गोभिला
सामवेद में गोभिला गृह्यसूत्र का वर्णन है।[1] ऐसा मालूम होता है कि वे सामवेद के रचयिता ऋषियों में से एक थे और सामवेद के गायन व उच्चारण में प्रवीण थे। इस बात का उल्लेख सत्यव्रत की कहानी में मिलता है।[2]
अयातोगोभिलोक्तानामम्न्येषां चैव कर्मणाम,
अस्पष्टदानाम विधिं सभ्यग दर्शियशिये प्रदीपवत।
कत्यायन के कर्मप्रदीप में इसका वर्णन है जिसमे श्राद्धकल्प की विशेषता बतायी गयी है