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खुर्जा

खुर्जा
Khurja
خورجہ
खुर्जा is located in उत्तर प्रदेश
खुर्जा
खुर्जा
उत्तर प्रदेश में स्थिति
सूचना
प्रांतदेश:बुलन्दशहर ज़िला
उत्तर प्रदेश
 भारत
जनसंख्या (2011):1,42,636
मुख्य भाषा(एँ):हिन्दी
निर्देशांक:28°15′8.0″N 77°51′6.41″E / 28.252222°N 77.8517806°E / 28.252222; 77.8517806
खुर्जा अपने चीनी के बर्तनों के लिए जाना जाता है
खुर्जा रेलवे स्टेशन

खुर्जा (Khurja) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बुलन्दशहर ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

विवरण

खुर्जा उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में बुलंदशहर जिले में दिल्ली से ४५ मील दक्षिण-पूर्व स्थित प्रसिद्ध नगर। यहाँ के सड़कें चारों ओर जाती हैं। यहां से सीधे दिल्ली, मेरठ, हरिद्वार, अलीगढ, खैर, आगरा, कानपुर आदि के लिए जा सकते हैं। गेहूँ, तेलहन, जौ, ज्वार, कपास और गन्ना का व्यापार होता हैं। यह नगर घी के लिये प्रसिद्ध है। खुरजा में एक विशाल जैन मंदिर है। यहाँ मिट्टी के कलात्मक बर्तन बनते हैं। देख विदेश के हर कोने में बोन चाइना से बने बर्तन खुरजा की ही देन है। विश्व के दस बडे पॉटरी क्लस्टरों में शामिल है यह शहर। रेलमार्ग के द्वारा सीधे दिल्ली और कलक्‍त्ता से जुड़ा है। साथ ही एक रेलवे लाइन मेरठ के लिए भी जाती है।

ऐतिहासिक स्‍थल

एशिया का बड़ा नव दुर्गा शक्ति मन्दिर खुर्जा में ही है। इसमें माँ के सभी नौ रुपों को एक ही स्वरूप मे दिखाया गया है। यहां साल में दो बार मेला लगता है। प्रतिवर्ष लाखों भक्त मां के दर्शन के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से आते हैं। इसके अलावा सिद्धेश्वर महादेव और भूडा महादेव मंदिर का भी अपना अलग महत्व है।

शिक्षा

देश-विदेश में चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए विख्यात पॉटरी नगरी को पहले संस्कृत के शिक्षा के बड़े केन्द्र के कारण मिनी काशी कहा जाता था। दूर-दूर के विद्यार्थी यहां अध्ययन के लिए आते थे। लेकिन अब वह बात नहीं है। सरकार की अनदेखी के कारण देववाणी के यह केन्द्र अब सिर्फ औपचारिकताओं का निर्वहन कर रहे हैं। आचार्य और शास्त्री पैदा करने वाले एक महाविद्यालय में तो सिर्फ एक ही अध्यापक है। उसको भी चार माह से वेतन नहीं मिला है।

नगर में जंक्शन रोड स्थित श्री लक्ष्मण दास यजुर्वेद आयुर्वेद संस्कृत महाविद्यालय, श्री राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय, श्री मनीषी संस्कृत विद्यालय, श्री गंगासागर ट्रस्ट संस्कृत महाविद्यालय और एनआर संस्कृत विद्यालयों में अन्य प्रदेशों के छात्र भी अध्ययन करके संस्कृत के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। यहां के संस्कृत विद्यालयों में छात्रों को षष्ठी से आचार्य तक की शिक्षा दी जाती रही है।

साठ के दशक तक तो सब कुछ ठीक ठाक रहा। इसके बाद सरकार की अनदेखी से यहां के संस्कृत विद्यालय गुमनामी के अंधेरे में चले गए। वर्ष 89 में प्रदेश सरकार ने इन विद्यालयों में नियुक्तियों पर पाबंदी लगा दी। तब से इन विद्यालयों की स्थिति खराब हो गई है। वर्ष 1929 से प्रारंभ श्री राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय में अब सिर्फ एक ही अध्यापक बचा है। वही आचार्य और वही प्राचार्य हैं। यहा पर एक लिपिक और एक चपरासी है। चपरासी ही माली और चौकीदारी का काम करता है। इन्हें सरकार से सुविधाओं के नाम पर सिर्फ वेतन ही मिलता है। यह वेतन भी माह अगस्त के बाद नहीं मिला है। इससे इनके परिवार के भरण-पोषण की समस्या आ गई है।

महाविद्यालय में साहित्य, व्याकरण, न्याय, दर्शन, ज्योतिष और वेदांत की दीक्षा दी जाती थी। इसी कारण यहां के वेदवाणी के केन्द्रों की मान्यता थी। अन्य प्रदेशों के छात्र भी इन गुरुकुलों में अध्ययन के लिए आते थे।

इसके अलावा खुरजा में अब दो दर्जन से अधिक इंटरमीडिएट स्कूल हैं। यहां विद्याभारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर, आदर्श शिशु मंदिर और रमामूर्ति बालिका विद्या मं‌दिर हैं। लायल पब्लिक स्‍कूल, एल्पाइन पब्लिक स्‍कूल, महाराजा अग्रसेन पब्लिक स्‍कूल, शिवम पब्लिक स्‍कूल, ब्रहमानंद पब्लिक स्‍कूल, जैनिथ पब्लिक स्‍कूल बारहवीं तक की शिक्षा के लिए नामचीन स्कूल हैं।

जेएएस इंटर कालेज, एसएमजेईसी इंटर कालेज और एकेपी इंटर कालेज सरकार द्वारा संचालित हैं।

उच्च शिक्षा के लिए यहां चौधरी चरण सिंह विश्व विद्यालय से संबंधित एनआरईसी डिग्री कालेज है जो क्षेत्र का सबसे बड़ा डिग्री कालेज है।

इंजीनियरिंग की पढाई के लिए उत्तर प्रदेश का माना हुआ सेठ गंगा सागर पालीटेक्निक कालेज यहां है।

मराठवाडा इंजीनयिरिंग कालेज में छात्र इंजीनियरिंग की पढाई करते हैं।

मेडिकल की पढाई के लिए वैद्य यज्ञदत्त शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975