ख़ीवा ख़ानत
ख़ीवा ख़ानत خیوه خانلیگی | |||||
स्वतंत्र राज्य (१८७३-१९१७ में रूसी साम्राज्य के अधीन संरक्षित) | |||||
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ध्वज | |||||
१६०० ई में ख़ीवा ख़ानत (हरे रंग में) | |||||
राजधानी | ख़ीवा | ||||
भाषाएँ | उज़बेक व फ़ारसी[1] | ||||
धार्मिक समूह | इस्लाम | ||||
शासन | पूर्ण राजशाही | ||||
ख़ान | |||||
- | १५११–१५१८ | इल्बर्स प्रथम | |||
- | १९१८-१९२० | सैय्यद अब्दुल्लाह | |||
इतिहास | |||||
- | स्थापित | १५११ | |||
- | कोंगिरद राजवंश स्थापित | १८०४ | |||
- | रूसी साम्राज्य द्वारा क़ब्ज़ा | १२ अगस्त १८७३ | |||
- | अंत | २ फ़रवरी १९२० | |||
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ख़ीवा ख़ानत (उज़बेक: خیوه خانلیگی, ख़ीवा ख़ानलीगी; अंग्रेज़ी: Khanate of Khiva) मध्य एशिया के ख़्वारेज़्म क्षेत्र में स्थित १५११ से १९२० तक चलने वाली एक उज़बेक ख़ानत थी। इसके ख़ान (शासक) मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ ख़ान के ज्येष्ठ पुत्र जोची ख़ान के पाँचवे बेटे शेयबान के वंशज थे और उनके राज में केवल १७४०-१७४६ काल में खलल पड़ा जब ईरान के तुर्क-मूल के अफ़शारी राजवंश के नादिर शाह ने आकर यहाँ ६ वर्षों के अन्तराल के लिए क़ब्ज़ा कर लिया।
विवरण
ख़ीवा ख़ानत आमू दरिया के निचले हिस्से में और अरल सागर के दक्षिण में केन्द्रित थी। इसकी राजधानी ख़ीवा शहर था। १९वीं सदी में रूसी साम्राज्य के यहाँ फैल जाने से पहले आधुनिक पश्चिमी उज़बेकिस्तान, दक्षिणपश्चिमी काज़ाख़स्तान और तुर्कमेनिस्तान का अधिकतर भाग इस ख़ानत में शामिल था। १८७३ में इसका अधिकतर हिस्सा रूस ने ले लिया और बचीकुची सिकुड़ी-हुई ख़ानत भी रूस के अधीनता मानने पर विवश हो गई। जब १९१७ में रूसे में अक्टूबर समाजवादी क्रांति हुई तो यहाँ भी क्रान्ति हो गई और १९२० में ख़ानत की जगह 'ख़ोरेज़्म जनवादी सोवियत गणतंत्र' घोषित कर दिया गया। १९२४ में इसे औपचारिक रूप से सोवियत संघ का भाग बना दिया गया। वर्तमान में इसका अधिकाँश क्षेत्र उज़बेकिस्तान के क़ाराक़ालपाक़स्तान और ख़ोरज़्म प्रान्त में सम्मिलित है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Nancy Rosenberger (2011), Seeking Food Rights: Nation, Inequality and Repression in Uzbekistan, p.27