गीतांजलि
गीतांजलि (बंगला उच्चारण - गीतांजोलि) रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा मूलतः बांगला में रचित गीतों (गेयात्मक कविताओ) का संग्रह है। 'गीतांजलि' शब्द 'गीत' और 'अञ्जलि' को मिला कर बना है जिसका अर्थ है - गीतों का उपहार (भेंट)।
परिचय
रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित तथा 1910 ई॰ में प्रकाशित मूल गीतांजलि वस्तुतः बाङ्ला भाषा में पद्यात्मक कृति थी। इसमें कोई गद्यात्मक रचना नहीं थी, बल्कि सभी गीत अथवा गान थे। इसमें 125 अप्रकाशित तथा 32 पूर्व के संकलनों में प्रकाशित गीत संकलित थे। पूर्व प्रकाशित गीतों में नैवेद्य से 15, खेया से 11, शिशु से 3 तथा चैताली, कल्पना और स्मरण से एक-एक गीत लिये गये थे। इस प्रकार कुल 157 गीतों का यह संकलन गीतांजलि के नाम से सितंबर 1910 ई॰ (1317 बंगाब्द) में इंडियन पब्लिकेशन हाउस, कोलकाता द्वारा प्रकाशित हुआ था।[1] इसके विज्ञापन (प्राक्कथन) में इसमें संकलित गीतों के संबंध में स्वयं रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने लिखा था :
"इस ग्रंथ में संकलित आरंभिक कुछेक गीत (गान) दो-एक अन्य कृतियों में प्रकाशित हो चुके हैं। लेकिन थोड़े समय के अंतराल के बाद जो गान रचित हुए, उनमें परस्पर भाव-ऐक्य को ध्यान में रखकर, उन सबको इस पुस्तक में एक साथ प्रकाशित किया जा रहा है।"[2]
यह बात अनिवार्य रूप से ध्यान रखने योग्य है कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर को नोबेल पुरस्कार मूल बाङ्ला गीतों के संकलन इस 'गीतांजलि' के लिए नहीं दिया गया था बल्कि इस गीतांजलि के साथ अन्य संग्रहों से भी चयनित गानों के एक अन्य संग्रह के अंग्रेजी गद्यानुवाद के लिए दिया गया था। यह गद्यानुवाद स्वयं कवि ने किया था और इस संग्रह का नाम 'गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स ' रखा था।[1]
'गीतांजलि : गीतों की अंजलि'
'गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' नाम में 'सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' (song offerings) का अर्थ भी वही है जो मूलतः 'गीतांजलि' का है अर्थात् 'गीतों के उपहार'। वस्तुतः किसी शब्द के साथ जब 'अंजलि' शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वहाँ 'अंजलि' का अर्थ केवल दोनों हथेली जोड़कर बनाया गया गड्ढा नहीं होता, बल्कि उसमें अभिवादन के संकेतपूर्वक किसी को उपहार देने का भाव सन्निहित होता है। पाश्चात्य पाठकों के लिए यही भाव स्पष्ट रखने हेतु कवि ने अलग से पुस्तक के नाम में 'सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' शब्द जोड़ दिया।
'गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' में मूल बाङ्ला गीतांजलि से 53 गीत लिये गये थे तथा 50 गीत/गान कवि ने अपने अन्य काव्य-संकलनों से चुनकर इसमें संकलित किये थे, जिनके भाव-बोध गीतांजलि के गीतों से मिलते-जुलते थे।[2] अंग्रेजी अनुवाद में बाङ्ला गीतांजलि के बाद सन् 1912 में रचित 'गीतिमाल्य' (1914 में प्रकाशित) से सर्वाधिक 16 गीत लिए गए थे तथा 15 गीत नैवेद्य से संकलित थे।[3] इसके अतिरिक्त चैताली, कल्पना, खेया, शिशु, स्मरण, उत्सर्ग, गीत-वितान तथा चयनिका से भी कुछ कविताओं को चुनकर अनूदित रूप में इसमें स्थान दिया गया था।[4]
अंग्रेजी गद्यानुवाद वाला यह संस्करण 1 नवंबर 1912 को इंडियन सोसायटी ऑफ़ लंदन द्वारा प्रकाशित हुआ था। यह संस्करण कवि रवीन्द्रनाथ के पूर्वपरिचित मित्र और सुप्रसिद्ध चित्रकार विलियम रोथेन्स्टाइन के रेखाचित्रों से सुसज्जित था तथा अंग्रेजी कवि वाई॰वी॰ येट्स ने इसकी भूमिका लिखी थी।[2] मार्च 1913 में मैकमिलन पब्लिकेशन ने इसका नया संस्करण प्रकाशित किया और धूमधाम से प्रचारित किया।
गीतांजलि की विषय-वस्तु
वैसे रवीन्द्रनाथ सूफी रहस्यवाद और वैष्णव काव्य से प्रभावित थे। फिर भी संवेदना चित्रण में वे इन कवियों को अनुकृति नहीं लगते। जैसे मनुष्य के प्रति प्रेम अनजाने ही परमात्मा के प्रति प्रेम में परिवर्तित हो जाता है। वे नहीं मानते कि भगवान किसी आदम बीज की तरह है। उनके लिए प्रेम है प्रारंभ और परमात्मा है अंत !
सिर्फ इतना कहना नाकाफी है कि गीतांजलि के स्वर में सिर्फ रहस्यवाद है। इसमें मध्ययुगीन कवियों का निपटारा भी है। धारदार तरीके से उनके मूल्यबोधों के खिलाफ। हालांकि पूरी गीतांजलि का स्वर यह नहीं है। उसमें समर्पण की भावना प्रमुख विषयवस्तु है। यह रवीन्द्रनाथ का सम्पूर्ण जिज्ञासा से उपजी रहस्योन्मुखकृति है।
देवनागरी लिप्यंतरण एवं हिन्दी अनुवाद
'गीतांजलि' के मूल बाङ्ला क्रम (157 गीत) एवं अंग्रेजी गद्यानुवाद-क्रम (103 गीत, अर्थात् 'गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स') दोनों के कुछ देवनागरी लिप्यंतरण एवं अधिकांशतः हिन्दी गद्य एवं पद्य में अनुवाद विभिन्न प्रकाशनों से प्रकाशित होते रहे हैं। मूल बाङ्ला क्रम वाले अनुवादों में तो सीधे-सीधे मूल बाङ्ला गीतों से ही अनुवाद किये ही गये हैं, अंग्रेजी क्रम वाले अनुवादों में भी जो पद्यानुवाद हैं उनमें केवल क्रम अंग्रेजी वाला है परंतु अनुवाद सीधे मूल बाङ्ला गीतों के ही किये गये हैं।
मूल बाङ्ला क्रम (157 गीत)
- गीताञ्जलि -1946 (हिन्दी छन्दबद्ध पद्यानुवाद- लालधर त्रिपाठी 'प्रवासी'; प्रथम संस्करण 'काशी पुस्तक भंडार, बनारस' से प्रकाशित; द्वितीय संस्करण 'हिन्दी पुस्तकालय, वाराणसी' से सन् 1951 में प्रकाशित; नवीन संस्करण 'पिलग्रिम्स पब्लिशिंग, वाराणसी' से सन् 2010 में तथा 'सस्ता साहित्य मंडल, नयी दिल्ली' द्वारा सन् 2011 में सजिल्द एवं पेपरबैक दोनों रूपों में प्रकाशित। इसमें गीतों की कुल संख्या 209 है। मूल बाङ्ला संस्करण के क्रमशः 157 गीतों के बाद अंग्रेजी संस्करण में लिये गये भिन्न 50 गीतों के अनुवाद भी संकलित हैं। दो स्वतंत्र गीत तथा डब्ल्यू॰ वी॰ येट्स लिखित भूमिका के अनुवाद भी अंत में दे दिये गये हैं।)
- गीतांजलि -1957 (देवनागरी लिप्यंतरण- विश्वभारती ग्रन्थालय, कोलकाता)
- गीतांजलि -1961 (मूल बाङ्ला गीतों की यति-गति एवं छंदों के अनुरूप पद्यानुवाद- हंसकुमार तिवारी, मानसरोवर प्रकाशन, गया से प्रकाशित; परवर्ती संस्करण सन्मार्ग प्रकाशन, दिल्ली से सन् 1974 एवं 2000 ई॰ में प्रकाशित।)
- गीतांजलि - 1986 (हिन्दी पद्यानुवाद- सत्यकाम विद्यालंकार एवं इंदु जैन; विश्वभारती, शांतिनिकेतन के तत्त्वावधान में हिन्द पॉकेट बुक्स प्रा॰ लिमिटेड, शाहदरा, दिल्ली द्वारा प्रकाशित।)
- गीतांजलि -2001 (हिन्दी छन्दबद्ध पद्यानुवाद- बैजनाथ प्रसाद शुक्ल 'भव्य')
- मूल गीतांजलि -2002 (देवनागरी लिप्यंतरण एवं हिन्दी गद्यानुवाद सहित; अनुवादिका- प्रतिभा मिश्र, कुसुम प्रकाशन, मुज़फ्फरनगर)
- गीतांजलि -2003 (हिन्दी पद्यानुवाद- पुष्पा गोयल; डायमंड पॉकेट बुक्स, नयी दिल्ली; इसमें कुल गीतों की संख्या 156 है।)
- गीतांजलि -2003 (हिन्दी पद्यानुवाद- डोमन साहु 'समीर', राधाकृष्ण प्रकाशन, नयी दिल्ली; इसमें केवल 138 गीत संकलित हैं एवं 19 गीत छोड़ दिये गये हैं।)
- गीतांजलि -2006 (हिन्दी पद्यानुवाद- रणजीत साहा; किताबघर प्रकाशन, नयी दिल्ली; सन् 2010 में इसका एक और विशिष्ट संस्करण प्रकाशित हुआ जिसमें मूल बांग्ला गीतों का देवनागरी लिप्यंतरण भी सम्मिलित है।)
- गीतांजलि (हिन्दी पद्यानुवाद, मैपल प्रेस प्राइवेट लिमिटेड, नोएडा, उत्तर प्रदेश)
- गीतांजलि -2018 (मूल बाङ्ला, देवनागरी लिप्यंतरण एवं हिन्दी पद्यानुवाद सहित; अनुवादक- संजयाचार्य; Sanjayacharya.com द्वारा प्रकाशित)
- गीतांजलि -2019 (हिन्दी अनुवाद; अनुवादक- देवेन्द्र कुमार देवेश, मुखर्जी पब्लिकेशन्स, कोलकाता द्वारा प्रकाशित)
अंग्रेजी क्रम (103 गीत)
- गीताञ्जलि -1914, द्वितीय संस्करण-1961 (देवनागरी लिप्यंतरण; इंडियन प्रेस (पब्लिकेशंस) प्राइवेट लिमिटेड, प्रयाग)
- हिन्दी गीताञ्जलि -1915 ('गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' का अंग्रेजी से हिन्दी गद्यानुवाद- महाशय काशीनाथ, प्रथम संस्करण 'प्रताप प्रेस, कानपुर' से गणेशशंकर विद्यार्थी द्वारा प्रकाशित; द्वितीय, तृतीय एवं चतुर्थ संस्करण 'प्रकाश पुस्तकालय, कानपुर' से क्रमशः सन् 1926, 1942 एवं 1946 में प्रकाशित।)
- हिन्दी गीताञ्जलि -1924 (मूल बाङ्ला से हिन्दी छन्दबद्ध पद्यानुवाद- गिरधर शर्मा नवरत्न)
- गीतांजलि -1942 (हिन्दी गद्यानुवाद- सूर्यनारायण चौबे; इंडियन प्रेस (पब्लिकेशंस) प्राइवेट लिमिटेड, प्रयाग)
- गीतांजलि -1954 (हिन्दी गद्यानुवाद- पृथ्वीनाथ शास्त्री, मूल बाङ्ला का देवनागरी लिप्यंतरण सहित, प्रथम संस्करण 'प्रभात प्रकाशन, मथुरा' से प्रकाशित; द्वितीय एवं तृतीय संस्करण 'प्रभात प्रकाशन, दिल्ली' से क्रमशः सन् 1956 एवं 1962 में प्रकाशित।)
- गीतांजलि -1961 (मूल बाङ्ला से हिन्दी छन्दबद्ध पद्यानुवाद- सुधीन्द्र, संपादक- हरिवल्लभ 'हरि' एवं अन्य, देवनागरी लिप्यंतरण सहित; श्रीभारतेन्दु समिति, कोटा, राजस्थान द्वारा प्रकाशित, द्वितीय संस्करण-1998)
- गीतांजलि -2002 ('गीतांजलि : सॉन्ग ऑफ़रिंग्स' का अंग्रेजी से हिन्दी गद्यानुवाद- रमा तिवारी; साहित्यागार, जयपुर से प्रकाशित।)
- गीताञ्जलि -2002 (देवनागरी लिप्यंतरण एवं हिन्दी पद्यानुवाद सहित, अनुवादक- प्रयाग शुक्ल; वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर; इसका पॉकेटबुक संस्करण भी सन् 2004 में प्रकाशित हुआ जिसमें केवल हिन्दी पद्यानुवाद दिया गया है और परिशिष्ट में 16 चयनित गीतों के देवनागरी लिप्यंतरण दिये गये हैं।)
- गीतांजलि -2013 (देवनागरी लिप्यंतरण, स्वयं कवि कृत अंग्रेजी गद्यानुवाद एवं शकुंतला मिश्र कृत हिन्दी पद्यानुवाद सहित; वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ रणजीत साहा, रवीन्द्र मनीषा, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2015, पृष्ठ-539.
- ↑ अ आ इ रणजीत साहा, रवीन्द्र मनीषा, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2015, पृष्ठ-540.
- ↑ रणजीत साहा, रवीन्द्र मनीषा, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2015, पृष्ठ-154.
- ↑ रणजीत साहा, रवीन्द्र मनीषा, साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली, प्रथम संस्करण-2015, पृष्ठ-543.