क्रौंचद्वीप
भूगोल शास्त्रियों ने उल्लेख किया .
उन्होंने सिद्ध किया कि पृथ्वी गैसीय पदार्थों एवं धरती की आंतरिक सतह कठोर चट्टानों द्वारा निर्मित है जैसे कि चिकनी मिट्टी रेत इत्यादि.
भूकंप के कारणों के सिद्धांत भी प्रतिपादित किए गए उस काल में ऐसा समझा जाता था कि वायु तथा जल के मिश्रण संयोजन भूकंप का भूकंप का कारण होता है होता है.
अर्थशास्त्र जो कि कौटिल्य द्वारा रचित एक संग्रह है मैं व्याख्या की गई है कि भौगोलिक, ।
पृथ्वी के द्वीप
यह पृथ्वी सात द्वीपों में बंटी हुई है। वे द्वीप एस प्रकार से हैं:-
ये सातों द्वीप चारों ओर से क्रमशः खारे पानी, इक्षुरस, मदिरा, घृत, दधि, दुग्ध और मीठे जल के सात समुद्रों से घिरे हैं। ये सभी द्वीप एक के बाद एक दूसरे को घेरे हुए बने हैं और इन्हें घेरे हुए सातों समुद्र हैं। जम्बुद्वीप इन सब के मध्य में स्थित है।
क्रौंच द्वीप का वर्णन
इस द्वीप के स्वामि वीरवर द्युतिमान थे। इनके सात पुत्रों : कुशल, मन्दग, उष्ण, पीवर, अन्धकारक, मुनि और दुन्दुभि के नाम संज्ञानुसार ही इसके सात भागों के नाम हैं। घी का सागर अपने से दूने विस्तार वाले क्रौंच द्वीप से चारों ओर से घिरा हुआ है। यहां भी सात पर्वत, सात मुख्य नदियां और सात ही वर्ष हैं।
पर्वत
क्रौंच, वामन, अन्धकारक, घोड़ी के मुख समान रत्नमय स्वाहिनी पर्वत, दिवावृत, पुण्डरीकवान, महापर्वत दुन्दुभि नामक सात पर्वत हैं।
नदियां
गौरी, कुमुद्वती, सन्ध्या, रात्रि, मनिजवा, क्षांति और पुण्डरीका नामक सात नदियां हैं।
सात वर्ष
कुशल, मन्दग, उष्ण, पीवर, अन्धकारक, मुनि और दुन्दुभि। यहां पुष्कर, पुष्कल, धन्य और तिष्य नामक चार वर्ण हैं। यह द्वीप अपने ही बराबर के दधिमण्ड (मठ्ठे) से भरे समुद्र से चारों ओर से घिरा हुआ है। यह सागर अपने से दुगुने विस्तार वाले शाक द्वीप से घिरा है।