सामग्री पर जाएँ

चीनी भावचित्र

चीनी लिपि में 'आँख' के लिए भावचित्र
'आँख' के भावचित्र का हस्त-लिखित रूप
शाङ राजवंश काल में हड्डियों पर खरोंचे गए स्वर-अर्थ संयुक्त भावचित्र - इनसे भविष्यवाणियाँ की जाती थीं
सन् १४३६ में बनी चीनी भावचित्र सिखाने के लिए एक पुस्तक का पृष्ठ
गाय के चित्र से कैसे उसका आधुनिक भावचित्र बदलावों के साथ उत्पन्न हुआ
चीनी भावचित्रों में हर दिशा में खीची जाने वाली हर प्रकार की लकीर का एक भिन्न नाम है - हर भावचित्र में यह लकीरें अलग तरह से सम्मिलित होती हैं - यहाँ दिखाए गए भावचित्र 永 का मतलब 'हमेशा' या 'सनातन' है

हान-त्स् अथवा चीनी भावचित्र (चीनी भाषा: 汉字) चीनी भाषा और (कुछ हद तक) जापानी भाषा लिखने के लिए इस्तेमाल होने वाले भावचित्र होते हैं। इन्हें चीनी के लिए जब प्रयोग किया जाए तो यह हान-त्स्(汉字/漢字, Hànzì) कहलाते हैं और जब जापानी के लिए प्रयोग किया जाए तो कान्जी (जापानी: 漢字) कहलाते हैं। पुराने ज़माने में इनका प्रयोग कोरियाई भाषा और वियतनामी भाषा के लिए भी होता था। चीनी भावचित्र दुनिया की सब से पुरानी चलती आ रही लिखने की विधि है।[1]

वैसे तो चीनी में दसियों हज़ार भावचित्र हैं, लेकिन इन में से अधिकतर केवल ऐतिहासिक लिखाइयों में देखने को मिलते हैं। अध्ययन से पता चला है कि साधारण चीनी में साक्षर होने के लिए तीन से चार हज़ार भावचित्रों का जानना काफ़ी है। हर चीनी भावचित्र के साथ एक उच्चारण और एक अर्थ जुड़ा होता है और ज़्यादातर चीनी शब्द दो भावचित्रों के साथ लिखे जाते हैं (हालांकि कुछ सरल शब्द एक से भी लिखे जाते हैं)। यह ध्यान रहे कि उच्चारण उपभाषा और भाषा के साथ बदलता है। यह देवनागरी लिपि कि तरह नहीं है कि किसी अक्षर का हर जगह वही उच्चारण हो। इसे समझने के लिए सोचिये कि अगर कोई पहाड़ का चित्र देखे तो वह सबको समझ आ जाएगा, लेकिन हिंदी बोलने वाला उस शब्द को 'पर्वत' कहेगा, फ़ारसी बोलने वाला 'कोह' कहेगा और अंग्रेज़ी बोलने वाला 'माऊन्टेन' कहेगा।

रूप और सरलीकरण

चीनी भावचित्रों के अक्सर दो या तीन रूप होते हैं:

  • एक रूप छापने के लिए इस्तेमाल होता है, जिसमें आसानी के लिए हर भावचित्र एक चकोर अकार के बराबर बनाया जाता है। इन्हें 'चकोर डब्बे के चिह्न' (चीनी में 方塊字 'फ़ाङ-ख्वाय-त्स्' और अंग्रेज़ी में Square-Block Characters 'स्क्वेयर ब्लॉक कैरॅक्टर्ज़') कहा जाता है।[2]
  • एक रूप हाथ से जल्दी लिखने की आसानी के लिए होता है। इसकी लकीरें बहती हुई और कभी-कभी थोड़ी अस्पष्ट होती हैं।
  • अन्य रूप इन्हें चित्रों और मन्त्रों में लिखने के लिए होते हैं। इन्हें सौंदर्य और तस्वीरों में हिल-मिल जाने के लिए बनाया जाता है। यह चीनी और जापानी सभ्यता में एक कला मानी जाती है, जिसे अंग्रेज़ी में 'कैलीग्रफ़ी' (calligraphy), चीनी में 'शू-फ़ा' (書法) और जापानी में 'शोदो' (書道) कहते हैं। भारतीय उपमहाद्वीप इस से मिलती-जुलती कला को प्राचीन इमारतों और ग्रंथों पर देखा जा सकता है। इसे भारत में 'ख़ुशख़ती' या 'अक्षरांकन' कहा जाता है।[3]

समय के साथ-साथ बहुत सारे भावचित्र प्रचलित हो चुके थे और उनमें से बहुत लिखने में बड़े पेचीदे थे, इसलिए जापान और चीन की सरकारों ने इनमें कुछ मानकीकरण और सरलीकरण किये हैं। इस से चीनी भाषा के बहुत से शब्दों के दो रूप होते हैं - पारम्परिक चीनी रूप और सरलीकृत चीनी रूप। बहुत से शब्दों के जापानी और चीनी रूप भी मिलते-जुलते लेकिन ज़रा भिन्न होते हैं।

भावचित्रों की क़िस्में

चीनी भावचित्रों की कई श्रेणियाँ होती हैं:[4][5]

चित्रचिह्न

यह कभी चित्र हुआ करते थे लेकिन लिखाई में आसानी लाने के लिए और मानकीकरण करने के बाद इनकी शक्लें थोड़ी बदल गई हैं। उदाहरण स्वरूप, 人 (रन) यानि 'व्यक्ति', 日 (री) यानि 'सूरज', 月 (युए) यानि 'चाँद' और 木 (मू) यानि 'वृक्ष'। लगभग ४% चीनी भावचित्र इस श्रेणी के हैं। अंग्रेज़ी में इस श्रेणी के शब्दों को 'पिक्टोग्रैम' (pictogram) कहते हैं।

भावचित्र

यह चित्रों में थोड़ा फेर-बदल कर के उन्हें अन्य मतलब देते हैं। जैसे कि जहाँ 木 (मू) का अर्थ 'वृक्ष', वहाँ दो वृक्षों को जोड़कर 林 (लिन) बनता है, जिसका मतलब '(वृक्षों का) झुरमुट' है। अगर तीन वृक्ष जोड़कर 森 (सेन) लिखे, तो इसका अर्थ 'जंगल' होता है। उसी तरह 刀 (दाओ) का मतलब तो 'चाकू' है लेकिन इसकी धार पर निशान लगाने से 刃 (रेन) बनता है, यानि '(चाकू की) धार'। ज़रा-ज़रा से निशान बनाने से नए अर्थों वाले शब्द बनाए गए हैं। अंग्रेज़ी में इस श्रेणी के शब्दों को 'इडियोग्रैम' (ideogram) कहते हैं।

संयुक्त भावचित्र

इनमें एक से अधिक चित्रों या भावचित्रों को जोड़कर नए अर्थों वाले शब्द बनाए जाते हैं। जैसे कि 日 (री) यानि 'सूरज' और 月 (युए) यानि 'चाँद' को जोड़कर 明 (मिंग) यानि 'रोशन' बनता है। यदि व्यक्ति (人, रन) को पेड़ (木, मू) से जोड़ा जाए तो 休 (शिऊ) बनता है, जिसका मतलब है 'विश्राम' (इसे समझने के लिए सोचिये कि प्राचीनकाल में लोग पेड़ों के नीचे विश्राम किया करते थे)। इसी तरह से 女 (नु, स्त्री) और 子 (ज़ी, बच्चा) जोड़ने से 好 (हाओ) बनता है, जिसका अर्थ 'अच्छा' निर्धारित हुआ है। हालांकि इसपर कुछ भाषावैज्ञानिकों का विवाद है, इसकी एक अन्य मिसाल 'छत' के लिए 宀 चिह्न को 'स्त्री' के लिए 女 चिह्न के साथ मिलाकर 安 बनाना है, जिसका अर्थ 'शान्ति' है (यानि घर में स्त्री है और घर पर छत है, तो सुख-शान्ति है)।

आधुनिक काल में भी ऐसे नए भावचित्र ज़रुरत के अनुसार गढ़े गए हैं। प्लैटिनम एक मूल्यवान सफ़ेद धातु होती है, जिसके लिए भावचित्र 鉑 है, जो 'सफ़ेद' और 'धातु' को मिलाकर बना है। उसी तरह 'मीटर' (米) और 'हज़ार' (千) को मिलाकर 粁 बना - यह उन्नीसवी सदी के अंत के आसपास प्रयोग होने लगा। अंग्रेज़ी में इस श्रेणी के शब्दों को 'इडियोग्रैमिक कम्पाउंड्ज़' (ideogrammic compounds) कहते हैं।

रीबस

कभी-कभी ऐसा हुआ है कि किसी चीज़ के लिए चिह्न नहीं था लेकिन उस शब्द का उच्चारण किसी और शब्द से मिलता था जिसके लिए भावचित्र था, तो वह चिह्न दोनों के लिए ही इस्तेमाल होने लगा। मसलन, बहुत चीनी भाषाओँ में 'ज़ी' शब्द का अर्थ 'नाक' भी था और 'स्वयं' भी था। 'नाक' के लिए चिह्न 自 था और वह 'स्वयं' के लिए भी प्रयोग होने लगा। वक़्त के साथ इस चिह्न का 'नाक' अर्थ तो भुला दिया गया और आधुनिक चीनी लिपि में इसका अर्थ सिर्फ़ 'स्वयं' रह गया है। इस श्रेणी का नाम 'रीबस' (rebus) अंग्रेज़ी से लिया गया है।

स्वर-अर्थ संयुक्त भावचित्र

चीनी लिपि के सब से अधिक शब्द इस श्रेणी के होते हैं। इनमें एक या एक से अधिक चिह्न ऐसे होते हैं जो शब्द का अर्थ बताते हैं और एक भावचित्र ऐसा होता है जिसका अर्थ से कोई लेना-देना नहीं लेकिन यह किसी ऐसी चीज़ का चिह्न होता है जिसका उच्चारण इस शब्द से मिलता-जुलता हो। इस से शब्द का उच्चारण और मतलब दोनों पता चल जाते हैं। उदहारण के लिए 'नदी' (河, हे), 'झील' (湖, हु), 'झरना' (流, लिऊ), 'बहुत ज़बरदस्त पानी की धार, या फ़्लश किया गया पानी' (沖, चोंग) और 'फिसलन' (滑, हुआ)। ग़ौर कीजिये की हर चिह्न की बाई तरफ़ तीन छोटी लकीरें हैं, जो 'नदी' के चित्र को सरल करके बना है। इस से संकेत मिलता है कि शब्द 'पानी' से सम्बंधित है। शब्द का दाई तरफ़ का हिस्सा सिर्फ़ ध्वनि बताता है। 沖 (चोंग, फ़्लश किया गया पानी) के दाई तरफ़ 中 है, जिसका अर्थ चीनी में 'बीच' होता है और उच्चारण 'झोंग' होता है। देखा जा सकता है कि 沖 कह रहा है 'पानी से सम्बंधित शब्द, जिसका उच्चारण झोंग से मिलता है', यानि 'चोंग'। अंग्रेज़ी में ऐसे भावचित्रों के अर्थ बताने वाले हिस्से को 'रैडिकल' (radical) बोलते हैं और इस श्रेणी के शब्दों को 'फ़ोनो-सीमैन्टिक कम्पाउंड्ज़' (phono-semantic compounds) कहते हैं। इस श्रेणी के भावचित्र सबसे पहले शांग राजवंश के ज़माने में विकसित हुए थे और उस समय के खंडहरों में मिली हड्डियों पर खरोंचे हुए मिले हैं।[6]

कभी-कभी दो भावचित्रों से एक शब्द बनता है जिसमें अर्थभाग (रैडिकल) दोनों भावचित्रों पर लागू होता है। मसलन चीन का एक संगीत वाद्य है, 'बीवा' और एक फल है 'लौकाट'। इन दोनों के आकार देखने में मिलते हैं। बीवा को 批把 लिखा जाता था, जिसमें दोनों चिह्नों की बाई तरफ़ एक ऊपर-नीचे जाते हाथ का अर्थ संकेत है, यानि ऊपर-नीचे हाथ चलाकर वाद्य बजाना। अब इसमें 'हाथ' का अर्थभाग (रैडिकल) बदलकर 'पेड़' का रैडिकल लगाने से 枇杷 का चिह्न बना (ग़ौर से देखिये की दोनों चिह्नों में बाई तरफ़ की एक छोटी लकीर अब पेड़ की टहनियों की तरह झुकती है)। इस नए दो चिह्नों वाले शब्द का मतलब 'लौकाट का फल' था। समय के साथ बीवा वाद्य के चिह्न स्वयं ही बदल गए और आधुनिक चीनी में 琵琶 हैं (आप देख सकते हैं कि स्वर के चिह्न जो पहले दाई तरफ़ थे अब पिचक कर नीचे हो गए हैं)।

परिवर्तित सजातीय

भाषाओँ में सजातीय शब्द वे होते हैं जो कभी एक ही हुआ करते थे लेकिन समय के साथ-साथ इनके स्वर अलग हो गए हैं और कभी-कभी अर्थ भी बदल गए हैं। उदाहरण के लिए संस्कृत का 'पति' शब्द (अर्थ: मालिक) और अंग्रेज़ी का 'पोटेंट' (potent, अर्थ: शक्तिशाली) शब्द एक ही आदिम हिंद-यूरोपीय भाषा के शब्द से उत्पन्न हुए हैं, लेकिन समय के साथ इनके उच्चारण और अर्थों दोनों में ज़रा फ़र्क आ गया है। चीनी भाषा में भी ऐसा हुआ है। मसलन 'काओ' (考, आज़माना) और 'लाओ' (老, पुराना) कभी एक ही शब्द हुआ करते थे, लेकिन समय के साथ इनके उच्चारण और भावचित्र दोनों एक-दुसरे से भिन्न हो गए हैं। इस श्रेणी के भावचित्र चीनी लिपि में कम हैं और अंग्रेज़ी में इस श्रेणी को 'ट्रांसफ़ॉर्म्ड कॉगनेट्स' (transformed cognates) बुलाया जाता है।

कुछ साधारण शब्दों की भावचित्र सूची

कुछ आम शब्दों के पारम्परिक चीनी, सरलीकृत चीनी और जापानी रूप
पारम्परिक चीनी सरलीकृत चीनीजापानी अर्थ
जनवादी गणतंत्र चीन में सरलीकृत किये गए, लेकिन जापान में नहीं बिजली
ख़रीद
खुला
पूर्व
गाड़ी, वाहन
लाल (जापानी में गाढ़ा लाल या सुर्ख़)
कुछ नहीं
चिड़िया
गरम
समय
भाषा
जापान में सरलीकृत लेकिन चीन में नहीं महात्मा बुद्ध
एहसान
(अच्छा) गुण
पूजा, स्तुति
काला (रंग)
बर्फ़
ख़रगोश
ईर्ष्या
जापान और चीन दोनों में सरलीकृत,
मगर अलग ढंग से
सुनना
प्रमाण, सबूत
अझ़दहा (ड्रैगन)
बेचना
कछुआ
आयु, साल
कला, कलाएँ
लड़ाई, युद्ध
बंद करना, रिश्तेदारी
लोहा, धातु
चित्र, चित्रण
गुट, दल, गिरोह
मोड़, मुड़ना
广चौड़ा
बुरा, दुष्ट
भरपूर
मस्तिष्क
वग़ैराह, विविध
दबाव
मुर्ग़ी, मुर्ग़ा
क़ीमत, मूल्य
मज़ा, आनंद
हवा
गलियारा, दफ़्तर
जापान और चीन दोनों में सरलीकृत
एक ही ढंग से
ध्वनि, आवाज़
सीखना
शरीर
बिंदु
बिल्ली
कीड़ा
पुराना, बूढ़ा
कर सकना (क्रिया), मिलना
दस हज़ार
चोर
ख़ज़ाना
देश
दवाई

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. Sign, symbol, and script: an account of man's efforts to write Archived 2014-10-02 at the वेबैक मशीन, Hans Jensen, Allen & Unwin, 1969, ... The Chinese script can claim the distinction of being the oldest script in the world still in use today ; its age after all is to be estimated for certain at more than 4000 years ...
  2. Gateway to Chinese culture Archived 2014-10-02 at the वेबैक मशीन, Chunjiang Fu, Asiapac Books Pte Ltd, 2003, ISBN 978-981-229-328-2, ... The Chinese script is one of the oldest in the world. Each character is written by itself in a square block, hence the name 'square block characters' ...
  3. A new English-Hindustani dictionary Archived 2014-09-30 at the वेबैक मशीन, S. W. Fallon, John Drew Bate, E.J. Lazarus, 1883, ... Calligraphy, n. khush-navisi; khush-khati ...
  4. Analysis of Chinese characters, George Durand Wilder, James Henry Ingram, Frederick William Baller, Courier Dover Publications, 1934, ISBN 978-0-486-23045-0
  5. Chinese Characters: Learn and Remember 2178 Characters and Their Meanings[मृत कड़ियाँ], Dr. Alan Hoenig, EZChinesey.com, 2009, ISBN 978-0-9822324-0-8
  6. A Cultural History of the Chinese Language Archived 2014-09-30 at the वेबैक मशीन, Sharron Gu, McFarland, 2011, ISBN 978-0-7864-6649-8, ... ...