चूलवंश, पालि भाषा में रचित श्रीलंका के राजाओं का इतिहास है। इसमें ४थी शताब्दी से लेकर १८१५ तक के काल का इतिहास है। इसकी रचना अनेकों वर्षों में अनेकों भिक्षुओं के माध्यम से सम्पन्न हुई, अतः इसमें अनेक तर्ह की काव्य-शैलियाँ मिलतीं हैं। सामान्य मान्यता यह है कि यह महावंस का उत्तर ग्रंथ (सेक्वेल) है।