गुसांईजी
गुसाईंजी महाराज हिन्दुओं के देवता हैं। इनका एक प्रासिद्ध मंदिर नागौर जिले के जुंजाला गाँव में स्थित है।[1] यद्यपि गुसाईंजी हिन्दुओं के देवता हैं परन्तु मुसलमान भी इनको मानते हैं।[2]
गुसांईजी महाराज | |
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हिन्दू देवता | |
अन्य नाम | बाबा कदम रसूल |
प्रमुख पंथ केंद्र | जुंजाला गाँव, नागौर |
राजा बलि और वामन अवतार
एक समय राजा बलि इस धरती पर राज करता था। राजा बलि ने अश्वमेघ यग्य और अग्नि होम किए। उसने इस तरह ९९ यज्ञ संपन्न कर दिए। राजा बलि का यश चारों और फैलने लगा और वह इन्द्रलोक का राजा बनने की सोचने लगा। राजा बलि ने १०० वें यज्ञ का आयोजन रखा और इसके लिए निमंन्त्रण भेजे. सारी नगरी को इस अवसर के अनुरूप सजाया गया। सारी नगरी को न्योता दिया गया।[3]
भगवान विष्णु ने सोचा कि राजा बलि घमंड में आकर कहीं इन्द्र का राज न लेले. भगवान ने वामन अवतार का रूप धारण किया। अपना शरीर ५२ अंगुल के बराबर लंबा किया और राजा बलि की नगरी के समीप धूना जमा लिया। राजा बलि ने यज्ञ शुरू किया और मंत्रियों को हुक्म दिया कि नगरी के आस पास कोई भी मनुष्य यहाँ आए बिना न रहे। मंत्रियों ने छानबीन की तो पता चला कि भगवान रूप वामन अपनी जगह बैठा है। मंत्रियों के कहने पर वह नहीं आए। तब राजा बलि ने ख़ुद जाकर महाराज से निवेदन किया। महाराज ने राजा से कहा कि मैं आपके नगर में तब प्रवेश करुँ जब मेरे पास कम से कम तीन पांवडा (कदम) जमीन मेरे घर की हो। इस पर राजा बलि को हँसी आ गई और कहा की शर्त मंजूर है।[4]
राजा बलि का वचन पाकर भगवान ने अपनी देह को इतना लंबा किया कि पूरी पृथ्वी को दो पांवडा (कदम) में ही नाप लिया। और पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखू. इस पर राजा बलि घबरा गए और थर-थर कांपने लगे। राजा बलि ने कहा कि यह तीसरा कदम मेरे सर पर रखें. इस पर भगवान ने तीसरा पैर राजा बलि के सर पर रख कर उसको पाताल भेज दिया। [5][2]
गोसाईंजी धाम जुंजाला मंदिर
कहते हैं कि जब भगवान ने वामन अवतार धारण कर पृथ्वी का नाप किया तो पहला कदम मक्का मदीना में रखा गया था। जहाँ अभी मुसलमान पूजा करते हैं और हज करते हैं। दूसरा कदम कुरुक्षेत्र में रखा था जहां अभी पवित्र नहाने का सरोवर है। तीसरा पैर ग्राम जुंजाला के राम सरोवर के पास रखा जहाँ आज मन्दिर है। तीर्थ राम सरोवर में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग आते हैं। हिंदू इसे गुसांईजी महाराज कहते हैं तो मुसलमान इसे बाबा कदम रसूल बोलते हैं।[6][1]
यह मन्दिर एतिहासिक दृष्टि से बहुत पुराना है। यहाँ पर हर साल एक तो नव रात्रा के पहले दिन चैत्र सुदी १ व २ को तथा दूसरा आसोज सुदी १ व २ को मेला लगता है। यहाँ राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों से यात्री आते हैं।[6]
बाबा रामदेवजी के परिवार वाले भी यहाँ अपनी जात का जडूला चढाने जुन्जाला आया करते थे। यहाँ मन्दिर में एक पुराना जाल का पेड़ है जिसके नीचे बाबा रामदेवजी का जडूला उतरा हुआ है। इसलिए जो लोग रामदेवरा जाते थे वह सब यात्री जुंजाला आने पर ही उनकी यात्रा पूरी मानी जाती है। इसलिए भादवा और माघ के महीने में मेला लग जाता है।[7]
सन्दर्भ
- ↑ अ आ rajasthaninformation. "Gosai Baba Ka Mandir गोसाई बाबा का मंदिर - PuraniHistory" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-10-15.
- ↑ अ आ जोशी 'शतायु', अनिरुद्ध. "जुंजाला धाम एक चमत्कारिक स्थान, जानकर रह जाएंगे हैरान | Junjala Gusainji Mharaj in Rajasthan". hindi.webdunia.com. अभिगमन तिथि 2022-10-15.
- ↑ प्रहलाद नाथ: श्री गुसांईजी महाराज के भजन व रचना, p.2
- ↑ प्रहलाद नाथ: श्री गुसांईजी महाराज के भजन व रचना, p.3
- ↑ प्रहलाद नाथ: श्री गुसांईजी महाराज के भजन व रचना, p.4
- ↑ अ आ प्रहलाद नाथ: श्री गुसांईजी महाराज के भजन व रचना, p.5
- ↑ प्रहलाद नाथ: श्री गुसांईजी महाराज के भजन व रचना, p.6