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गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर
गुप्तेश्वर महादेव प्रवेश द्वार
धर्म संबंधी जानकारी
सम्बद्धताहिन्दू धर्म
देवतागुप्तेश्वर महादेव (शिव)
अवस्थिति जानकारी
अवस्थितिटिटार्डी गाँव
ज़िलाउदयपुर
राज्यराजस्थान
देशभारत
गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर is located in राजस्थान
गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर
राजस्थान के मानचित्र पर अवस्थिति
गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर is located in भारत
गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर
गुप्तेश्वर महादेव, उदयपुर (भारत)
भौगोलिक निर्देशांक24°32′31″N 73°44′22″E / 24.5418891°N 73.7395009°E / 24.5418891; 73.7395009निर्देशांक: 24°32′31″N 73°44′22″E / 24.5418891°N 73.7395009°E / 24.5418891; 73.7395009
अवस्थिति ऊँचाई849 मी॰ (2,785 फीट)

गुप्तेश्वर महादेव भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर जिले में स्थित भगवान शिव का एक लोकप्रिय मंदिर है।[1] यह मंदिर मेवाड का अमरनाथ कहलाता है। गीतांजली अस्पताल एकलिंगपुरा से 4km दूर है इस मंदिर मे शिव लिंग गुफा के अन्दर है गिर्वा की पहाडी पर स्थित है पास ही एक मठ है जहा पर गुरू पूर्णिमा को मेला आयोजित होता है। शिव महारात्रि और सावन के प्रत्येक सोमवार को मेला आयोजित होता है। हजारो की संख्या मे श्रदालू पहुंचते है

कैसे पहुँचें

गुप्तेश्वर महादेव मंदिर शहर के एक दूरस्थ पक्ष में स्थित है, जो घनी बस्ती में बसा हुआ है।[2] हालांकि शहर के केंद्र सूरजपोल से केवल किलोमीटर और उदयपुर शहर के रेलवे स्टेशन से ७.५ किलोमीटर दूर है। आगंतुक निजी वाहन, या टैक्सी या ऑटो-रिक्शा द्वारा मंदिर पहुँच सकते हैं। परिसर के भीतर और आसपास पर्याप्त पार्किंग सुविधा है, जो पहाड़ी के नीचे स्थित है। वहाँ से, आगंतुकों को मुख्य मंदिर का दौरा करने के लिए लगभग ८०० मीटर पहाड़ी की पैदल दूरी तय करनी होती है।

गुप्तेश्वर महादेव गुफा का इतिहास

अगर हम गुप्तेश्वर महादेव गुफा के इतिहास के बारे में बात करें तो इसका इतिहास बहुत पुराना है। प्राकृतिक रूप से बनी यह गुफा हजारों साल पुरानी है। यह गुफा कई संतों की तपस्या स्थली रही है जिनमें रोड़ीदास जी, फूलनाथ जी और फलाहारी बाबा का नाम मुख्य है। साल 1951 में इस जगह बृज बिहारी बन महाराज आए। इन्होंने साल 1951 से लेकर 1962 तक यहाँ पर तपस्या की। इतने समय तक मुख्य गुफा की छोटी गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद था।

छोटी गुफा की चौड़ाई कम होने की वजह से इसमें जाकर शिवलिंग की आराधना करने में काफी परेशानी होने के बावजूद बृज बिहारी जी लगभग 10 सालों तक इसमें जाकर पूजा पाठ किया करते थे। साल 1962 में किसी कारणवश इस शिवलिंग के खंडित हो जाने की वजह से मुख्य गुफा में पंचमुखी गंगाधर विग्रह स्थापित किया गया।

इस पंचमुखी विग्रह को स्थापित करने से पहले इस जगह पर खंडित स्वयंभू शिवलिंग को स्थापित किया गया। उसके बाद इसके ऊपर पंचमुखी गंगाधर विग्रह स्थापित किया गया। साल 1951 में बृज बिहारी महाराज के आने से पहले इस गुफा में मात्र एक धूणी हुआ करती थी। धीरे-धीरे महाराज ने इस गुफा के साथ इस जगह का विकास करवाया।

1962 में पंचमुखी गंगाधर विग्रह की प्रतिष्ठा के बाद महाराज ने इस गुफा का नाम गुप्तेश्वर महादेव रखकर हर साल भाद्रपद पूर्णिमा को दो दिवसीय मेले का आयोजन शुरू करवाया। इनके प्रयासों से ही एक गुमनाम गुफा आज उदयपुर के अमरनाथ के रूप में जानी जाती है। कई लोग इसे मेवाड़ का अमरनाथ भी कहते हैं। साल 2019 में 21 फरवरी के दिन बृज बिहारी महाराज के देहांत के बाद गुफा के मुख्य द्वार के सामने इनकी समाधि बनाई गई।[3]

सन्दर्भ

  1. "गुप्तेश्वर महादेव की विशेष पूजा, मेले में उमड़ी भीड़". Dainik Bhaskar. 2016-09-17. मूल से 17 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-07-17.
  2. "Maha Shivratri 2018 : उदयपुर के इस श‍िव मंद‍िर में हेल‍िकॉप्‍टर से दर्शनार्थियों पर होगी पुष्‍प वर्षा,". www.patrika.com (hindi में). मूल से 17 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2019-07-17.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. https://www.gojtr.com/2024/08/gupteshwar-mahadev-gufa-udaipur-in-hindi.html