गढ़ मुक्तेश्वर
गढ़ मुक्तेश्वर Garhmukteshwar | |
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गढ़मुक्तेश्वर में बहती गंगा नदी | |
गढ़ मुक्तेश्वर उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 28°47′N 78°05′E / 28.79°N 78.09°Eनिर्देशांक: 28°47′N 78°05′E / 28.79°N 78.09°E | |
ज़िला | हापुड़ ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
नाम स्रोत | मुक्तेश्वर महादेव |
शासन | |
• प्रणाली | नगर पालिका परिषद |
• चेयरमैन | राकेश बजरंगी |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 46,077 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 245205 |
टेलीफोन कोड | 5731 |
वाहन पंजीकरण | यूपी 37 |
वेबसाइट | http://www.nppgarhmukteshwar.com |
गढ़ मुक्तेश्वर (Garhmukteshwar) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के हापुड़ ज़िले में स्थित एक नगर व इसी नाम की तहसील का मुख्यालय है। गंगा नदी के किनारे बसा यह शहर गढ़वाल राजाओं की राजधानी था, लेकिन बाद में इसपर पृथ्वीराज चौहान का अधिकार हो गया।[1][2]
विवरण
गढ़मुक्तेश्वर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से १०० किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 9 पर बसा है। गढ़मुक्तेश्वर मेरठ से 42 किलोमीटर दूर स्थित है और गंगा नदी के दाहिने किनारे पर बसा है। विकास की दृष्टि से गढ़मुक्तेश्वर सबसे विकशित तहसील मानी जाती है, किन्तु सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला गंगा स्नान पर्व उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला माना जाता है।
पौराणिक महत्त्व
भागवत पुराण व महाभारत के अनुसार यह कुरु की राजधानी हस्तिनापुर का भाग था। आज पर्यटकों को यहाँ की ऐतिहासिकता और आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्राकृतिक सुन्दरता भी खूब लुभाती है। मुक्तेश्वर शिव का एक मन्दिर[3] और प्राचीन शिवलिंग कारखण्डेश्वर यहीं पर स्थित है। काशी, प्रयाग, अयोध्या आदि तीर्थों की तरह 'गढ़ मुक्तेश्वर' भी पुराण उल्लिखित तीर्थ है। शिवपुराण के अनुसार 'गढ़ मुक्तेश्वर' का प्राचीन नाम 'शिव वल्लभ' (शिव का प्रिय) है, किन्तु यहाँ भगवान मुक्तीश्वर (शिव) के दर्शन करने से अभिशप्त शिवगणों की पिशाच योनि से मुक्ति हुई थी, इसलिए इस तीर्थ का नाम 'गढ़ मुक्तीश्वर' (गणों की मुक्ति करने वाले ईश्वर) विख्यात हो गया। पुराण में भी उल्लेख है- गणानां मुक्तिदानेन गणमुक्तीश्वर: स्मृत:।
व्यापार
यह गंगा के जल मार्ग से व्यापार का मुख्य केन्द्र था। उन दिनों यहाँ इमारती लकड़ी, बाँस आदि का व्यापार होता था, जिसका आयात दून और गढ़वाल से किया जाता था। इसके साथ ही यहाँ गुड़ - गल्ले की बड़ी मंडी थी। यहाँ का मूढा़ (मूढ़ा— बाँस के कमची और मूज के सुतली से बना बैठने का गोलनुमा मचिया होता है) उद्योग भी अति प्राचीन है। यहाँ के बने मूढे़ कई देशों में निर्यात किये जाते हैं।
आवागमन
सड़क मार्ग से
दिल्ली से यहाँ की दूरी लगभग 85 किलोमीटर है। उत्तर प्रदेश रोडवेज की नियमित बसें आनन्द विहार, बस अड्डा, दिल्ली से चलती हैं।
रेल मार्ग से
गढ़ मुक्तेश्वर भारतीय रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है; यहाँ का नजदिकी रेलवे स्टेशन गढ़ मुक्तेश्वर है। बृजघाट रेलवे स्टेशन यहाँ से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली से यहाँ के लिए अनेकों रेलगाड़ियाँ हैं।
पर्यटन
गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा किनारे स्थित देवी गंगा को समर्पित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, गंगा मंदिर, मीराबाई की रेती, गुदडी़ मेला, बृज घाट[4], झारखंडेश्वर महादेव, कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ गंगा स्नान पर्व भी होता है। गढ़मुक्तेश्वर से 3 किमी की दूरी पर इस्थित बृजघाट पर्यटन का मुख्य केंद्र है। वर्ष भर केवल बृजघाट में ही गंगा स्नान होता है। यहाँ के नवनिर्मित गंगा घाट, फव्वारा लेजर शो,घंटाघर, गंगा आरती,प्राचीन हनुमान मंदिर,वेदांत मंदिर,अमृत परिषर मंदिर आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।
शिक्षा
- गढ़ मुक्तेश्वर में शिक्षा का स्तर काफी अच्छा है। डी.एम पब्लिक स्कूल अंग्रेजी माध्यम में जाना माना स्कूल है|
- कमलावती मदनलाल सरस्वती विद्या मंदिर हिंदी माध्यम शिक्षा में सबसे बेहतर विद्यालय हैं।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975
- ↑ "Mysterious Garhmukteshwar Temple : गंगा किनारे स्थित इस रहस्यमयी प्राचीन गढ़मुक्तेश्वर मंदिर का जाने पौराणिक महत्व,क्या है मन्दिर की सीढ़ियों का रहस्य". Yugantar Pravah. अभिगमन तिथि 26 July 2023.
- ↑ "बड़ा हनुमान मंदिर | Bada Hanuman Mandir | Garh Mukteshwar Uttar Pradesh | About, Aarti, Timings, Photo, Video, How to Reach". BhaktiBharat.com. अभिगमन तिथि 2020-01-05.