क्रिस्टलन जल
क्रिस्टल के अन्दर विद्यमान जल को क्रिस्टलन जल (water of crystallization या water of hydration या crystallization water) कहते हैं। क्रिस्टल बनने के लिये जल प्रायः आवश्यक होता है। [1]
कुछ सन्दर्भों में, किसी दिये हुए ताप पर, किसी पदार्थ में उपस्थित जल की कुल मात्रा को क्रिस्टलन जल कहते हैं। जल की यह मात्रा एक निश्चित अनुपात में होती है।
- उदाहरण
- CuSO4·5H2O - कॉपर सल्फेट (II) (पंचजलीय)
- CoCl2·6H2O - कोबाल्ट क्लोराइड (II) (षटजलीय)
- SnCl2·2H2O - टिन क्लोराइड (II) (द्विजलीय)
- जलीय कॉपर सल्फेट(II) चमकीला नीला होता है।
- अजलीय कॉपर सल्फेट(II) सफेद होता है।