुत्र नारेड़ा के रूप में नाहर का पंजा बनाकर पूजने की प्रथा प्राचीन समय से चली आ रही है। किंवदंतियों के अनुसार मीणा समाज का बारवाल गौत्र भी चौथ माता को अपनी कुलदेवी मानता है। कई वर्षों बाद इंदौर घराने के शासक मल्हार राव होल्कर ने सवाई माधोपुर में सेना एकत्रित करके जयपुर पर आक्रमण करने की योजना बनाई। जब होल्कर जयपुर की तरफ बढ़ने लगा तो बीच में बरवाड़ा के ठाकुर ने होल्कर को समझना चाहा कि जयपुर से संधि कर ले युद्ध नहीं, उक्त कथन इस प्रकार था :- सुणो होल्कर बात मम,जासी अपणों ठाव, "जैपर जीतो बाद थे, पहली हमरो गाव बरवाड़ा के ठाकुर कि इस बात को सुनकर होल्कर भड़क गया और घमंड पूर्वक इस प्रकार बोला :- पान की बीड़ी चाबकर, थुकत लागै बार, "गढ़ बरवाड़ा भेद द्यू , म्हारों नाम मल्हार

अंत में दोनों सेनाओं में घमासान युद्ध जारी हो गया, बरवाड़ा दरबार हारने वाला था कि "चौथ माता चमत्कार हुआ और सम्पूर्ण गढ़ पर आग की लपट उठने लगी, मल्हार राव होल्कर को चौथ भवानी का रूद्र रूप चारों ओर दिखाई देने लगा, जिससे होल्कर घबरा गया और अपनी सेना सहित इंदौर की तरफ नंगे पैर भाग गया।

चौथ माता की आँट :- चौथ का बरवाड़ा में महाराज फतेहसिंह के समय राठौड़ वंश के राजा विद्रमा की बारात चौथ का बरवाड़ा गाँव की कच्ची बस्ती में आई थीं महाराज विद्रमा का शत्रु इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता था, उसने इसी मौके को देखकर बरवाड़ा की कच्ची बस्ती में आई विद्रमा की बारात पर विशाल सेना लेकर हमला बोल दिया, अचानक हुए आक्रमण से राजा विद्रमा संभल नहीं पाया एवं निशस्त्र होने की वजह से सम्पूर्ण बारात सहित लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुए ! इस घटना के दिन सोमवार का वार एवं अक्षय तृतिया आखातीज का पर्व था ! सम्पूर्ण बरवाड़ा क्षेत्र में शोक की लहर छा गई ! इसी दिन महाराज फतेहसिंह ने घोषणा कि, " यह एक दुर्भाग्यपूर्ण ऐतिहासिक घटना है, मैं शपथ लेता हूँ कि आज के दिन से सम्पूर्ण बरवाड़ा सहित एवं बरवाड़ा क्षेत्र के अधीन 18 गाँवों में अक्षया तृतिया को विवाह नहीं किया जाएगा और तेल की कढ़ाई तक इस दिन नहीं चढ़ाई जाएगी, साथ मेंसोमवार के दिन अपनी बहुँ बेटियों को अपने ससुराल नहीं भेजा जाएगा, जो इन्ह बातों पर ध्यान नहीं देगा उसे चौथ माता की भक्ति प्राप्त नहीं होगी, यही शपथ आज श्री चौथ माता की आँट (कसम) कहलाती है ! तब से लेकर आज तक बरवाड़ा के अधीन 18 गाँवों में अक्षया तृतिया को विवाह नहीं किए जाते एवं सोमवार को अपनी बहुँ बेटियों को बाहर गाँव, ससुराल या मांगलिक कार्यों में भी नहीं भेजा जाता है !

सूरजन हाड़ा व चौथ माता :- चौथ माता प्राचीन काल से प्रसिद्ध व चमत्कारिक प्रतिमा रही है, बूँदी नरेश सूरजन हाडा को एक बार सम्पूर्ण शरीर में फाफूले नामक बीमारी हो गई थी, बहुत समय तक इस बीमारी से निजात नहीं मिली तो आखिर में उसकी पत्नी ने चौथ माता जी की आखा को लाल कपड़े में बाँधकर राजा कि कलाई में बाँधने मात्र से फायदा पड़ गया, उस समय सुरजन हाड़ा रणथम्भौर साम्राज्य का राजा था, इस बीमारी के मिटने के बाद सुरजन हाडा ने चौथ माता देवी को अपनी आराध्य देवी मान लिया, सूरजन हाडा ने बरवाड़ा स्थित चौथ माता का हाडौती क्षेत्र में मे खूब प्रचार करवाया !, यही कारण है कि आज भी चौथ का बरवाड़ा स्थित चौथ माता मंदिर के दर्शनों हेतु लाखों की तादाद में हाड़ौती से दर्शनार्थी आते है और चौथ माता हाडौती की लोकदेवी के रूप में प्रसिद्ध हो गई, यही कारण है कि चौथ माता हाडौती क्षेत्र में घर घर में मे पूजी जाती है !

चौथ माता संबंधी विविध तथ्य :-  • सवाई मानसिंह द्वितीय को द्वितीय विश्व युद्ध में चौथ माता के सुमरन मात्र से ही सुध बुध बैठी थी, इन्हीं के चमत्कार की वजह से द्वितीय विश्व युद्ध से मानसिंह निकल कर आएं थे, जब सवाई मानसिंह द्वितीय विश्व युद्ध से आए तो इन्होंने सन् 1944 में चौथ माता सरोवर के पास विशाल शिव लिंग की स्थापना करवाई थी !  • 1759-60 ईस्वी के लगभग जयपुर के महाराजा सवाई माधोसिंह ने चौथ भवानी के विवादित प्रश्नों को जानने की इच्छा सवाई माधोपुर में की थीं !

किंवदंतियों के अनुसार

  1. चौथ माता की प्रतिमा सन 1332 के लगभग चौरू गाँव स्थित थी !
  2. 1394 ईस्वी के लगभग चौथ माता मंदिर की स्थापना बरवाड़ा में की गई थी
  3. 1567-68 के समय सुरजन हाडा ने चौथ माता देवी का हाडौती क्षेत्र में भारी प्रचार प्रसार करवाया था !

तहसील के प्रमुख पर्यटन स्थल

  1. श्री चौथ माता मंदिर,चौथ का बरवाडा़
  2. श्री घुश्मेश्वर द्वादशा ज्योर्तिलिंग मंदिर, शिवाड़
  3. श्री मीन भगवान का भव्य मंदिर, चौथ का बरवाडा़
  4. श्री अरणेश्वर महादेव सप्त कुंड, भगवतगढ़
  5. श्री खुल खुल माता का मंदिर, चौथ का बरवाडा़
  6. श्री राजराजेश्वर शिव मंदिर, चौथ का बरवाडा़
  7. श्री भैरव बाबा का प्राचीन मंदिर, सारसोप
  8. श्री देवनारायण का मंदिर, चौथ का बरवाडा़
  9. लाल बाई माता का मन्दिर चौथ का बरवाड़ा

तहसील

चौथ का बरवाड़ा तहसील सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आती है। इस तहसील में कुल गाँवों की संख्या 66 है। तहसील स्तर पर चौथ का बरवाड़ा, भगवतगढ़ एवं शिवाड़ तीन कस्बे है. तहसील का सबसे बड़ा मीणा जाति का ग्राम झोंपड़ा है। तहसील में कनवारपुरा, सोलपुर, सवाई गंज एवं विजयपुरा गाँवों में स्त्रियों का लिंगानुपात पुरुषों से अधिक है। वही तहसील स्तर पर एक हजार से अधिक जनसंख्या वाले गाँवों की संख्या 28 है। चौथ का बरवाड़ा में सबसे बड़ा गाँव चौथ का बरवाड़ा है वही सबसे छोटा गाँव गोपालपुरा है। चौथ का बरवाड़ा तहसील की कुल जनसंख्या 84,153 है जिसमें पुरुषों की संख्या 44,190 है और महिलाओं की संख्या 39,963 है। जनसंख्या के आधार पर सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील सबसे छोटी तहसील है, इससे बड़ी तहसिलों में सवाई माधोपुर, गंगापुर , बामनवास, बौंली , खंडार एवं मलारना डूंगर है।

चौथ का बरवाड़ा के अंतर्गत आने गाँवों की जनसंख्या :

क्रं. सं.गाँव का नामकुल जनसंख्याकुल घरों की संख्या
01चौथ का बरवाड़ा171262554
02भगवतगढ़98191527
03शिवाड़95141478
04ईसरदा67381141
05सारसोप65341082
06पाँवडेरा3110505
07झोंपड़ा3029528
08भैड़ोला2622484
09बलरियाँ2473395
10आदलवाड़ा कलाँ2335425
11डिडायच2284356
12बिणजारी2094332
13ऐंचेर1985306
14महापुरा1912289
15टापूर1875292
16जौंला1762296
17चैनपुरा1695279
18बंदेड़ियाँ1656286
19बगीना1645254
20क्यावड़1618264
21पीपल्या1601229
22गिरधरपुरा1581274
23रजवाना1487255
24कनवारपुरा1397202
25गढ़वास1396230
26झाझेरा1387256
27बोरदा1286193
28जगमोंदा1252213
29सोलपुर1218194
30कुम्हारियाँ1104214
31बाँसड़ा1087162
32झारोदा1087184
33नयागाँव967155
34ऐकड़ा959137
35धौंली904122
36देवली899140
37रामसिंहपुरा888147
38सिरोही882160
39मुरली मनोहरपुरा866146
40गुणशीला856148
41बाँसला802127
42चौकड़ी800119
43त्रिलोकपुरा773112
44नाहरीखुर्द एवं झड़कुंड769138
45अभयपुर704108
46ठेकड़ा691109
47शेरसिंहपुरा662125
48कनवारपुरा501101
49कच्छीपुरा60185
50आंदोली59493
51रेवतपुरा588106
52समुद्रपुरा57899
53भैडोली55098
54रतनपुरा529109
55रूपनगर52875
56आदलवाड़ा खुर्द431105
57रायपुर505120
58मानपुर49087
59सवाई गंज48181
60गणेश गंज43694
61तींदू37761
62विजयपुरा34957
63टोरड़ा32749
64नाहरी कलां31560
65देवपुरा24636
66गोपालापुरा18934

पंचायत समित

चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति सवाई माधोपुर की 6 ठीं पंचायत समिति बनी है, इस पंचायत समिति के अंतर्गत 23 ग्राम पंचायतें पड़ती है ! चौथ का बरवाड़ा पंचायत समिति की 2011 की जनगणना के अनुसार कुल जनसंख्या 1 लाख 35 हजार 405 है ! पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों नाम तालिका :-

क्रमांक नं.ग्राम पंचायत नाम
1चौथ का बरवाड़ा
2भगवतगढ़
3झोंपड़ा
4आदलवाड़ा कलाँ
5बलरियाँ
6बिनजारी
7भैडोला
8डिडायच
9ईसरदा
10मुई
11खिजूरी
12रवाजना डूंगर
13रवाजना चौड़
14जौंला
15महापुरा
16पाँवडेरा
17रजवाना
18सारसोप
19शिवाड़
20टापूर
21डेकवा
22कुस्तला
23पाँचोलास

राजनीति

चौथ का बरवाड़ा तहसील सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आती है, जो राजस्थान के खंडार विधानसभा क्षेत्र में सम्मिलित हैं, खण्डार विधानसभा क्षेत्र में अब तक के विधायकों का विवरण इस प्रकार है :-

शिक्षा

  1. राजकीय शास्त्रीय संस्कृत महाविद्यालय, चौथ का बरवाड़ा
  2. राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, चौथ का बरवाड़ा

आवागमन

चौथ का बरवाड़ा रेलवे स्टेशन सवाई माधोपुर-जयपुर रेलवे मार्ग के बीच पड़ता है। यहाँ पर सभी पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव है, वहीं कुछ सुपर फास्ट गाड़ियाँ भी यहाँ रूकती है:-

चौथ का बरवाड़ा से सवाई माधोपुर की तरफ जाने वाली रेल गाड़ियाँ :-

क्र.वर्षविधायक नामदल
11962हरफूलएस. डब्ल्यू. ए.
21967सी. लालएस. डब्ल्यू. ए.
31972रामगोपालकांग्रेस
41977चुन्नीलालजे. एन. पी.
51980चुन्नीलालभारतीय जनता पार्टी
61985रामगोपाल सिसौदियाकांग्रेस
71990चुन्नीलालभारतीय जनता पार्टी
81993हरिनारायण बैरवाभारतीय जनता पार्टी
91998अशोक बैरवाकांग्रेस
102003अशोक बैरवाकांग्रेस
112008अशोक बैरवाकांग्रेस
122013जितेन्द्र कुमार गोठवालभारतीय जनता पार्टी
132018अशोक बैरवाकांग्रेस
142024जितेन्द्र गोठवालभारतीय जनता पार्टी
क्रमांक नं.ट्रेन नं.ट्रेन नामसमयदिन
122982श्री गंगानगर-कोटा सुपर फास्ट पैसेंजर07:09डेली
259805जयपुर-बयाना सुपर फास्ट पैसेंजर08:42डेली
312466रणथम्भौर सुपर फास्ट एक्सप्रेस12:38डेली
412182दयोदया सुपर फास्ट एक्सप्रेस19:03डेली
554812जोधपुर-भोपाल पैसेंजर19:40डेली

चौथ का बरवाड़ा से जयपुर की तरफ जाने वाली रेल गाड़ियाँ :-

क्रमांक नं.ट्रेन नं.ट्रेन नामसमय व दिन
159801चकोटा-जयपुर फास्ट पैसेंजर02:23 डेली
254811भोपाल-जोधपुर पैसेंजर06:16 डेली
312181दयोदया सुपर फास्ट एक्सप्रेस09:57 डेली
412465रणथम्भौर सुपर फास्ट एक्सप्रेस14:57 डेली
559806बयाना-जयपुर सुपर फास्ट पैसेंजर17:21 डेली
622981कोटा-हनुमानगढ़ सुपर फास्ट पैसेंजर19:47 डेली

चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले रेलवे स्टेशन

क्रमांक नं.स्टेशन का नाम
1.चौथ का बरवाड़ा
2.ईसरदा
3.देवपुरा
4.सुरेली

चौथ का बरवाड़ा से सीधी बस सेवाएँ :-

प्रस्थानठहरावकिमी
चौथ का बरवाड़ासवाई माधोपुर24
चौथ का बरवाड़ाभगवतगढ़11
चौथ का बरवाड़ाउनियारा32
चौथ का बरवाड़ाशिवाड़11
चौथ का बरवाड़ाचौरू8

बैंकिंग क्षेत्र

क्र. सं.बैंक का नामगाँव/कस्बा
01भारतीय स्टेट बैंकचौथ का बरवाड़ा
02पंजाब नेशनल बैंकचौथ का बरवाड़ा
03कार्पोरेशन बैंकचौथ का बरवाड़ा 04 ।। बड़ौदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ।। चौथ का बरवाड़ा

प्रशासन

क्र. सं.नामस्थानफोन नं.
राजकीय पुलिस स्टेशनचौथ का बरवाड़ा-
पुलिस चौकीशिवाड़-

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990