गवरी बाई
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जन्म - डूंगरपुर (ब्राह्मण परिवार में)
उपनाम - वागड़ की मीरा
गवरी बाई का विवाह 6 वर्ष की उम्र में हरिभाई नामक युवक से हुआ किन्तु 7 दिनों बाद ही वह विधवा हो गई।
इन्होंने भगवान कृष्ण की मूर्ति को अपने पति के रूप में अपनाया ।
इन्होंने भक्ति में हृदय की शुद्धता पर बाल दिया।
प्रमुख ग्रन्थ - कीर्तनमाला
अंतिम समय - काशी (उत्तरप्रदेश)
मंदिर - बालमुकुंद मंदिर/गवरी बाई का मंदिर (डूंगरपुर)
निर्माण डूंगरपुर के शासक शिवनाथ सिंह ने करवाया।