गंगासागर मेला
गंगासागर मेला | |
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अवस्था | active |
शैली | मेला, धार्मिक मेला |
आवृत्ति | प्रति वर्ष |
स्थल | गंगा और बंगाल की खाड़ी के मिलन स्थल पर |
स्थान | गंगासागर, पश्चिम बंगाल |
निर्देशांक | 21°38′12″N 88°03′19″E / 21.6367562°N 88.0554125°Eनिर्देशांक: 21°38′12″N 88°03′19″E / 21.6367562°N 88.0554125°E |
देश | भारत |
पिछला | 2023 |
अगला | 2024 |
प्रतिभागी | तीर्थयात्री |
प्रायोजक | पश्चिम बंगाल सरकार[1] |
जालस्थल | gangasagar |
गंगासागर मेला गंगासागर में मकर संक्रान्ति के अवसर पर लगता है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख मेला है। यह मेला हुगली नदी के तट पर लगता है। यह वही जगह है जहां गंगा बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाती है। जहां गंगा और सागर का मिलन होता है, उस स्थान को 'गंगा सागर' कहा जाता है। गंगा सागर को महातीर्थ का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं "सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार"। गंगा सागर में लगने वाला मेला 8 जनवरी से शुरू होता है और 16 जनवरी तक चलता है।
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर गंगा सागर की तीर्थयात्रा और स्नान करने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में गंगासागर को मोक्ष धाम भी बताया गया है। मकर संक्रांति के मौके पर लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं और मोक्ष की कामना करते हुए सागर संगम में पुण्य स्नान करते हैं। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और स्नान, जप-तप, दान पुण्य के कार्य, तर्पण आदि करते हैं। गंगासागर में स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है और श्रद्धालु समुद्र को नारियल और पूजा से संबंधित चीजें भेंट करते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर स्नान करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
भारत के सभी तीर्थ स्थलों में गंगासागर को महातीर्थ माना जाता है। 'सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार' इस कहावत के पीछे मान्यता है कि जो पुण्य फल की प्राप्ति किसी श्रद्धालु को जप-तप, तीर्थ यात्रा, धार्मिक कार्य आदि करने पर मिलता है, वह उसे केवल एक बार गंगा सागर की तीर्थयात्रा करने और स्नान करने से मिल जाता है। पहले गंगा सागर जाना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता था क्योंकि आज की तरफ पहले इतनी सुविधाएं नही थीं। इसलिए बहुत कम लोग गंगा सागर पहुंच पाते थे। तभी कहा जाता था कि सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार। पहले यहां केवल जल मार्ग से ही पहुंचा जा सकता था लेकिन अब आधुनिक परिवहन से यहां पहुंच पाना बहुत सरल हो गया है।
मकर संक्रांति पर गंगा सागर में स्नान को लेकर पौराणिक महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता गंगा भगवान शिव की जटा से निकलकर पृथ्वी पर पहुंची थीं तब वह भागीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम में जाकर सागर में मिल गई थीं। मां गंगा के पावन जल से राजा सागर के साठ हजार शापग्रस्त पुत्रों का उद्धार हुआ था। इस घटना की याद में तीर्थ गंगा सागर का नाम प्रसिद्ध हुआ।
पौराणिक कथा के अनुसार, गंगासागर के समीप कपिल मुनि आश्रम बनाकर तपस्या करते थे। कपिल मुनि के भगवान विष्णु का अंश भी माना जाता है। कपिल मुनि के समय राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ किया और इंद्र देव ने एक अश्व को चुराकर कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। अश्वमेघ यज्ञ का अश्व चोरी हो जाने पर राजा ने अपने 60 हजार पुत्रों को उसकी खोज में लगा दिया। वे सभी खोजते-खोजते कपिल मुनि के आश्रम में जा पहुंचे और मुनि पर चोरी का आरोप लगाया। इससे क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के सभी 60 हजार पुत्रों को जलाकर भस्म कर दिया। राजा सगर ने मुनि से पुत्रों के लिए क्षमा मांगी। कपिल मुनि ने कहा कि सभी पुत्रों को मोक्ष के लिए अब बस एक ही मार्ग बचा है, तुम स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर लेकर आओ। राजा सगर के पोते राजकुमार अंशुमान ने प्रण लिया कि जब तक मां गंगा पृथ्वी पर नहीं आ जाती, तब तक इस वंश का कोई भी राजा चैन से नहीं बैठेगा। राजकुमार अंशुमान राजा बन गए और फिर उसके बाद राजा भागीरथ आए। राजा भागीरथ की तपस्या मां गंगा प्रसन्न हुईं और मकर संक्रांति के दिन पृथ्वी लोक पर आईं और कपिल मुनि के आश्रम पहुंचीं।
- महत्वपूर्ण अनुष्ठान
- गंगासागर के धार्मिक प्रमुख एवं महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में प्रातः गांगजी में स्नान ही है।
- सर्वप्रथम नागा साधुओं एवं हिमालय से आए संत-संन्यासी शाही स्नान लेते हैं।
- उसके उपरांत ही भक्तगण गंगासागर स्नान का आनंद लेते हैं।
- श्रद्धालु सूर्य देवकी आराधना एवं अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं।
- कपिल मुनि के मंदिर में यज्ञ के साथ महापूजा का आयोजित किया जाता है।
- संध्याकालीन समुद्र देव की आरती के साथ दीपदान का विशाल कार्यक्रम देखने को मिलता है।
कपिल मुनि का मंदिर
यहाँ कपिल मुनि का एक मंदिर भी है जहाँ स्नान के बाद, तीर्थयात्री अक्सर हिंदू पौराणिक कथाओं में पूजनीय ऋषि कपिल मुनि के मंदिर में जाते हैं । यह मंदिर मेले में आध्यात्मिक महत्व की एक और परत जोड़ता है, जो चिंतन और श्रद्धा के लिए एक स्थान प्रदान करता है।[2]
प्रसाशन के तरफ से मेले की व्यवस्था
2024
- 60 लाख पानी के पाउच
- सड़कों पर फॉगलाइट
- खाद्य सुरक्षा अधिकारी मौजूद
- 2,250 सरकारी बसें, 250 निजी बसें, 6 बर्ज, 32 जहाज, 100 लॉन्च, 21 जेटी का उपयोग
- मालवाहक जहाजों के लिए विशेष उपाय
- सात अस्पताल, 300 बेड, एयरलिफ्ट की रहेगी व्यवस्था
- 100 से अधिक एम्बुलेंस सेवाएं
- अस्थाई फायर स्टेशन में 50 से ज्यादा दमकल गाड़ियों की व्यवस्था
- मेले में 10,000 से अधिक शौचालयों की व्यवस्था
- 142 एनजीओ के 6 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल
- 1,150 सीसीटीवी और 23 ड्रोन से निगरानी [3]
सात अस्पताल, 300 बेड, एयरलिफ्ट की रहेगी व्यवस्था
किसी भी तरह की अनहोनी से निपटने के लिए सरकार ने पूरी व्यवस्था की है। तीर्थयात्रियों के लिए 7 बड़े अस्पतालों की व्यवस्था की जा रही है। अस्पताल में 300 बेड होंगे। प्राथमिक उपचार के लिए 28 स्थानों पर डॉक्टरों के साथ 12 प्वाइंट पर मेडिकल टीमें रहेंगी। पीजी, एनआरएस और नेशनल मेडिकल कॉलेज में दुर्घटना की स्थिति में विशेष व्यवस्था होगी। तीर्थयात्रियों के लिए 100 से अधिक एम्बुलेंस सेवाएं होंगी। एक एयर एम्बुलेंस 24 घंटे तैनात रहेगी। किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए 2,400 नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवक वहां मौजूद रहेंगे। स्वयंसेवकों के निरीक्षण के लिए 50 बाइकों की भी व्यवस्था की गई है। अस्थाई फायर स्टेशन में 50 से ज्यादा दमकल गाड़ियों की व्यवस्था रहेगी। मेले में 10,000 से अधिक शौचालयों की व्यवस्था की जा रही है। कचरा साफ करने और समुद्र तट को साफ रखने के लिए 3 हजार स्वयंसेवक हैं। इसमें 142 एनजीओ के 6 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि इसरो उपग्रह ट्रैकिंग और जीपीएस ट्रैकिंग प्रदान कर रहा है। पुलिस 1,150 सीसीटीवी और 23 ड्रोन से निगरानी करेगी। सभी सरकारी और निजी कर्मियों, तीर्थयात्रियों और मेलों से जुड़े मीडिया कर्मियों के लिए 5 लाख रुपये का बीमा कवरेज है। पिछले साल घने कोहरे के कारण जहाज़ों की आवाजाही में थोड़ी दिक्कत हुई थी। इस साल जहाजों में एंटीफॉग लाइट और नेविगेशन साउंड सिस्टम लगाया गया है।
जिलाधिकारी ने विस्तार से बताया कि डायवर्जन साउंड सिस्टम कैसे काम करेगा। उन्होंने कहा कि जिन जलमार्गों पर जहाजों का आवागमन होता है, वहां विभिन्न छोटी नावों में यह ध्वनि प्रणाली और विशेष प्रकाश व्यवस्था होगी। इसके जरिए जहाज चालक घने कोहरे में भी सही दिशा निर्धारित कर सकते हैं। गंगासागर मेला परिसर में मेगा कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। उस कंट्रोल रूम से पूरे मेले पर नजर रखी जाएगी। गंगासागर मेले के चारों ओर सुरक्षा क्षेत्र बनाया गया है।
इन्हें भी देखें
- ↑ "Centre doesn't spend a single penny on Gangasagar Mela, claims Mamata Banerjee". www.hindustantimes.com (अंग्रेज़ी में). मूल से 30 March 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 March 2023.
- ↑ "गंगा सागर मेला 2024: भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला".
- ↑ "गंगा सागर मेला 2024: सफर हुआ आसान, आधी रात से पुण्य लग्न, कोविड को लेकर प्रशासन अलर्ट".