चिलास
चिलास या चलास (उर्दू: چلاس), पाक-अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बलतिस्तान क्षेत्र के दिआमेर ज़िले में स्थित एक छोटा-सा क़्स्बा है जो उस ज़िले की राजधानी भी है। यह काराकोरम राजमार्ग के द्वारा रेशम मार्ग से जुड़ता है साथ ही यह राजमार्ग इसे दक्षिण मे इस्लामाबाद से जोड़ता है। काराकोरम राजमार्ग पर चिलास से इस्लामाबाद के रास्ते में दासु, मनसेहरा, ऐबटाबाद और हरिपुर नगर आते हैं जबकि, इसके उत्तर में यह गिलगित और सोस्त के रास्ते चीनी शहरों कशगार और ताशकुरगन से जुड़ता है।
चिलास की प्रचीन शिलाएँ
शाहराह-ए-काराकोरम के साथ-साथ अब तक तक़रीबन २०,००० से ज़्यादा ऐसी चट्टानें और स्थान मिले हैं जो प्राचीन संस्कृति के चिह्न देते हैं। गिलगित-बल्तिस्तान में हुन्ज़ा और हरिबन की जानिब दस बड़ी जगहें पुरातन स्थलों की मौजूदगी की वजह से निहायत अहम हैं। यह उन गुज़रे हुए हमलावरों, व्यापारियों और यात्रियों की यादगार हैं जिन्होनें प्राचीनकाल में यहाँ सफ़र किया। ५००० से १००० ईसापूर्व के दौर की यहाँ शिलाएँ तराशी हुई हैं जिनमें जानवर, तिकोने मनुष्य और शिकार करते लोग दिखाए गए हैं। जानवरों का आकार मनुष्यों से बड़ा दर्शाया गया है। यह चट्टानों पर पत्थर के औज़ारों से बनाए गए थे और उन औज़ारों की चोटें भी आज तक दिखाई देती हैं।
माहिर आसार क़दीमा कारल जैट मार ने इन तमाम आसार का बग़ोर मुशाहिदा क्या और इस इलाके की तारीख़ को यकजा क्या है। इन तमाम मुशाहिद अत को इन के मशहूर ज़माना तसानीफ़ में मुलाहिज़ा की जा सकता है।
पाकिस्तान के महकमा आसार क़दीमा के मुताबिक इन आसार में खअरो सत्तानी[1] लफ्ज़ कअब्बूह या कामबवो कसरत से मिला है। इस लफ्ज़ का तक़रीबन हर क़दीम निशानी में मौजूद होना महकमा के मुताबिक इस बात की निशानदही करता है कि चलास भी एक वक्त में ज़रूर क़दीम रियासत कामबोज्ह का हिस्सा रहा हो गा।
अन्य जानकारी
चिलास का इंतिज़ाम वफ़ाक़ी इदारे चलाते हैं, जो कि गिलगित-बल्तिस्तान की सरकारी व्यवस्था के तहत है। यहाँ गर्मियाँ गर्म और सर्दियाँ ख़ुशक और सर्द होती हैं। यहाँ पहुंचने के दो बड़े रास्ते हैं। पहला रास्ता काराकोरम राजमार्ग है जबकि दूसरा काग़ान वादी से होते हुऐ बाबूसर दर्रे से आता है। चिलास वादी के ठीक पूर्व से सिन्धु नदी बहती है और ग़ैर-मुल्की सैलानी को यहाँ आने और होटलों में ठहरने के लिए विशेष इजाज़त मिलनी ज़रूरी होती है।
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सन्दर्भ
- ↑ (क्या ये नाम दरुस्त है?)