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गुलाब महाराज

महाराष्ट्र के खानदेश (धुळे नंदुरबार जलगांव )जिले में संत श्री गुलाब महाराज या गुलाब भगवान नाम के एक बड़े संत जन्मे उनका जन्म वर्तमान कालीन नंदुरबार जिले के तलोदा के पास मोरवड रंजनपुर गांव के एक भील सरदार परिवार में हुआ ।उनके पिता श्री का नाम भादरिया और मां का नाम मीना बाई था ।बाल्यकाल से ही वे नित्य स्नान उपरांत दर्शन करते थे और तुलसी को पानी देते थे ।उन्होंने सूर्योपासना कि। सूर्य दर्शन किए बगैर अन्न - जल को ग्रहण नहीं करते थे तथा वर्षा ऋतु में लगातार दो से 3 दिन का निर्जल उपवास भी हो जाता था । गुलाब महाराज ने लकड़ी के तख्ते पर कुछ वाक्य उन्होंने लिखे थे इसे संत लीला कर सकते हैं । उस लिखी बात को वे अपने अंतःकरण में रहने वाले विचार देवता का प्रतीक मानते थे उनको अमोक वाणी का वरदान प्राप्त था । जन भाषा में इस तत्व चिंतन को उन्होंने आप देव इस नाम से कहा उनका तात्पर्य था जनता ही जनार्दन जनता जनार्दन जनता उसी भगवान की संताने ऐसा भाव इस शब्द में वे से प्रकट होता है । हम सभी आपके यानी जनता जनार्दन के गुलाम हैं व्यस्त होता को गुलाम भगवान कहलाते थे । वे समाज पुरुष के उत्थान के लिए भी कटिबंध हुए थे वैवाहिक संबंधों में पावित्र रखने का उनका आग्रह था , व्यसनमुक्ती पर जोर था यही सीख दी थी उन्होंने हम उसी एक भगवान के संतान हैं , अतः बंधुभाव क्षमता, क्षमता का भाव का उद्घोष हुआ अपने उपदेश से उन्होंने आपसी भेदों को जमीन में गाड़ दिया, परस्पर समानता सामंजस्य और सम्मान युक्त व्यवहार को निर्मित किया सामाजिक वातावरण उन्होंने अच्छा बनाया एक दूसरे से मिलते समय प्राय: आप की जय बोलते थे। जागरण के साथ ही अंग्रेजों के विरोध में असहकर आंदोलन का सूत्रपात किया । गुलाम महाराज ने अंग्रेजों कोकर ना देने के लिए आम जनता से आह्वान किया, उस समय भारत में उन्होंने महत्वपूर्ण बदलाव किए आम लोगों को जागरूक किया और अंग्रेजो के खिलाफ मोर्चा खोल दिया ।

स्रोत

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  1. {{Cite:https://books.google.co.in/books?id=ZlE4DwAAQBAJ&lpg=PA29&dq=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AC%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C&pg=PA30#v=onepage&q=%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AC%20%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C&f=false}}