गीतरामायण
गीतरामायण रामायण के प्रसंगों पर आधारित ५६ मराठी गीतों का संग्रह है। यह आकाशवाणी पुणे से सन् १९५५-५६ में प्रसारित किया गया था। इसके लेखक प्रसिद्ध साहित्यकार गजानन दिगंबर माडगूलकर थे तथा इसे सुधीर फड़के ने संगीतबद्ध किया था। यह अत्यन्त प्रसिद्ध हुआ था और बाद में इसके पाँच हिन्दी अनुवाद एवं एक-एक बंगला, अंग्रेजी, गुजराती, कन्नड, कोंकणी, संस्कृत, सिन्धी तथा तेलुगू अनुवाद भी आए। यह ब्रेल लिपि में भी लिप्यन्तरित किया गया है।
संकल्पना
१९५९ में भारत में टेलीविजन की शुरूआत के चार साल पहले गीत रामायण की अवधारणा १९५५ में हुई थी।[1][2] अखिल भारतीय रेडियो के शुरुआती दिनों के दौरान, पुणे स्टेशन के निदेशक सीताकांत लाड एक रेडियो कार्यक्रम शुरू करना चाहते थे जो मनोरंजक होगा और नैतिक शिक्षा प्रदान करेगा। उन्होंने इसलिए कवि और लेखक गजानन दिगंबर माडगूलकर (जिन्हे "ग-डी-मा" के रूप में जाना जाता है) के लिए अपनी योजना को रेखांकित किया। चूंकि रामायण (वाल्मीकि द्वारा लिखी गई) एक भारतीय महाकाव्य है,[3] लाड और माडगूलकर ने उसे गीतोंमे पेश करने का विचार किया। माडगूलकरने अपने संगीत निर्देशक मित्र सुधीर फड़के (जिन्हे "बाबूजी" के नाम से भी जाना जाता है) के साथ यह चुनौती स्वीकार कर ली।[4]
माडगूलकर और फड़के ने हर सप्ताह एक सालतक एक नया गीत पेश करनेका सोचा। हर गाना पहले शुक्रवार की सुबह और फिर शनिवार और रविवार की सुबह, सुबह ८:४५ से ९:०० बजे के बीच प्रसारित होगा। कार्यक्रम की शुरुआत में एक वर्ष (५२ गीतों के साथ) आखिरी गीत "त्रिवार जयजयकार, रामा" कि योजना थी जहां राम राजा बन जाते हैं। लेकिन १९५५ के हिंदू कैलेंडर में अधिक मास था। इसलिए श्रृंखला को कुल ५६ तक बढ़ाने के लिए चार गाने जोड़े गए थे।[5] आखरी गीत "गा बाळांनो, श्रीरामायण" बना और राम के राज्याभिषेक के बाद कि कहानी भी जोडी गई। गीतों की संख्या के अलावा, फड़के को संगीत, गीत और गायक उनकी पसंद पर छोड़ दिए और माडगूलकर को कलात्मक स्वतंत्रता दी गई जिससे वो कहानी रेखा और उस माध्यम से संदेश व्यक्त कर सके।[6]
शुरूआत में, कार्यक्रम गुड़ी पड़वा के अवसर पर शुरू होने वाला था, लेकिन बाद में राम नवमी के दिन हुआ।[7] १ अप्रैल १९५५ की सुबह ८:४५ बजे इस कार्यक्रम का पहला गीत "कुश लव रामायण गाती" प्रसारित किया गया।[8] माडगुलकर की पत्नी विद्या माडगुलकर बतती है कि माडगुरकर ने पहला गीत लिख कर रिकॉर्डिंग के पहले दिन फड़के को दिया था; हालांकि, फड़के ने वह गीत खो दिया। प्रसारण के पहले ही अनुसूचित होने के साथ, स्टेशन निर्देशक सीताकांत लाड ने गीत को फिर से लिखने के लिए माडगुलकर से कहा जो की उन्होने गुस्से में मना कर दिया। लाड ने बाद में कवि को सभी आवश्यक लेखन सामग्री से सुसज्जित कमरों में बन्द करने का निर्णय लिया और कहा कि उन्हे तब रिहाइ मिलेगी जब वे गीत लिए तैयार हों। माडगुलकर ने पंद्रह मिनट में फिर से गीत को याद किया और लिखा ताकि फड़के संगीत का निर्माण कर सके।[5][9][10]
गीतों की सूची
क्र | गीत | गायक | राग | ताल | प्रसारित तारीख | पात्र | अवधि | सन्दर्भ |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
१ | "कुश लव रामायण गाती" | सुधीर फड़के | राग भूपाली | भजनी | 01 अप्रैल 1955 | वर्णनकर्ता | १०:११ | [11] |
२ | "सरयू तीरावरी अयोध्या" | • मन्दाकिनी पाण्डेय • प्रमोदिनी देसाई | मिश्र देशकर | भजनी | 08 अप्रैल 1955 | • कुश • लव | ९:४१ | [12] |
३ | "उगा कां काळिज माझें उले?" | ललिता फडके | मिश्र काफ़ी | केहरवा | 15 अप्रैल 1955 | कौशल्या | ९:१५ | [13] |
४ | "उदास कां तूं?" | बबन नवदीकर | देस | भजनी | 22 अप्रैल 1955 | दशरथ | ८:२३ | [14] |
५ | "दशरथा, घे हें पायसदान" | सुधीर फड़के | भीमपलासी | भजनी | 29 अप्रैल 1955 | अग्नि देव | ७:११ | [15] |
६ | "राम जन्मला ग सखी" | • सुमन माटे • जानकी अय्यर • कालिंदी केसकर | मांद | दादरा | 06 मई 1955 | समूह | १०:२२ | [16] |
७ | "सांवळा ग रामचंद्र" | ललीता फ़डके | पीलू | केहरवा | 13 मई 1955 | कौशल्या | ८:०६ | [17] |
८ | "ज्येष्ठ तुझा पुत्र मला देइ दशरथा" | राम फाटक | पूरिया धनाश्री | एकताल | 20 मई 1955 | विश्वामित्र | ७:३६ | [18] |
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Aklujkar 2004, पृ॰ 259.
- ↑ Rao 1992, पृ॰ 62–63.
- ↑ Prabhavananda 1979, पृ॰ 81,374.
- ↑ Aklujkar 2004, पृ॰ 260.
- ↑ अ आ Aklujkar 2004, पृ॰ 263.
- ↑ Aklujkar 2004, पृ॰ 261.
- ↑ Godbole 2009, पृ॰प॰ 10–11.
- ↑ Maharashtra Times 17 April 2005.
- ↑ Godbole 2009, पृ॰ 10-11.
- ↑ Madgulkar 2004, पृ॰ 21.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 19; Godbole 2009, p. 9.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 23; Godbole 2009, p. 12.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 27; Godbole 2009, p. 16.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 30; Godbole 2009, p. 20.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 33; Godbole 2009, p. 24.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 35; Godbole 2009, p. 28.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 38; Godbole 2009, p. 32.
- ↑ Madgulkar 2004, p. 41; Godbole 2009, p. 35.
सन्दर्भसूची और ग्रन्थसूची
- Mandpe, Asha (16 April 2011). "Geet Ramayan: A journey of musical ecstasy". Mumbai Mirror. Mumbai. अभिगमन तिथि 20 October 2012.[मृत कड़ियाँ]
- "ज्योतीने तेजाची आरती" [The worship of brilliance by flames]. Maharashtra Times (मराठी में). 17 April 2005. मूल से 26 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2012.
- Madgulkar, Sharadkumar (13 December 2009). "अखेरची कविता!" [The Last Poem!]. Maharashtra Times (मराठी में). अभिगमन तिथि 22 October 2012.[मृत कड़ियाँ]
- "जुळे सोलापुरात उद्या सायंकाळी 'मंतरलेल्या आठवणी गदिमांच्या'" [Mesmerizing memories of Ga-Di-Ma's in Solapur tomorrow evening]. Loksatta (मराठी में). 14 September 2012. अभिगमन तिथि 22 October 2012.
- "Geet Ramayan gathers dust at AIR". The Indian Express. Pune. 17 December 1999. मूल से 22 जनवरी 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 October 2012.
- Jathar Lakade, Aaditi (31 May 2011). "Marathi writer Madgulkar's Panchavati still a draw". The Indian Express. Pune. अभिगमन तिथि 21 October 2012.
- "Pawar plays down sharing of dais with Atal". Mumbai: Rediff.com. 19 April 2005. अभिगमन तिथि 21 October 2012.
- "अद्भुत स्वरमयी 'सकाळ गीतरामायण'" [Astonishing and musical 'Sakal Geet Ramayan']. Sakal (मराठी में). 1 एप्रिल 2012. मूल से 14 April 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 October 2012.
- "अमरावतीत रंगले "सकाळ गीतरामायण' (फोटो फिचर)" [Amravati experienced 'Sakal Geet Ramayan' (Photo feature)]. Sakal (मराठी में). Amravati. 1 एप्रिल 2012. मूल से 14 July 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 October 2012.
- "Sindhi literature". lisindia.net. मूल से 4 मई 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 October 2012.
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