गरज
गरज या गड़गड़ाहट मुख्य रूप से बिजली के चमकते समय होती है। यह आकाशीय बिजली से निकालने वाले ध्वनि को कहते हैं। यह दूरी और बिजली के प्रकार पर निर्भर करता है। इसकी दूरी मापने के लिए इसके चमक और आवाज होने के बीच की दूरी को गिना जाता है। यह अचानक बढ़े दाब और तापमान के कारण होता है। जब अचानक से वायु का प्रसार होता है तो यह आवाज निकलता है।[1]
वर्षा के समय हुए गरज के ध्वनि का एक छोटा उदाहरण। | |
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कारण
यह मुख्य रूप से बादलों में अचानक से तापमान में बदलाव के कारण होता है। यह जब दो अलग तरह के बादल आस-पास आ जाते हैं, जिसमें एक गर्म और दूसरा ठण्डा होता है। इससे अचानक से ऊर्जा बाहर निकलने लगती है और इसी के कारण चमक और गरज के साथ बिजली भी गिरती है।
यह बिलकुल उस तरह का है, जैसे एक गर्म बर्तन पर ठंडा पानी डालने जैसा। जिससे ऊर्जा निकलती है और आवाज भी आता है। लेकिन तापमान में अधिक बदलाव होने के कारण ऊर्जा बिजली का रूप ले लेती है। ऐसा मुख्य रूप से तब होता है, जब तापमान गर्म होता है और ऊपर की ओर सफ़ेद बादल हो जो सूर्य के प्रकाश में अधिक गर्म हो जाता है और जब दूसरे क्षेत्र से ठंडी हवा के साथ वर्षा वाले बादल भी आ जाते हैं। इससे अचानक तापमान में बदलाव आ जाता है। लेकिन जब यह शांत हो जाता है तो बिजली भी धीरे धीरे शांत हो जाती है। जहाँ केवल एक ही प्रकार के मौसम हो और दूसरे तापमान के बादल न आते हों तो वहाँ बिजली नहीं बन पाती और न ही कोई गरज या चमक होती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 जून 2015.