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चित्रगुप्त

चित्रगुप्त

बैंकॉक में चित्रगुप्त जी मूर्ति
संबंध हिन्दू देवता
निवासस्थानसंयमनीपुरी
मंत्र ॐ यमाय धर्मराजाय श्री चित्रगुप्ताय वै नमः
अस्त्रलेखनी(मसि) एवं तलवार (असि)
जीवनसाथी सुर्यपुत्री दक्षिणा नंदिनी
एरावती शोभावती

धर्मराज भगवान चित्रगुप्त प्रताप महाराज हिन्दुओं के महाशक्तिशाली देवता हैं इनके शक्तियों का शिवपुराण और भविष्यपुराण और गरुण पुराणमेंहैं जबकि इनके बारे में गलत जानकारी दि जाती हैं कि धर्मराज भगवान चित्रगुप्त प्रताप महाराज यमराज के सहायक हैं जो कि निन्दनीय हैं सभी समाज के लोगों से निवेदन है इसका विरोध करें हमारे सनातन संस्कृति और देवी देवता को गलत दिखाना या उनके बारे मे गलत लेख लिख करके उन्हे लोहार, सहायक,या फिर हास्य पात्र बताना गलत है हमारे सनातन संस्कृति में सभी देवी देवताओं की अपनी अपनी शक्तियां और कार्य हैं खैर आप सभी इस पर ध्यान दे खासकर कायस्थ राजवंश / समाज के लोग नहीं तो आप जैसे महान शक्तिशाली योद्धाओं को हम खो देंगे खैर आगे बढ़ते हैं

धर्मराज भगवान चित्रगुप्त प्रताप महाराज ब्रह्मा जी के सत्रहवें शक्तिशाली मानसपुत्र हैं। धर्मराज की रचना यमराज के सम्पूर्ण सृष्टि नहीं संभाल सकने के कारण हुई थी तब ब्रह्मा जी ने हजारों वर्ष कि कठिन तप के बाद महा शक्तिशाली देवता कि रचना करके उन्हे अवतरित किया जिससे पांचवे वर्ण का निर्माण हुआ जो श्रृष्टि के चारो वर्ण को नियंत्रण में रख सके ब्रह्मा जी के काया से उत्पन्न हुए धर्मराज के एक हाथ में कलम दवात शास्त्र और कमर पर तलवार के साथ एक अलौकिक तेज के साथ महान शक्तिशाली पुरुष का उद्भव हुआ इन


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गरुड़ पुराण कऔर उन्हे सृष्टि का कार्य भार सौंप दिया और यमराज को भी यमपुरी में कार्य सौंप दिया और उनके न्यायाधीश और राजा का कार्य धर्मराज भगवान चित्रगुप्त प्रताप महाराज को सौंप दिया ब्रह्म जी के काया से उत्पन्न होने के कारण भगवान चित्रगुप्त प्रताप महाराज के वंशजों को कायस्थ कहा जाता हैं कायस्थ अपने कुल देव की तरह समय समय पर कलम शास्त्र और शस्त्र दोनों का सदैव पूजते और उपयोग भी करते हैं कायस्थ राजवंश में कई महान शासक ,योद्धा, मंत्री, साइंटिस्ट, कवि,लेखक, स्वंतंत्रता सेनानी और साधु संत, प्रधान मंत्री, आर्मी चीफ, खिलाड़ी, आईएएस अधिकारी, आईपीएस अधिकारी, शिक्षक, वकील, जज साहब, जैसे दुनिया के सबसे ताकतवर नौसेना के जनक चक्रवर्ती सम्राट राजेंद्र प्रताप चोल और चक्रवर्ती सम्राट राज प्रताप चोल या कार्कोंट राजवंश के महान शासक चक्रवर्ती सम्राट राजा ललितादित्य प्रताप मुक्तपीथ़ और मुगल काल में भी अपने देश की संपति को बचाए रखने के लिए मंत्री टोडरमल भी कायस्थ राजवंश समाज से थे महान दार्शनिक आध्यात्मिक क्षेत्र में स्वामी विवेकानंद जी और स्वतंत्र देश के पहले प्रधान मंत्री आजाद हिन्द फौज के महान् नायक नेता जी सुभाष चंद्र बोस , लाला लाजपत राय पंजाब केसरी और प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी, और कार्कोंट राजवंश के राजवंशी राणा विक्रमादित्य प्रताप मुक्तपीथ़ जो एक (बिजनेसमैन) हैं इन्होंने आर्मड फोर्स में भी कार्य किया है इन्हें मार्शल आर्ट्स और कलारीपट्टू , तलवारबाजी, घोड़े कि सवारी कि विशेष योग्यता प्राप्त हैं जय मां भवानी जय पितामह महाकाल महाराज 🎉🎉🚩🚩🚩⚔️⚔️⚔️💐💐🤝🤝🤝े अनुसार[1], मानव आमाएं, यदि मोक्ष प्राप्त करने के योग्य नहीं हैं, तो उन्हें उनके पापों और गुणों के अनुसार पुरस्कार और दंड मिलता है।मनुष्यों की आत्माएं उनके निधन के बाद यमलोक जाती हैं, जिसके देवता यमदूत कहलाते हैं, जो मनुष्यों के कार्यों का रिकॉर्ड रखते हैं और तदनुसार उन्हें उनका हक देते हैं।यमलोक के प्रमुख देवता यम हैं - यमलोक के शासक और कानूनों के राजा ।

गरुड़ पुराण में यमलोक में चित्रगुप्त के शाही सिंहासन, उनके दरबार को संभालने और पुरुषों के कर्मों के अनुसार न्याय देने के साथ-साथ उनके रिकॉर्ड बनाए रखने का वर्णन है।

सन्दर्भ

  1. "Anhang", Der Pretakalpa des Garuda Purana, De Gruyter, पपृ॰ 229–249, 1956-12-31, अभिगमन तिथि 2024-05-13