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क्रमविकासीय जीवविज्ञान

क्रम-विकासीय जीवविज्ञान जीव विज्ञान का उपक्षेत्र है जो विकासवादी प्रक्रियाओं (प्राकृतिक चयन, सामान्य वंश, अटकल) का अध्ययन करता है जिसने पृथ्वी पर जीवन की विविधता का उत्पादन किया। 1930 के दशक में, जूलियन हक्सले ने जैविक अनुसंधान के पहले असंबंधित क्षेत्रों जैसे कि आनुवांशिकी और पारिस्थितिकी, सिस्टमैटिक्स और पैलियंटोलॉजी से समझ के आधुनिक संश्लेषण को क्या कहा, क्रम-विकासवादी जीव विज्ञान का अनुशासन उभरा।

उत्पत्ति या विकास (Evolution) उस विज्ञान को कहते हैं जिससे ज्ञात होता है किसी प्रकार का एक जाति बदलते बदलते एक दूसरी जाति को जन्म देती है। पुरातन काल में मनुष्य सोचता था कि ईश्वर ने सभी प्रकार के जीवों का सृजन एक साथ ही कर दिया है। ऐसे विचार धीरे धीरे बदलते गए। आजकल के वैज्ञानिकों का मत है कि प्रकृति में नाना विधियों से जीन प्रणाली एकाएक बदल सकती है। इसे उत्परिवर्तन (mutation) कहते हैं। ऐसे अनेक उत्परिवर्तन होते रहते हैं, पर जो जननक्रिया में खरे उतरें और वातावरण में जम सकें, वे रह जाते हैं। इस प्रकार नए पौधे की उत्पत्ति होती है। वर्णकोत्पादकों की संख्या दुगुनी, तिगुनी या कई गुनी हो कर नए प्रकार के गुण पैदा करती हैं। इन्हें बहुगुणित कहते हैं। बहुगुणितता (polypoidy) द्वारा भी नए जीवों की उत्पत्ति का विकास होता है।