खेल (1992 फ़िल्म)
खेल | |
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खेल का पोस्टर | |
निर्देशक | राकेश रोशन |
लेखक | जावेद अख्तर |
पटकथा | जावेद अख्तर |
निर्माता | किरन सिंह आर. ए. सिंह |
अभिनेता | अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, अनुपम खेर, माला सिन्हा, सोनू वालिया |
संगीतकार | राजेश रोशन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
खेल 1992 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। यह हास्य प्रेमकहानी फ़िल्म का निर्देशन राकेश रोशन ने किया है और कहानी के लेखक जावेद अख्तर है। अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, सोनू वालिया, अनुपम खेर और माला सिन्हा मुख्य भुमिकाओं में हैं। खेल लगभग दर्जन फिल्मों में से एक है, जिसमें अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित ने एक साथ काम किया है।
संक्षेप
विधवा और बुजुर्ग उद्योगपति, सुलक्षणा देवी (माला सिन्हा) अपने व्यापार और संपत्ति को भतीजे बलवंत (प्रेम चोपड़ा) द्वारा देखभाल करने की अनुमति दे देती हैं। विदेश से लौटने के कुछ ही समय बाद, उनके एकमात्र बेटे, रवि (विजयेन्द्र घटगे) को बलवंत द्वारा योजनाबद्ध कार दुर्घटना में मार दिया जाता है। रवि की मौत की खबर सुलक्षणा को सदमे की स्थिति में पहुँचा देती है। जिसके बाद वह केवल कामिनी नाम की एक गर्भवती महिला से मिलने के उपरांत ठीक होती है। कामिनी का दावा है कि वह रवि के बच्चे की माँ बनने वाली है। सुलक्षणा उसका विश्वास नहीं करती और कामिनी को जाने को कहती है। कामिनी के जाने के बाद रवि के दोस्त में से एक संजय गुप्ता (विवेक बासवानी) ने इस तथ्य की पुष्टि की कि रवि और कामिनी का रिश्ता था।
सुलक्षणा अपने आदमियों को कामिनी को खोजने के लिये भेज देती है। लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता है। कई सालों बाद सुलक्षणा से सीमा (माधुरी दीक्षित) नाम की एक युवा महिला मिलने आती है। वह दावा कर रही है कि वह रवि की संतान है। लेकिन सुलक्षणा को पता नहीं है कि वह जल्द ही सीमा के अंकल से मिलेंगी। वह दोनों उनकी संपत्ति को हड़पने की योजना बना रहे हैं। दूसरी तरफ उनका नया सहायक, अरुण कुमार (अनिल कपूर) दूसरा जालसाज़ है। लेकिन वह वास्तव में उनका असली पोता है। दुर्भाग्यवश बलवंत ने उन सभी को हमला कर के मारने की योजना बनाई है ताकि वह अंततः परिवार की सभी संपत्तियों का वारिस बन सके।
मुख्य कलाकार
- माला सिन्हा — सुलक्षणा
- अनिल कपूर — अरुण
- माधुरी दीक्षित — सीमा
- प्रेम चोपड़ा — बलवंत
- अनुपम खेर — सीमा के अंकल
- विजयेन्द्र घटगे — रवि
- आलोक नाथ — आनंद
- सोनू वालिया — तारा जयसिंह
- विवेक बासवानी — संजय गुप्ता
- दिनेश हिंगू — हँसमुख
- सतीश कौल — विनोद मिश्रा
- भरत कपूर — विनोद का बड़ा भाई
- सत्येन्द्र कपूर — सिन्हा
- सुजीत कुमार — प्रधानाध्यापक
- मैक मोहन — पुलिस इंस्पेक्टर
- आलोक नाथ — आनन्द
- युनुस परवेज़ — मनगरम
संगीत
सभी गीत जावेद अख्तर द्वारा लिखित; सारा संगीत राजेश रोशन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "एक बात मान लो तुम" | आशा भोंसले | 2:00 |
2. | "इडली डू इडली डू" | आशा भोंसले | 6:34 |
3. | "सूने शाम सवेरे तब से" | अमित कुमार | 5:05 |
4. | "ज़िन्दगी के खेल में" | अलका याज्ञनिक, कुमार सानु | 4:28 |
5. | "खत लिखना है पर सोचती हूँ" | लता मंगेशकर, मोहम्मद अज़ीज़ | 5:47 |
6. | "ना है जमीन ना आसमान" | अमित कुमार, साधना सरगम | 7:21 |
नामांकन और पुरस्कार
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1993 | अनुपम खेर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | जीत |