गुरमुख सिंह मुसाफिर
| ज्ञानी गुरमुख सिंह मुसाफिर | |
|---|---|
माननीय जठेदार | |
अकाल तख्त के 16वें जठेदार | |
| पद बहाल 1930–1931 | |
| पूर्वा धिकारी | जवाहर सिंह मट्टु भैके |
| उत्तरा धिकारी | वसाखा सिंह डाडेहर |
| पद बहाल 11 नवम्बर 1966 – 8 मार्च 1967 | |
| पूर्वा धिकारी | पंजाब में राष्ट्रपति शासन |
| उत्तरा धिकारी | गुरनाम सिंह |
| पद बहाल 1952–1966 | |
| उत्तरा धिकारी | यज्ञदत्त शर्मा |
| चुनाव-क्षेत्र | अमृतसर, पंजाब |
| पद बहाल 1968–1976 | |
| चुनाव-क्षेत्र | पंजाब |
| जन्म | 15 जनवरी 1899 आधवाल, पंजाब, ब्रितानी भारत वर्तमान पाकिस्तान में |
| मृत्यु | 18 जनवरी 1976 (उम्र 77) दिल्ली, भारत |
| जन्म का नाम | गुरमुख सिंह |
| राष्ट्रीयता | भारतीय |
| राजनीतिक दल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल |
| जीवन संगी | रंजीत कौर |
गुरमुख सिंह मुसाफिर भारतीय राजनेता और पंजाबी भाषा के साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कहानी–संग्रह उरवरपार के लिये उन्हें सन् 1978 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित(मरणोपरांत) किया गया।[1]
सन्दर्भ
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.