गोवा का पर्यटन
वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही प्रकृति गोवा को कुछ ऐसा ही अलग, लेकिन अदभुत स्वरूप प्रदान करती है। यह स्थान शांतिप्रिय पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को बहुत भाता है। गोवा एक छोटा-सा राज्य है। यहां छोटे-बड़े लगभग 40 समुद्री तट है। इनमें से कुछ समुद्र तट अंर्तराष्ट्रीय स्तर के हैं। इसी कारण गोवा की विश्व पर्यटन मानचित्र के पटल पर अपनी एक अलग पहचान है।
गोवा में विदेशी पर्यटक सर्दियों के मौसम में आते हैं , जबकि गर्मियों और मानसून के मौसम में कई भारतीय पर्यटक आते हैं। विदेशी पर्यटकों में ज्यादातर लोग यूरोप से आते हैं। 2017 में गोवा में कुल पर्यटक 7785693 आये थे जिसमे से 890459 विदेशी पर्यटक तथा 6895234 भारतीय पर्यटक थे, जोकि कुल 22.98% थे।[1] यह अपेक्षाकृत छोटा राज्य भारत के पश्चिमी तट पर, महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमाओं के बीच स्थित है, और भारतीय धरती पर एक पूर्व पुर्तगाली एन्क्लेव के रूप में दुनिया के लिए बेहतर जाना जाता है। इस प्रकार, पर्यटन गोवा की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
मौसम
गोवा में पर्यटकों की भीड़ सबसे अधिक गर्मियों के महीनें में होती है। जब यह भीड़ समाप्त हो जाती है तब यहां शुरू होता है ऐसे सैलानियों के आने का सिलसिला जो यहां मानसून का लुत्फ उठाना चाहते हैं। यह पर्यटक गोवा में मानसून की बौछारों के बीच मस्त माहौल का आनंद बटोरने का साहस करते हैं। वैसे गोवा भी मानसून प्रेमी सैलानियों का स्वागत बांहें पसारे करता है। इसका उदाहरण है वहां के होटलों और टूर ऑपरटरों द्वारा दिया जाने वाला डिस्कांउट। जब मानसून सीजन में भूस्खलन के डर से पहाड़ी स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बंद सी हो जाती है तो ज्यादातर पर्यटक गोवा जैसे स्थानों का रुख करते है।
सागर तटों की बहार
गोवा के मनभावन बीच की लंबी कतार में पणजी से 16 किलोमीटर दूर कलंगुट बीच, उसके पास बागा बीच, पणजी बीच के निकट मीरामार बीच, जुआरी नदी के मुहाने पर दोनापाउला बीच स्थित है। वहीं इसकी दूसरी दिशा में कोलवा बीच ऐसे ही सागरतटों में से है जहां मानसून के वक्त पर्यटक जरूर आना चाहेंगे। यही नहीं, अगर मौसम साथ दे तो बागाटोर बीच, अंजुना बीच, सिंकेरियन बीच, पालोलेम बीच जैसे अन्य सुंदर सागर तट भी देखे जा सकते हैं। [2]
गोवा के समुद्री तट इसकी तटरेखा के लगभग 125 किलोमीटर (78 मील) को कवर करते हैं। इन समुद्र तटों को उत्तरी और दक्षिणी गोवा में बांटा गया है।
उत्तरी गोवा के समुद्र तट
क्वेरिम (बीच) समुद्री तट, कालाचा (बीच) समुद्री तट, अरम्बोल (बीच) समुद्री तट, मंड्रेम (बीच) समुद्री तट, अश्वम (बीच) समुद्री तट, मोरजिम (बीच) समुद्री तट
चापोरा (बीच) समुद्री तट, वागाटोर (बीच) समुद्री तट, ओजरान (बीच) समुद्री तट, अंजुना (बीच) समुद्री तट, बागा (बीच) समुद्री तट, कलंगुट (बीच) समुद्री तट, कैंडोलिम (बीच) समुद्री तट, सिंक्वेरिम (बीच) समुद्री तट, कोको (बीच) समुद्री तट, केगडोले (बीच) समुद्री तट
मीरामार (बीच) समुद्री तट, कारंजालेम (बीच) समुद्री तट, डोना पाउला (बीच) समुद्री तट, वैगुइनिम (बीच) समुद्री तट, बम्बोलिम (बीच) समुद्री तट, सिरिदाओ (बीच) समुद्री तट
दक्षिण गोवा समुद्र तट
बोगमालो बीच, बैना बीच, हंसा बीच, हॉलेंट बीच, कैन्सौलिम बीच, वेलसाओ बीच
एरोसिम बीच, उटोर्डा बीच, माजोर्डा बीच, बेतालबातिम बीच, कोलवा बीच, सेरनाबतिम बीच, बेनौलिम बीच, वरका बीच, कैवेलोसिम बीच, मोबोर बीच, बैतूल बीच
कनैगुइनिम बीच
काबो डी रामा बीच, काकोलेम बीच, धारवलेम बीच, कोला बीच, अगोंडा बीच, पालोलेम बीच, पटनाम बीच, राजबाग बीच, तलपोना बीच, गलगीबाग बीच, पोलेम बीच
बागा तट
अंजुना तट
पालोलेम तट
मंड्रेम तट
मोरजिम तट
वागाटोर तट
अरामबोल तट
कोला तट
क्वेरिम तट
मोरजिम तट
बोगमालो तट
सिंक्वेरिम तट
कलंगुट तट
चापोरा तट
वरका तट
बेतालबातिम तट
समुद्री विमान सेवा
गोवा सरकार ने 23 मई 2015 को मंडोवी नदी पर एक समुद्री विमान का परीक्षण किया। परीक्षण विमान ने डाबोलिम हवाई अड्डे से उड़ान भरी और सफलतापूर्वक मंडोवी नदी में उतरा। सीप्लेन सेवा 2015 के बाद से मानसून के बाद शुरू हुई थी।[3]
वन्यजीवन
बोंडला वन्यजीव अभयारण्य, भगवान महावीर अभयारण्य और मोलेम राष्ट्रीय उद्यान, कोतीगाव वन्य अभयारण्य, महादेई वन्यजीव अभयारण्य और नेत्रावली वन्यजीव अभयारण्य गोवा की समृद्ध जैव-विविधता को आश्रय देते हैं। गोवा के जंगलों में लोमड़ियां, जंगली सूअर और प्रवासी पक्षी भी पाए जाते हैं। एविफौना में किंगफिशर, मैना और तोते शामिल हैं। प्रसिद्ध दूधसागर जलप्रपात, भारत का पाँचवाँ सबसे ऊँचा 310 मीटर ऊँचा, गोवा-कर्नाटक सीमा पर भगवान महावीर अभयारण्य के अंदर स्थित है।
प्रसिद्ध सलीम अली पक्षी अभयारण्य चोराव द्वीप पर स्थित है। लुप्तप्राय ओलिव रिडले समुद्री कछुआ उत्तरी गोवा के पेरनेम में मोरजिम बीच और दक्षिणी गोवा के कानाकोना में गलगीबागा बीच पर पाया जा सकता है। कछुओं को भारतीय वन्यजीव अधिनियम की अनुसूची I में सूचीबद्ध किया गया है। मोरजिम बीच सितंबर के अंत से अप्रैल की शुरुआत तक कई प्रवासी पक्षियों की मेजबानी भी कर रहा है। मोरजिम के टेम्बवाड़ा में तट के आसपास का क्षेत्र भी पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों में प्रचुर मात्रा में है। क्षेत्र में कई अंतरराष्ट्रीय बर्ड वाचिंग टूर आयोजित किए जाते हैं।
झरने
- दूधसागर जलप्रपात
- अरवलम फॉल्स
- कुस्के फॉल्स
- केसरवल जलप्रपात
- ताम्बडी सुरला जलप्रपात
- चरवणे फॉल्स
नैसर्गिकस सौन्दर्य
जब आप चर्च और मंदिर देखने निकलें तो आपका सामना भव्य लैंडस्केप्स से भी होगा। जब भी आकाश साफ हो या हल्की बौछारों का मौसम हो तो निकल जाइए। पूरे रास्ते भीगा नैसर्गिक सौंदर्य आपको अनोखा सुकून प्रदान करेगा। काली सड़कों के आसपास लाल मिट्टी के मैदान या टीले, यहां वहां दिखते नारियल के ऊंचे दरख्त या धान के खेत प्राकृतिक दृश्यों में मोहक रंग भर देते हैं। आसपास फैली हरियाली में हरे रंग के हल्की गहरी अनेक रोड नजर आती है। गोवा की सड़कों पर लॉन्ग ड्राइव का आनन्द भी लिया जा सकता है। रास्ते में लगे बड़े-बड़े होर्डिग्स भी इन लम्बे रास्तों की शोभा बढ़ाते हैं। मडगांव से 60 कि.मी. दूर दूधसागर फॉल्स भी मानसून में अपने चरम पर होता है। लॉन्ग ड्राइव के शौकीन यहां अवश्य जा पहुंचते हैं। करीब 450 वर्ष के पुर्तगाली उपनिवेश काल में यहां अनेक भव्य चर्च बनाए गए थे, जिनके कारण आज गोवा को भारत का रोम भी कहा जाता है।
मांडवी नदी
पणजी गोवा की राजधानी है। यहां के आधुनिक बाजार भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। मांडवी नदी के तट पर बसे इस शहर में शाम के समय सैलानी रिवर क्रूज का आनन्द लेने पहुंचते हैं। मांडवी पर तैरते क्रूज पर संगीत एवं नृत्य के कार्यक्रम में गोवा की संस्कृति की एक झलक देखने को मिलती है। नदी के दूसरे तट पर मछुआरों की रंगबिरंगी मोटर बोट कतार में खड़ी एक अलग दृश्य बनाती है। पणजी के आसपास और ओल्ड गोवा के लैटिन शैली के पुराने घर भी, आज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन गए हैं।
- ↑ "Tourist Arrival Statistics" (PDF).
- ↑ "GTDC". goa-tourism.com. अभिगमन तिथि 2022-11-18.
- ↑ India, Press Trust of (2015-05-23). "Govt gives nod to sea plane landing in Goa waters amid protest". Business Standard India. अभिगमन तिथि 2022-11-01.