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गोविंद भगवत्पाद

आचार्य गोविन्दपाद् महा प्रतिभाशाली, त्यागी, विद्वान महात्मा थे। ये बौद्ध धर्म के कट्टर भिसण द्रोही थे, आचार्य गौंडपाद के प्रधान शिष्य थे। महान आचार्य कुमारिल भट्ट की तरह से इन्होंने भी कदाचारी बौद्ध धर्म के वाममार्गी को संतान धर्म के पथ पर लाया। लेकिन आचार्य इतने सत्यवान व दयालु थे कि बौद्धों को कभी भी पीड़ित नहीं किया । जब बाल्यकाल में बालक शंकर इनके सेवा में आये, कुछ ही समय में शंकर को वे पहचान गए की बालक शंकर का आविर्भाव अवश्य ही किसी विशेष कार्य को पूर्ण करने हेतु हुआ है ।