गुरुबाई करमरकर
गुरुबाई करमरकर | |
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मौत | 1931 |
पेशा | चकित्सक |
गुरुबाई करमरकर (1932 में मृत्यु) महिला मेडिकल कॉलेज के पेंसिल्वेनिया से 1886 में चिकित्सा विज्ञान में ग्राजुएशन करने वाली दूसरी भारतीय महिला हैं। [1]
मेडिकल कैरियर
गुरुबाई करमरकर 1893 में चिकित्सा की डिग्री प्राप्त करने के बाद भारत लौटीं। उन्होंने 23 साल मुंबई, भारत में एक ईसाई स्थापना के अमेरिकी मराठी मिशन,तक काम किया। उनका चिकित्सा में मुख्य काम है, भारतीय जाति व्यवस्था के सबसे बेदखल सदस्यों पर ध्यान केंद्रित करना। उनके अभ्यास के एक प्रमुख समूह में सब जातियों की महिलाएं शामिल थीं।[2] महिला बोर्ड मिशन को लिखे एक पत्र में, डॉ करमरकर ने दो बालिका वधुओं की कहानियाँ बताईं जिनका इलाज उन्होंने पिछले साल किया था। दोनों जवान औरतों को अपने पतियों और ससुराल वालों का ज़ुल्म सहना पड़ा। पहली युवा पत्नी के परों को जला कर उन पर चिन्ह अन्कृत किया गया था ताकि वो भाग ना जाये। दूसरी युवा पत्नी कुपोषण के शिकार थी और उसे बहुत तेज़ बुखार था। डॉ करमरकर इन दोनों औरतों की मिसाल का उपयोग भारतीय महिलाओं की संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके समकक्षों के मुकाबले दुर्दशा का उवर्णन करने के लिए करती हैं। [3]
सन्दर्भ
- ↑ Ramanna, Mridula. ''Health Care in Bombay Presidency, 1896-1930.'' Primus Books: 2012. page 138-139. Books.google.com. मूल से 25 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2012-08-30.
- ↑ Missions, American Board of Commissioners for Foreign (1915). "Annual report - American Board of Commissioners for Foreign Missions". मूल से 25 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद);|first1=
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के एक से अधिक मान दिए गए हैं (मदद); Cite journal requires|journal=
(मदद) - ↑ Boston, Woman's Board of Missions (1896). "Life and light for woman". मूल से 25 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2017.
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(मदद)