खेवड़ा नमक खान
खेवड़ा नमक खान (उर्दू: کھیوڑہ نمک کی کان, खेवड़ा नमक की कान; अंग्रेज़ी: Khewra Salt Mines) पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त के झेलम ज़िले में राष्ट्रीय राजधानी इस्लामाबाद से १६० किमी दूर स्थित नमक की एक प्रसिद्ध खान है जहाँ से सदियों से सेंधा नमक खोदकर निकाला जा रहा है। यह नमक कोह (नमक पर्वतों) की निचली पहाड़ियों में स्थित हैं और भारतीय उपमहाद्वीप में नमक की सबसे पुरानी लगातार उत्पादन करती आ रही नमक की खानों में से हैं। इसमें सेंधे नमक का बहुत ही बड़ा भण्डार है जिसकी तादाद २२ करोड़ टन अनुमानित की गई है। हर साल इसमें से ४.६५ लाख टन निकाला जाता है और इस दर पर यह खान अभी और ५०० वर्षों तक नमक दे सकती है। यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी नमक की खान मानी जाती है।[1]
इस खान में पहाड़ के अन्दर सुरंगे कर के और नीचे की तरफ़ खोदकर नमक निकाला जाता है। नमक निकालते हुए ध्यान रखा जाता है कि केवल ५०% निकाला जाए और ५०% छोड़ दिया जाए जो खान के अन्दर पत्थरीली दीवारों और स्तंभों के रूप में खान के ढाँचे को सहारा दिए हुए है। खोदते हुए यहाँ बहुत से कमरे बन चुके हैं। अगर इसे एक इमारत के रूप में देखा जाए तो कुल मिलकर १९ मंजिलें हैं, जिनमें से ११ मंजिलें ज़मीन के नीचे बन चुकी हैं। सुरंगें पहाड़ के अन्दर ७३० मीटर (२,४०० फ़ुट) पहुँच चुकी हैं और अगर सभी सुरंगों की लम्बाई मिलाई जाए तो ४० किलोमीटर तक का रास्ता खोदा जा चुका है। यहाँ से निकलने वाले नमक का रंग सफ़ेद, गुलाबी और लाल है और कहीं-कहीं पर लाल और सफ़ेद रंगों की सुन्दर धारियाँ नज़र आती हैं।
सेंधा नमक
ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।[2][3]
खेवड़ा खान का इतिहास
खेवड़ा के सम्बन्ध में एक लोक-मान्यता है कि जब सिकंदर महान ने हिंदुस्तान पर धावा बोला तो खेवड़ा के इलाक़े में उसकी फ़ौजें आई। वहाँ देखा गया कि उनके घोड़े पत्थरों को चाट रहे थे। ग़ौर से देखने पर मालूम हुआ कि उनमें बहुत नमक था और पूरे पहाड़ों में नमक था। तभी से यहाँ से नमक निकाला जा रहा है।[4] मुग़ल ज़माने में उत्तर भारत में बहुत सा नमक राजस्थान की सांभर झील से आता था लेकिन उस से कहीं ज़्यादा खेवड़ा से निकलकर हिन्दुस्तान-भर में बेचा जाता था। कुछ हस्तशिल्पी इस पत्थरीले नमक की तश्तरियाँ और दीपक बना के बेचा करते थे।[5]
पर्यटकों के लिए
खेवड़े की नमक खान सैलानियों के लिए अब एक आकर्षण-केंद्र बन गई है। यहाँ सेंधे नमक से किया गया तरह-तरह का निर्माण उनके लिए दिलचस्प होता है, जिनमें यह शामिल हैं:[1]
- ३५० फ़ुट ऊँचा सभा-कक्ष जिसमें ३०० नमक की सीढ़ियाँ हैं
- ३,००० वर्ग फ़ुट की मसजिद जिसे बनाने में ५० साल लगे
- खान के अन्दर (ज़मीन के नीचे) एक खारे पानी के तालाब के ऊपर बना २५ फ़ुट लम्बा एक नमक का पुल
- चीन की विशाल दीवार का एक बौना नमूना
- लाहौर की मीनार-ए-पाकिस्तान का एक बौना नमूना
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ Salted: A Manifesto on the World's Most Essential Mineral, with Recipes, Mark Bitterman, Random House Digital, Inc., 2010, ISBN 978-1-58008-262-4, ... The Khewra salt mine, located at the foothills of the Salt Range about 100 miles south of Islamabad, is said to be the second largest salt mine in the world because of its extensive reserves - an estimated 220 million tonnes ...
- ↑ The Commercial Products of India: Being an Abridgement of 'The Dictionary of the Economic Products of India', Sir George Watt, J. Murray, 1908, ... Saindhava, the rock-salt of Sind and Kohat ...
- ↑ A Dictionary of Urdu, Classical Hindi and English Archived 2014-09-21 at the वेबैक मशीन, John T. Platts, Kessinger Publishing, 2004, ISBN 978-0-7661-9231-7, ... سیندھا सेंधा sendha ... White rock-salt (found in the country near the Indus) ... (syn. lahauri namak) ...
- ↑ Pakistan & Gulf economist, Volume 14, Issues 14-26, Economist Publications, 1995, ... Khewra salt mine was accidentally discovered by the horses of Alexander's army which showed a uncommon interest in the stones ...
- ↑ The empire of the great Mughals: history, art and culture Archived 2013-05-28 at the वेबैक मशीन, Annemarie Schimmel, Burzine K. Waghmar, Reaktion Books, 2004, ISBN 978-1-86189-185-3, ... One of the most valuable products was salt, one source of which was Lake Sambhar, near Ajmer. However, the salt mines in Khewra, in the Salt Range between the Jhelum and the Indus, were a far richer source, and salt is still extracted there to this day. In the Mughals' time 'many skilful artists fashioned trays, plates and lamps' from Khewra salt ...