चबुआ
चबुआ চাবুৱা Hiloidhari | |
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नगरपालिका | |
Country | भारत |
राज्य | असम |
ज़िला | डिब्रूगढ़ |
शासन | |
• सभा | चबुआ नगर समिति |
ऊँचाई | 106 मी (348 फीट) |
जनसंख्या (२०११) | |
• कुल | 1,59,585 |
Languages | |
• Official | असमिया |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
वाहन पंजीकरण | AS-06 |
चबुआ अथवा चबुवा, भारत के असम राज्य के डिब्रूगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाला एक नगर और नगर समिति है. यह नगर डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया के बीच में राष्ट्रीय राजमार्ग ३७ पर स्थित है. दोनों जिलों से इसकी दूरी क्रमशः ३० किमी और २० किमी है.
भौगलिक स्थिति
चबुआ २७°४८′उ ९५°१८'पू पर स्थित है। यह शहर १०६ मीटर (३४७ फीट) की औसत ऊंचाई पर अवस्थित है। [1]
इतिहास
१८२० के दशक के मध्य में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने यंडाबू संधि के माध्यम से अहोम राजाओं से इस वृहत क्षेत्र (वर्तमान तिनसुकिया तथा डिब्रूगढ़) का अधिग्रहण किया. इस अधिग्रहण करने का उनका मुख्य मकसद था इलाके में मौजूद प्राकृतिक संपदा का दोहन करना. कच्चे तेल, कोयले और वन्य उत्पाद के अलावा उन्हें यहाँ चाय खेती की भी बड़ी संभावनाएँ नज़र आईं थीं. १८३० के दशक से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने असम में चाय के बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया। असम में सिंग्फो जनजाति द्वारा पारंपरिक रूप से विकसित चाय के एक किस्म की खेती की जाने लगी।
इसी कड़ी में चबुआ का नाम १८२३ में पहली बार आया जब अंग्रेजों ने यहाँ चाय का बागान लगाने की सोची. १८२३ में बहुत से गरीब भारतीय मजदूरों को एक अज्ञात जगह में काम करने के लिए बलपूर्वक ले जाया गया. इन गरीब मजदूरों को पता नहीं था की किस पौधे की बुआई या रोपण के लिए उन्हें लाया गया है. जो पौधे उन्हें रोपण के लिए दिए गए उनकी उन्हें पहचान नहीं थी. वे चाय के पौधे को जंगली पौधा समझ रहे थे और अंग्रेजों द्वारा इस पौधे को महत्व देने को उनका पागलपन समझ रहे थे. इन मजदूरों ने इस पौधे का नाम "चा" दिया. "बुआ" मतलब बोना. इन्ही दो शब्दों यानी चा और बुआ को मिला कर इस स्थान का नाम चबुआ पड़ा, ऐसा माना जाता है.[2] १८४० तक चबुआ के बड़े भूभाग में चाय की खेती की जाने लगी. १८४० में ही असम टी कंपनी की स्थापना हुई और इस क्षेत्र में चाय का वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हुआ। सदी के अंत तक, असम दुनिया में अग्रणी चाय उत्पादक क्षेत्र बन गया। असम में चाय उत्पादन के इतिहास में चबुआ का नाम हमेशा रहेगा.
चबुआ के निकट कुछ स्थान ऐतिहासिक दृष्टिकोण के कारण उल्लेखनीय है-
चबुआ एयर फोर्स बेस
ऊपरी असम में चबुआ में एयर फोर्स बेस है जिसे “ईस्टर्न बेस्टीयन” यानी ‘पूर्वी गढ़' कहा जाता है। चबुआ के समीपवर्ती ४ किमी की दूरी पर स्थित यह हवाई क्षेत्र वास्तव में दूसरे विश्व युद्ध में मित्र देशों की सेना के एयरबेस के रूप में तैयार किया गया था। १९३९ में निर्मित, हवाई क्षेत्र को बड़े पैमाने पर जापान के खिलाफ कार्रवाई करने और सामान और युद्ध सामग्री आपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया गया था और युद्ध के बाद इसे छोड़ दिया गया था।
१९६२ में, तिब्बत में चीनी आक्रमण और उत्तर-पूर्व को हड़पने की चीनी रणनीति के मद्देनज़र भारतीय वायु सेना ने इस एयरफील्ड को फिर से शुरू किया। प्रारंभ में डकोटा और वैम्पयार, बाद में हंटर, औटर्स और एमआई-चार हेलीकाप्टरों से चबुआ एयर बेस का एयर आपरेशन शुरू किया गया। मध्य सत्तर के दशक में, रनवे उन्नयन और नवीकरण के बाद सुपरसोनिक मिग-21 मुख्य लड़ाकू विमान के रूप यहाँ से संचालित हो रहा है. अक्टूबर, १९६६ में पूर्ण रूप से स्थापित इस इकाई का एक गौरवशाली इतिहास रहा है। सात वीर चक्र, एक वायु सेना मेडल और पांच “मेंशन-इन-डिस्पैचिज” मिलना इस इकाई की वीरता का प्रमाण है। हाल ही में इस इकाई को चालू वर्ष के लिए पूर्वी वायु कमान के `सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू स्क्वाड्रन 'के रूप में घोषित किया गया है।
दिनजॉय सत्र
चबुआ से ५ किमी उत्तर की दूरी पर प्रसिद्ध दिनजॉय सत्र स्थित है। गोपाल आठदेऊ के बारह मुख्य भक्तों के बीच, उनके अनन्य भक्त अनिरुद्ध देव ने उत्तर लखीमपुर के बिष्णुबलिकाकुंशी गांव में एक सत्र की स्थापना की। बाद में इस सत्र को खुटीपुटिया में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस अवधि के दौरान मोमरिया विद्रोह हुआ और यह सत्र गहरी मुसीबत में घिर गई। फिर अनेकों दिक्कतों और अस्थिरता के बाद यह सत्र मटक सम्राट और अहोम सम्राट के सहमति से तिनसुकिया के रंगागडा में स्थापित हुआ फिर १८३७ में आखिरी बार इससे स्थानांतरित किया गया और इससे वर्तमान के दिनजॉय नामक जगह पर स्थापित किया गया.
जनसांख्यिकी
२०११ की जनगणना अनुसार, असम के डिब्रूगढ़ जिले में स्थित चबुआ में १,५९,५८५ लोगों की आबादी है। चार अंचलों (चबुआ टी.ई., चबुआ टाउन, निज चबुआ और चबुआ ग्रांट टी.ई.) में विभाजित इस जगह में ३२,४४२ परिवार रहते हैं. यहाँ पुरुषों की जनसंख्या ८२,१६८ (५१.४८%) और महिलाओं की जनसंख्या ७७,४१७ (४८.५२%) है। चबुआ में, महिला लिंग अनुपात ९४२ प्रति १००० है जो की राज्य के औसत ९५८ से कम है. ०-६ साल के उम्र के बच्चों की संख्या २१,३३४ हैं जिसमे १०,८६४ बाल हैं और १०,४७० बालिकायें हैं. बाल लिंग अनुपात की स्थिति ९६४ प्रति १००० के साथ कुछ बेहतर है. यहाँ की साक्षरता दर ५९.१७% जो की राष्ट्रीय और राज्यिक औसत से भी कम है. महिला साक्षरता दर ५१.०१% है, जबकि पुरुष साक्षरता दर ६६.८५% है। [3]
दूसरी तरफ सिर्फ चबुआ नगर की बात की जाए तो, यहाँ की आबादी ८९६६ है जिनमें, पुरुष ४५९३(५१.४१%) और महिलायें ४३७३(४८.५९%) हैं. यहाँ महिला लिंग अनुपात ९५२ प्रति १००० है और साक्षरता दर ७९.६१% जो की राष्ट्रीय और राज्यिक औसत से ज्यादा है. महिला साक्षरता दर ८४.२१% है, जबकि पुरुष साक्षरता दर ६६.८५% है।[4]
स्वास्थ्य सुविधा
चबुआ में मुख्य अस्पताल टाटा कंपनी द्वारा संचालित टाटा रेफरल अस्पताल एवं रिसर्च सेंटर है. यह पूर्वी असम में टाटा के सभी चाय बागानों में सबसे बड़ा अस्पताल है. यह अस्पताल सभी आधुनिक उपकरणों के साथ सुसज्जित है। यह मुख्य रूप से टाटा टी.ई. के कर्मचारियों के लिए है किन्तु यह अस्पताल बाहरी लोगों के लिए भी सुविधा प्रदान करता है। इसके अलावा चबुआ में सेंट लुक्स अस्पताल भी है. असम सरकार के द्वारा भी यहाँ एक मॉडल हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रहा है जो की अपने निर्माण के अंतिम चरण में है.
सन्दर्भ
- ↑ "Falling Rain Genomics, Inc - Chabua". मूल से 3 नवंबर 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अप्रैल 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अप्रैल 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अप्रैल 2015.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 अप्रैल 2015.