गिरिराज किशोर (साहित्यकार)
पद्मश्री गिरिराज किशोर | |
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जन्म | 08 जुलाई, 1937 मुज़फ़्फ़रनगर जिला उत्तर प्रदेश |
मौत | 09 फरवरी, 2020 (आयु 83 वर्ष) कानपुर |
पेशा | लेखक,पूर्व नौकरशाह |
भाषा | हिन्दी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | आधुनिक |
उल्लेखनीय काम | पहला गिरमिटिया |
खिताब | व्यास सम्मान ,साहित्य अकादमी पुरस्कार , पद्मश्री |
गिरिराज किशोर (8 जुलाई 1937 - 9 फरवरी 2020) हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार होने के साथ-साथ एक सशक्त कथाकार, नाटककार और आलोचक थे। इनके सम-सामयिक विषयों पर विचारोत्तेजक निबंध विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से प्रकाशित होते रहे हैं। इनका उपन्यास ढाई घर अत्यन्त लोकप्रिय हुआ था। वर्ष 1991 में प्रकाशित इस कृति को 1992 में ही साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कर दिया गया था। गिरिराज किशोर द्वारा लिखा गया पहला गिरमिटिया नामक उपन्यास महात्मा गाँधी के अफ़्रीका प्रवास पर आधारित था, जिसने इन्हें विशेष पहचान दिलाई।
जीवन परिचय
गिरिराज किशोर का जन्म 8 जुलाई 1937 को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरर नगर में हुआ, इनके पिता ज़मींदार थे। गिरिराज जी ने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया और स्वतंत्र लेखन में लग गये थे।
उन्होंने 1960 में समाज विज्ञान संस्थान, आगरा से सोशल वर्क से पढ़ाई की। 1960 से 1964 तक वे उ.प्र. सरकार में सेवायोजन अधिकारी व प्रोबेशन अधिकारी रहे, 1964 से 1966 तक इलाहाबाद में रह कर स्वतन्त्र लेखन में लग गये।
जुलाई 1966 से 1975 तक कानपुर विश्वविद्यालय में सहायक और उपकुलसचिव के पद पर सेवारत रहें। दिसम्बर 1975 से 1983 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर के कुलसचिव रहें।
1983 से 1997 तक वहीं पर रचनात्मक लेखन केन्द्र के अध्यक्ष रहें। 1 जुलाई 1997 अवकाश ग्रहण किया। रचनात्मक लेखन केन्द्र उनके द्वारा ही स्थापित एक संस्था है।
9 फरवरी 2020 को उनका निधन हो गया।[1]
उपलब्धियाँ
- संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार की एमेरिट्स फैलोशिप - 1998-1999। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, राष्ट्रपति निवास शिमला में फैलो - मई 1999 -2001
- राष्ट्रपति द्वारा 23 मार्च 2007 में साहित्य और शिक्षा के लिए पद्मश्री से विभूषित
- 2002 में छञपति शाहूजी महाराज वि.वि कानपुर द्वारा डी.लिट. की मानद् उपाधि।
- साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की कार्यकारिणी के सदस्य
- हिन्दी सलाहकार समिति,
- रेलवे बोर्ड के सदस्य
प्रकाशित कृतियाँ
कहानी संग्रह
नीम के फूल, चार मोती बेआब, पेपरवेट, रिश्ता और अन्य कहानियां, शहर -दर -शहर, हम प्यार कर लें, जगत्तारनी एवं अन्य कहानियां, वल्द रोजी, यह देह किसकी है?, कहानियां पांच खण्डों में (प्रवीण प्रकाशन, महरौली),'मेरी राजनीतिक कहानियां' व हमारे मालिक सबके मालिक आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित
उपन्यास
लोग, चिडियाघर, दो, इंद्र सुनें, दावेदार, तीसरी सत्ता, यथा प्रस्तावित, परिशिष्ट, असलाह, अंर्तध्वंस, ढाई घर, यातनाघर, आठ लघु उपन्यास अष्टाचक्र के नाम से दो खण्डों में आत्मा राम एण्ड संस से प्रकाशित। पहला गिरमिटिया - गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीकी अनुभव पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास
नाटक
नरमेध, प्रजा ही रहने दो(1977), चेहरे - चेहरे किसके चेहरे(1983), केवल मेरा नाम लो(1984), जुर्म आयद(1987), काठ की तोप(2001),देहांत,गुलाम बादशाह ,जिल्ले शुभानी, पगलघर। बच्चों के लिए एक लघुनाटक ' मोहन का दु:ख'
लेख/निबन्ध
संवादसेतु, लिखने का तर्क, सरोकार, कथ-अकथ, समपर्णी, एक जनभाषा की त्रासदी, जन-जन सनसत्ता।
अन्य
दूरदर्शन, एन. डी. टी. वी., बी.बी.सी.लंदन, रोज ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन, डरबन तथा मॉरिशस रेडियो पर साक्षात्कार। दूरदर्शन द्वारा फिल्म, ओ. एच. एम. नीदरलैण्ड द्वारा डॉक्यूमेन्टरी तैयार।
सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान द्वारा चेहरे - चेहरे किसके चेहरे नाटक पर भारतेन्दु सम्मान
- परिशिष्ट उपन्यास पर म.प्र. साहित्य कला परिषद का बीर सिंह देवजू सम्मान
- ढाई घर उपन्यास पर साहित्य अकादमी पुरस्कार,
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का साहित्यभूषण
- भारतीय भाषा परिषद का शतदल सम्मान
- पहला गिरमिटिया उपन्यास पर के.के. बिरला फाउण्डेशन द्वारा व्यास सम्मान
- उ.प्र.हिंदी संस्थान का महात्मा गाँधी सम्मान
- उ.प्र.हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा हिंदी सेवा के लिए प्रो॰बासुदेव सिंह स्वर्ण पदक
- जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित सत्याग्रह शताब्दी विश्व सम्मेलन में सम्मानित।
- 2007 में भारत सरकार द्वारा भारत के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित किया गया।[2]
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- फिलहाल (गिरिराज किशोर का हिन्दी चिट्ठा)
- गिरिराज किशोर जी से बातचीत
- [1] (rajkamal prakashan)
सन्दर्भ
- ↑ पद्मश्री से सम्मानित लेखक, कथाकार, नाटककार और आलोचक गिरिराज किशोर का निधन
- ↑ "Padma Awards Directory (1954-2009)" (PDF). गृह मंत्रालय. मूल (PDF) से 10 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मार्च 2012.