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चन्द्रपुर

चंद्रपुर
Chandrapur
चंद्रपुर is located in महाराष्ट्र
चंद्रपुर
चंद्रपुर
महाराष्ट्र में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश:चंद्रपुर ज़िला
महाराष्ट्र
 भारत
जनसंख्या (2011):3,20,379
मुख्य भाषा(एँ):मराठी
निर्देशांक:19°57′00″N 79°17′49″E / 19.950°N 79.297°E / 19.950; 79.297

चंद्रपुर (Chandrapur), जिसका भूतपूर्व नाम चांदा (Chanda) था, भारत के महाराष्ट्र राज्य के चंद्रपुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह उस ज़िले का मुख्यालय भी है। यह इन्द्र देवता की नगरी के रूप में विख्यात है और इसे इन्द्रपुरी भी कहते हैं।[1][2]

चन्द्रपुर पूर्वी महाराष्ट्र में वर्धा नदी की एक सहायक नदी इरई और झरपट के तट पर स्थित है। चंद्रपुर का अर्थ है, 'चंद्रमा का घर'। चंद्रपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज भी है। जंगल औऱ बाघों के लिये पहचाना जाने वाला ये शहर गोंड़कालीन प्राचीन ऐतिहासिक धरोहरो के लिए भी पहचाना जाता है। महाकाली देवी, अंचलेश्वर मंदिर के साथ 550 वर्ष प्राचीन गोंड राजाओं द्वारा निर्मित किला भी है। गडचिरोली, नागपुर, यवतमाल आदि जिलों की सीमा चन्द्रपुर से लगती है।

चंद्रपुर को एक पुराने कपास बुनाई उद्योग के रूप में जाना जाता है। क्षेत्र में और इसके आसपास पाए जाने वाले अधिकांश हस्तशिल्प सूती कपड़े हैं जिनकी उत्कृष्टता और स्थायित्व के लिए व्यापक प्रतिष्ठा है। यहां रेशम की साड़ियां भी प्रसिद्ध हैं क्योंकि ये साड़ियां सजावटी रुइप्लुली बॉर्डर के साथ बनाई जाती हैं और चामुर्सी सादी साड़ियां ज्यादा देखने को नहीं मिलती हैं।[3]

इतिहास

12वीं से 18वीं शताब्दी तक चंद्रपुर गोंड वंश की राजधानी थी। बाद में नागपुर के मराठा भोंसले ने इसे जीत लिया। 1854 से भारत के स्वतंत्र होने (1947) तक यह ब्रिटिश मध्य प्रांत का हिस्सा था। यह ब्रिटिश शासन के दौरान चांदा नाम से जाना जाता था। इस स्थान का प्राचीन नाम लोकपुर भी था, जो आगे चलकर इंदुपुर और उसके बाद चन्द्रपुर के नाम से जाना गया। इस ज़िले के प्राचीन स्थल वैरागड, कोसल, भद्रावती और मार्कण्डा हैं। चन्द्रपुर पर काफ़ी लंबे समय तक हिन्दू और बौद्ध राजाओं का शासन रहा है। बाद में गोंड राजाओं ने इस पर अधिकार कर लिया जिन्होंनें 1751 तक यहाँ शासन किया। गोंड़ राजाओं ने पहले शिरपुर, बल्लारपुर फिर चंद्रपुर से अपना राज कारभार किया। लगभग 550 साल गोंड़ शासकों ने इस प्रदेश पर राज किया है। 1751 में गोंड़ राजाओं से नागपुर के भोसलों ने जीत लिया। उसके 1818 में अंग्रेजो से युद्ध के बाद में इसे ब्रिटिश शासन में मिला लिया गया।

यातायात और परिवहन

वायु मार्ग

चन्द्रपुर का नज़दीकी हवाई अड्डा नागपुर में डॉ॰ बाबा साहेब अम्बेडकर हवाई अड्डा है जो देश के अनेक शहरों से वायु मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग

मुंबई-वर्धा-चन्द्रपुर रेल लाइन और दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेल लाइन से महाराष्ट्र का यह ज़िला जुड़ा है। महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से यहाँ के लिए नियमित रेलगाड़ियाँ हैं।

सड़क मार्ग

मुंबई नासिक नागपुर चन्द्रपुर हैदराबाद सड़क मार्ग चन्द्रपुर को महाराष्ट्र और देश के अन्य शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन के अलावा अनेक निजी बसें चन्द्रपुर के लिए चलती हैं।

उद्योग और व्यापार

प्रमुख रेल तथा सड़क मार्ग पर स्थित यह शहर आसपास के क्षेत्रों में उगने वाले कपास, अनाज और अन्य फ़सलों का वाणिज्यिक केंद्र है। स्थानीय खनिजों पर आधारित उद्योगों में कोयले की कई खानें तथा शीशे का सामान बनाने के उद्योग शामिल हैं। यह शहर रेशम के कपड़े और अलंकृत चप्पलें जैसे विलास-वस्तुओं के उत्पादन के लिए भी विख्यात है।

जनसंख्या

२०११ की जनगणना के अनुसार चन्द्रपुर महानगरपालिका क्षेत्र की जनसंख्या ३,७३,००० है। 2024 में चंद्रपुर शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 453,000 है |[4]

पर्यटन

पर्यटकों के देखने लायक़ यहाँ अनेक ऐतिहासिक मन्दिर और स्मारक हैं। जिसमे चंद्रपुर का 11 किमी लंबा किला-परकोट जो आज भी सुस्थिति मैं है। इस किले की 4 दरवाजे 5 खिड़कियां, 39 बुरुज है जिसपर घूमकर कुछ हिस्से में हम 'हेरिटेज वॉक' किला पर्यटन कर सकते है। साथ 'प्यार का प्रतीक' समझा जानेवाला रानी हिराई निर्मित 'बिरशाह की समाधी', महाकाली मंदिर, अंचलेश्वर मंदिर, मुरलीधर मंदिर तथा अपूर्ण देवालय, प्राचीन बावडिया ऐतिहासिक धरोहरे है। यहाँ ताडोबा-अंधारी व्याघ्र प्रकल्प जो बाघों के उत्तम अधिवास के लिए जाना जाता है, हरसाल लाखो पर्यटक इस प्रकल्प को भेट देते है। बाघों के साथ अन्य वन्यजीव भी यहाँ आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। यह चंद्रपुर के उत्तर में 27 किमी पर ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है। इसके 45 किमी दक्षिण में मानिकगढ़ वन पर्यावरण सैरगाह है। यहाँ कई प्रकार के बांस व दूसरे वृक्ष, बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ते, भालू गौर, सांबर, मुंतजाक हिरन जैसे जानवर व अनेक प्रजातियों के जंगली पक्षी पाए जाते हैं। वरोरा में बाबा आमटे इनकी कर्मभूमि रही आनंदवन भी है, जो चंद्रपुर से महज 40 किमी पर स्थित है।

चंद्रपुर का किला

चंद्रपुर किला (जिसे पहले चंदा किला कहा जाता था) (आज "पुराना शहर" कहा जाता है), एक किला है जो इराई और ज़ारपत नदियों के संगम पर स्थित है। किले का निर्माण गोंड राजा, खण्डक बल्लाल साह ने करवाया था। किले के चार द्वार हैं: उत्तर में जटपुरा द्वार, पूर्व में अंचलेश्वर द्वार, दक्षिण में पठानपुरा गेट और पश्चिम में बिनबा गेट। किले में चार छोटे द्वार भी हैं, जिन्हें खिड़कियाँ कहा जाता है: उत्तर पूर्व में बगद खिड़की, दक्षिण-पूर्व में हनुमान खिड़की, दक्षिण पश्चिम में विठोबा खिड़की और उत्तर पश्चिम में चोर खिड़की। किले के चारो ओर 15-20 फीट ऊंची मजबूत दीवारें हैं।[5]

चंद्रपुर किले के द्वार और खिड़कियाँ
किला का जटपुरा द्वार
किला का जटपुरा द्वार 
किला का अंचलेश्वर द्वार
किला का अंचलेश्वर द्वार 
किला का पठानपुरा द्वार
किला का पठानपुरा द्वार 
महाकाली मंदिर
महाकाली मंदिर

महाकाली मंदिर (मंदिर) चंद्रपुर में प्रशिद्ध मंदिर है। प्राचीन मंदिर गोंड राजवंश के धुंडी राम साह द्वारा 16वीं शताब्दी के आसपास बनवाया गया था। मंगलवार विशेष रूप से महत्वपूर्ण दिन हैं। मंदिर के भीतर एक छोटा गणेश मंदिर और एक हनुमान मंदिर है। दो मंदिरों के प्रवेश द्वार पर, पूजा (पूजा) के लिए नारियल, फूल और कपड़े जैसी छोटी दुकानें हैं। मंदिर के पास गृह सजावट और पूजा सजावट के वस्तुएं बेचे जाते हैं। पीछे के प्रवेश द्वार के पास एक शनि मंदिर है।

मंदिर के भीतर दो मुर्तियाँ (मूर्तियाँ) हैं। शिव लिंग से जुड़ी एक खड़ी मूर्ति है जिसे लाल, पीले और नारंगी रंग के कपड़े से सजाया गया है। दूसरा जमीनी स्तर से नीचे स्थिति है, और भक्तों को इस तक पहुंचने के लिए एक सुरंग से होकर चलना चाहिए। मंदिर के अंदर, पूजा और प्रसाद के साथ आगंतुकों की सहायता के लिए एक पुजारी मौजूद होता है। एक ट्रस्ट द्वारा मंदिर का संचालन किया जाता है। धर्मशालाएँ तीर्थ यात्रियों के लिए आवास प्रदान करती हैं। महाकाली के अनुयायियों और चंद्रपुर के नागरिकों के मनोरंजन के लिए अप्रैल में वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है।

अंचलेश्वर मंदिर
अंचलेश्वर मंदिर

अंचलेश्वर मंदिर, भगवान शिव को समर्पित एक शिव मन्दिर है। यह ज़ारपत नदी के तट पर चंद्रपुर किले के अंचलेश्वर द्वार से सटा हुए है। गोंड राजाओं की आधिकारिक समाधि (समाधि) मंदिर परिसर के भीतर स्थित है।

दीक्षाभूमि

16 अक्टूबर 1956 को, डॉ. बी. आर. अम्बेडकर (बाबासाहेब) ने चंद्रपुर के पास एक स्थान जिसे दीक्षाभूमि कहा जाता है, पर कई अनुयायियों को बुद्ध (बौद्ध धर्म का आलिंगन) की दीक्षा दी थी। अंबेडकर ने बौद्ध धर्म के लोगों के दीक्षा के लिए केवल नागपुर और चंद्रपुर को चुना। राजभाऊ खोबरागड़े, एक बैरिस्टर ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर कॉलेज ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस की स्थापना दीक्षाभूमि परिसर में की। दीक्षाभूमि पर बोधि वृक्ष (बोधगया से एक पवित्र अंजीर) की एक प्रत्यारोपित शाखा लगी हुई है। 15 और 16 अक्टूबर को, धम्म चक्र प्रवचन दिवस के लिए देवभूमि के लिए अनुयायियों और भिक्षुओं की एक वार्षिक तीर्थयात्रा आयोजन होता है।

ताडोबा राष्ट्रीय उद्यान
ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ

ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व, एराई बांध के पास चंद्रपुर से लगभग 30 किमी उत्तर में स्थित है। इस उद्यान को 1973 से प्रोजेक्ट टाइगर में शामिल किया गया था। रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 625.40 वर्ग किमी है। 2014 में ताडोबा में बाघों की आबादी 66 थी, यह संख्या बढ़कर 86 हो गई है। ताडोबा अब वर्षों तक लिंचिंग, अवैध शिकार और अन्य खतरों के बावजूद 86 बाघों का घर है।[6] मोहरली गेट, जरी गेट और रिजर्व के नवेगांव फाटक के पास कई होटल और रिसॉर्ट हैं, जो पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं। उद्यान के अंदर निर्देशित पर्यटन केवल सुबह और शाम के समय के दौरान उपलब्ध हैं।[7]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
  2. "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
  3. "Culture & Heritage".
  4. "Chandrapur Population 2024".
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 16 अगस्त 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2019.
  6. https://timesofindia.indiatimes.com/city/nagpur/state-tiger-count-may-be-up-by-40-in-2014-to-230-now/articleshow/65862813.cms
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2019.