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ग्रेगोरी पंचांग

2024 विभिन्न कलदर्शकों में
ग्रेगोरी कालदर्शक2024
MMXXIV
आब अरबे कॉन्डिटा2777
आर्मेनियाई कालदर्शक1473
ԹՎ ՌՆՀԳ
असीरियाई कालदर्शक6774
बहाई कालदर्शक180–181
बाली शक कालदर्शक1945–1946
बंगाली कालदर्शक1431
बर्बर कालदर्शक2974
ब्रिटिश राज वर्ष72 Eliz. 2 – 73 Eliz. 2
बुद्ध कालदर्शक2568
बर्मी कालदर्शक1386
Byzantine कालदर्शक7532–7533
चीनी कालदर्शक癸卯年 (जल ख़रगोश)
4720 or 4660
    — to —
甲辰年 (लकड़ी ड्रैगन)
4721 or 4661
कॉप्टिक कालदर्शक1740–1741
डिसकॉर्डी कालदर्शक3190
इथोपियाई कालदर्शक2016–2017
हिब्रू कालदर्शक5784–5785
हिन्दू कालदर्शक
 - विक्रम संवत2080–2081
 - शक संवत1945–1946
 - काली युग5124–5125
होलोसीन कालदर्शक12024
इग्बो कालदर्शक1024–1025
ईरानी कालदर्शक1402–1403
इस्लामी कालदर्शक1445–1446
जापानी कालदर्शकHeisei 36
(平成36年)
जावाई कालदर्शक1957–1958
जुचे कालदर्शक113
जूलियन कालदर्शकGregorian minus 13 days
कोरियाई कालदर्शक4357
मिंगुओ कालदर्शकआरओसी 113
民國113年
नानकशाही कालदर्शक556
थाई सौर्य कालदर्शक2567
तिब्बती कालदर्शक阴水兔年
(स्त्रीलिंग जल-ख़रगोश)
2150 or 1769 or 997
    — to —
阳木龙年
(पुल्लिंग लकड़ी-ड्रैगन)
2151 or 1770 or 998
यूनिक्स समय1704067200 – 1735689599

ग्रेगोरी कालदर्शक इसकी शुरुआत विक्रम संवतसंख्या ५७ से हूई। दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपान्तरण है।[1] इसे पोप ग्रेगोरी २३ ने लागू किया था। इससे पहले जूलियन कालदर्शक प्रचलन में था, लेकिन उसमें अनेक त्रुटियाँ थीं, जिन्हें ग्रेगोरी कालदर्शक में दूर कर दिया गया।

स्वरूप

ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों में बाँटा गया है और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमे 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमे 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकेंड होते है।

पुराने (जूलियन) कालदर्शक में सुधार

जूलियन कैलेंडर में 365 दिन 6 घंटे का वर्ष माना जाता था, परंतु ऐसा मानने से प्रत्येक वर्ष क्रांति-पातिक सौर वर्ष से (5 घंटा 48 मिनट 46 सेकंड की अपेक्षा 6 घंटे अर्थात्) 11 मिनट 14 सेकंड अधिक लेते हैं। यह आधिक्य 400 वर्षों में 3 दिन से कुछ अधिक हो जाता है। इस भूल पर सर्वप्रथम रोम के पोप (13वें) ग्रेगरी ने सूक्ष्मतापूर्वक विचार किया। उन्होंने ईसवी सन् 1582 में हिसाब लगाकर देखा कि नाइस नगर के धर्म-सम्मेलन के समय से, जो ईसवी सन 325 में हुआ था, पूर्वोक्त आधिक्य 10 दिन का हो गया है, जिसको गणना में नहीं लेने के कारण तारीख 10 दिन पीछे चल रही थी। इस विचार से उन्होंने नेपुलस् के ज्योतिषी एलाय सियस लिलियस (Aloysitus lilius) के परामर्श से 1582 ईस्वी में 5 अक्टूबर को (10 दिन जोड़कर) 15 वीं अक्टूबर निश्चित किया और तब से यह नियम निकाला कि जो शताब्दी वर्ष 4 से पूरी तरह विभाजित होने की बजाय यदि 400 से पूरी तरह विभाजित हो तभी उसे अधिवर्ष (लीप ईयर) माना जाए अन्यथा नहीं।[2] इस नवीन पद्धति का आरंभ चूँकि पोप ग्रेगरी ने किया, इसलिए इसको ग्रेगोरियन पद्धति अथवा नवीन पद्धति (न्यू स्टाइल) कहा गया।[3]

नवीन (ग्रेगोरियन) कालदर्शक की स्वीकृति

इस पद्धति को भिन्न-भिन्न ईसाई देशों में भिन्न-भिन्न वर्षों में स्वीकार किया गया। इससे इन देशों का इतिहास पढ़ते समय इस बात को ध्यान में रखना आवश्यक है।[3] इस नवीन पद्धति (नये कैलेंडर) को इटली, फ्रांस, स्पेन और पुर्तगाल ने 1582 ई॰ में, प्रशिया, जर्मनी के रोमन कैथोलिक प्रदेश स्विट्जरलैंड, हॉलैंड और फ़्लैंडर्स ने 1583 ई॰ में, पोलैंड ने 1586 ई॰ में, हंगरी ने 1587 ई॰ में, जर्मनी और नीदरलैंड के प्रोटेस्टेंट प्रदेश तथा डेनमार्क ने 1700 ई॰ में, ब्रिटिश साम्राज्य ने 1752 ई॰ में, जापान ने 1972 ई॰ में चीन ने 1912 ई॰ में, बुल्गारिया ने 1915 ई॰ में, तुर्की और सोवियत रूस ने 1917 ई॰ में तथा युगोस्लाविया और रोमानिया ने 1919 ई॰ में अपनाया।[4]

पुराने से नये कैलेंडर की तारीख में अंतर

1582 ईस्वी के बाद 1700 ई॰ में 28 फरवरी तक पुराने कैलेंडर से नये कैलेंडर की तारीख में 10 दिन की ही वृद्धि रही।[5] 1600 ई॰ शताब्दी वर्ष होने से चूँकि 400 से पूरी तरह विभाजित होता था अतः वह नयी पद्धति से भी अधिवर्ष (लीप ईयर) ही होता। अतः उसमें तारीख में अंतर करने हेतु 1 दिन की वृद्धि नहीं हुई। तात्पर्य यह कि पुराने कैलेंडर से नये कैलेंडर में तारीख बदलते हुए उन्हीं शताब्दी वर्षों में पूर्वोक्त 10 दिन से एक-एक दिन क्रमशः बढ़ाया जाएगा जिन शताब्दी वर्षों में 400 से पूरी तरह भाग नहीं लगता। अर्थात् 1700 ईस्वी की 28 फरवरी के बाद नये कैलेंडर की तारीख बनाने के लिए 10 दिन की जगह 11 दिन जोड़े जाएँगे। इसी प्रकार 1800 ई॰ की 28 फरवरी के बाद 12 दिन और 1900 ई॰ की 28 फरवरी के बाद 13 दिन जोड़े जाएँगे।[6] पुनः 2000 ई॰ (शताब्दी वर्ष) 400 से पूरी तरह विभाजित होने के कारण यह वृद्धि 13 दिन की ही रहेगी, अतिरिक्त 1 दिन नहीं बढ़ेगा।

महीनों का क्रम: नाम व उनमें दिनों की संख्या

इन्हें भी देखें

  • डायोनिसियस एक्सग्यूस

सन्दर्भ

  1. "6 Things You May Not Know About the Gregorian Calendar". मूल से १३ अगस्त २०१७ को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २३ अगस्त २०१७.
  2. ज्योतिर्गणितकौमुदी, रजनीकांत शास्त्री, खेमराज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, मुम्बई, संस्करण-2006, पृ०-11-12.
  3. हिंदी विश्वकोश, खंड-2, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संशोधित संस्करण-1975 ई॰, पृ०-557.
  4. ज्योतिर्गणितकौमुदी, पूर्ववत्, पृ०-12.
  5. ज्योतिर्गणितकौमुदी, पूर्ववत्, पृ०-13.
  6. ज्योतिर्गणितकौमुदी, पूर्ववत्, पृ०-13-14.