खाज्या भील
खाज्या भील जी का जन्म निमाड़ क्षेत्र के गुमान जी भील के घर हुआ जो की सेंधवा घाट के वार्डन थे और उन्हें नाइक की उपाधि प्राप्त थी [1]। खाज्या भील भी सुरूवात में इंदौर की भील पलटन में सिपाही के तौर पर नोकरी करते थे लेकिन उन्हें अंग्रेजो की गुलामी पसंद नहीं आई और उन्होंने विद्रोह का रास्ता चुना। सेंधवा में स्थित भंवरगढ़ किला खाज्या भील का गढ़ रहा ।
1857 की क्रांति के दौरान खाज्या भील ने भीमा नाइक के साथ मिलकर अंग्रेज़ो के खिलाफ विद्रोह कर दिया , अक्टुबर 1860 में इन्हे धोखे से मार दिया गया । मध्यप्रदेश सरकार 11 नवंबर को खाज्या भील दिवस मनाते है।[2][3][4][5][6]
संदर्भ
- ↑ शुक्ल, हीरालाल (2007). आदिवासी बस्तर का बृहद् इतिहास: Samakālīna Bastara: 1947 Ī. बी. आर. पब्लिशिंग कॉरपोरेशन.
- ↑ Jha, Anjani Kumar. Madhya Bharat ke Adivasi aur Swatantrata Andolan (अंग्रेज़ी में). Publications Division Ministry of Information & Broadcasting. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5409-312-8.
- ↑ Soni, Lok Nath (1993). Bhil Sub-groups in Caste Milieu (अंग्रेज़ी में). Anthropological Survey of India, Ministry of Human Resource Development. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-85579-16-0.
- ↑ Team, YCT Expert. 2023-24 MPPCS General Studies & CSAT (अंग्रेज़ी में). Youth Competition Times.
- ↑ Rao, V. Srinivasa (2018-09-03). Adivasi Rights and Exclusion in India (अंग्रेज़ी में). Taylor & Francis. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-429-79287-8.
- ↑ Allen's Indian mail and register of intelligence for British and foreign India: 1860,7/12 (अंग्रेज़ी में). 1860.