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घांची

घाँची घाँची नाम से भारत में 3 जातिया है एक मूल घाँची जो तेली ही थे, जब रुद्रमहालय मंदिर अहिलनवाडा पाटण में मंदिर निर्माण करवा रहे थे जयसिंह सौलंकी उस समय मंदिर निर्माण दिन रात चल रहा था तो जो घाँची थे तेल निकालने के लिए मशालों को जलाने के लिए इन तेलियों व निर्माण कार्य की निगरानी के लिए 8 गोत्रो के राजपूतों को लगाया गया था मंदिर निर्माण12 वर्ष में पूर्ण होना था लेकिन8 वर्ष बाद ही तेलियों के पास राज काज के कारण धन इक्कठा ज्यादा हो गया तो वो छुट्टी के बहाने घर जाने की आज्ञा लेने महाराज जयसिंह सोलंकी के पास गए तो महाराजा ने मना करते हुए बोले 4 साल बाद मंदिर निर्माण पूर्ण हो जाएगा तो में स्वयं आपको राजकीय सम्मान के साथ विदाई दूंगा तो तेली हामी भरकर चले गए लेकिन तेलियों ने घर जाने का निश्चय अटल कर रखा था मन में सो वो वापस काम पर लग गए और कुछ दिन बाद उन तेलियों ने वापस छुटटी देने की माग महाराज से कर दी तो महाराज ने अपने शाख/गवाई भरने के लिए किसी को लाने को कहा तो तेलियों ने सोचा कि उन राजपूत सरदारो को ही मना लेते हैं इसलिए उन्होंने तरक़ीब सुझाई उन्होंने एक भोज का आयोजन रखा और सभी राजपूतों को उस भोज में आमंत्रित कर दिया और भोजन में नशे की चीज मिला दी भोज करते ही सारे राजपूत सरदार नशे व नींद बेहोशी की हालत में चले गए और इसी का फायदा उठाकर सारे तेली वहाँ से भाग निकले बस यही भागे हुए तेली मूल घाँची थे ! राजपूत घाँची यह वही निगरानी रखने वाले राजपूत सरदार थे जिन्होंने तेली भाग जाने देने की गलती करने की एवज में सभी राजपूतों ने अधूरा पड़ा मंदिर निर्माण कार्य पूरा करवाया था 3 जैन घाँची ये 11 वी शताब्दी के जैन थे घी तेल बेचने वाले इन्होंने उन राजपुतो की राज आज्ञा व मंदिर निर्माण पूरा करवाने में मदद की थी इसलिए ये जैन बाद में जैन घाँची कहलाये अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) में से एक है जो गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और भारत के अन्य हिस्सों में पाई जाती है।[1][2]

सन्दर्भ

  1. People of India Gujarat Volume XXII Part One Editors R. B Lal, P.B.S.V Padmanabham, G Krishnan and M Azeez Mohideen pages 397 to 401
  2. "Ghanchis in Rajasthan want to be led by Narendra Modi". The Financial Express.