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ग्रीन केमिस्ट्री

ग्रीन केमिस्ट्री

ग्रीन केमिस्ट्री रसायनशास्त्र के अन्य सभी शाखाऍ जैसे कार्बनिक, अकार्बनिक, अनुसन्धानिक, पर्यावरण, भौतिक आदि को प्रभावित करती है। ग्रीन केमिस्ट्री पर्यावरण रसायन की तरह नही है क्यौंकी पर्यावरण रसायन मे पर्यावरण मे हो रहे रसायनिक बदलाव और गतिविधियो, पर्यावरण प्रदूषण और उसके कारण जेसे कई प्रदूषक और उनके प्रभावो का वर्णन किया जाता है पर ग्रीन केमिस्ट्री मे उद्योग रसायनो से प्रक्रुति मे हो रहे विनाशकरी बदलावो को कम करने और से प्राप्त रसायनिक उत्पादनो को अच्छा और उपयोगी बनाने कि कोशिश की जाती है। ग्रीन केमिस्ट्री धरती और पर्यावरण को रसायनो के दुश्प्रभावो से मुक्त करने मे विश्वास करती है। ग्रीन केमिस्ट्री शब्द का इस्तेमाल पहली बार पौल अनस्तस ने सन् १९९१ मे किया था। ग्रीन केमिस्ट्री शब्द का उपयोग हमेशा रसायनशास्त्र और उद्योग के साथ किया जाता है।


सिद्धान्त

ग्रीन केमिस्ट्री के १२ सिद्धान्त है।

  • क्षय बनने के बाद उसे साफ करने से अच्छा है की उसे बनने से पहले ही रोक दिया जाये।
  • अन्तिम उत्पादन के प्रक्रिया मे सारी चीज़ो की मंडली को बडाने के लिये कृत्रिम तरीको का निर्माण करना चाहिये।
  • जहाँतक व्यावहारिक हो तब तक कृत्रिम तरीको का निर्माण कर ऐसी चीज़ो को बनान चाहिए जिससे मानवता और प्रक्रुती को कोई हानी न हो।
  • रसायनिक उत्पादनो को इस तरह से बनाना चाहिए जो ज़्यादा समय चले और जिसमे विषाक्तता भी कम हो।
  • सहायक चीज़ो का उपयोग कम कर देना चाहिए।
  • ऊर्जा की उपलब्दियो का ध्यान रखना चहिए जिससे उसके द्वरा हो रहे प्राक्रुतिक और आर्थिक प्रभाव का ख्याल रखा जा सके।
  • अक्षय कच्चे माल के इस्तेमाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए।
  • साधित और व्युत्पन्न वस्तुओ का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए।
  • उत्प्रेरक अभिकर्मक रससमीकर अभिकर्मकों से श्रेष्ठ है।
  • रसायनिक उत्पादनो को इस तरह से बनाना चाहिए की वह पर्यावरन मे इस्तेमाल के बाद भी बने ना रहे बदले मे वे अहानिकरक बन जाए।
  • विश्लेषणात्मक प्रक्रियाँ को और उन्नत बनाना चहिए जिससे हानिकरक वस्तु बनने से पहले हि उसे रोका जा सके।
  • रसायनिक वस्तु या रसायनो को इस तरह से चुनना चहिए जिससे किसी भी तरह के रसायनिक दुर्घटनाए ना हो।

प्रवृत्तियों

ग्रीन केमिस्ट्री मे हमेशा इस बात का ख्याल रखा जाता है कि किसी भी रसायन के निर्माण मे कम से कम खर्चा हो, सरलता से बनाने की विधी का उपायोग हो, रसायन को कम से कम हानिकारक बनाना या बिल्कुल भी हानिकारक न होना, उस रसायन को किस चीज़ मे सम्भाल कर रखा जा सकता है उसका पता लगाना और निर्माण करना फिर उस रसायन को इस तरह से शुद्ध करना की उससे किसी भी तरह का खतरा ना हो और सबसे ज़रूरी है की पर्यावरण को कोई नुकसान न हो और धरती हरियाली, खुशाली से सम्पन्न रहे। आनेवाले समय मे ग्रीन केमिस्ट्री का उपयोग एक मज़बूत औज़ार कि तरह किया जा सकता है जिससे इन्सान और प्रक्रुति के बीच का संबन्ध कायम रहे।

शिक्षा

भारत मे स्नातकोत्तर उपाधि के लिये सरकारी विश्वविद्यालय जेसे इन्डियन इनस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलोजी मे ग्रीन टेक्नोलोजी नामक विषय उपलब्द है। अमेरिका तथा युरोप के कई विश्वविद्यालयो मे ग्रीन केमिस्ट्री नामक विषय पर उपाधियाँ भी प्रप्त की जा सकती है और ऑन लाइन पर ग्रीन केमिस्ट्री से जुडे सर्टिफिकेट कोर्स भी उपलब्द है।

विवाद

अमेरिका और युरोप मे ग्रीन केमिस्ट्री के कई अधिवक्ताओं ने यह बात प्रस्तुत की कि ग्रीन केमिस्ट्री इन्सान और प्रक्रुति के बीच का संबन्ध कायम रखने का एक अभिनव सोच है जो आनेवाले समय मे रसायनशास्त्र को एक नयी दिशा प्रदान करेगा लेकिन वही दूसरी और कुछ रसायनशास्त्री यह मानते है कि ग्रीन केमिस्ट्री जन हित मे आनेवाले कई विषयो मे एक है। आजकल कई लोग और रसायनशास्त्री ग्रीन केमिस्ट्री शब्द का प्रयोग अपने अनुसार लेकर उसका इस्तेमाल कर रहे है, जो किसी भी तरह से ग्रीन केमिस्ट्री के सिद्धान्तो पर अधारित नही है। आज के समय मे भी कुछ लोगो को ग्रीन केमिस्ट्री का सही अर्थ नही पता लेकिन फिर भी यह विषय आनेवाले समय मे एक सुन्दर गैर प्रदूषित भविश्य का निर्माण करने मे महत्वपूर्ण हो सकता है।

सन्दर्भ

https://www.pdfnotes.co/2019/11/green-chemistry-in-hindi.html Archived 2019-11-10 at the वेबैक मशीनhttp://www.acs.org/content/acs/en/greenchemistry/students-educators/online-educational-resources.htm[मृत कड़ियाँ]https://web.archive.org/web/20150515022231/http://greenchem.uoregon.edu/Pages/WhatIsGreenChemistry.phphttp://www2.epa.gov/green-chemistry/basics-green-chemistrhttp://www2.epa.gov/green-chemistry/basics-green-chemistr[मृत कड़ियाँ]https://web.archive.org/web/20150211095316/http://www.acs.org/content/acs/en/greenchemistry/what-is-green-chemistry/principles/12-principles-of-green-chemistry.html